शिमला: कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश को इस मर्ज का इलाज नहीं मिल रहा. शुक्रवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश (Jairam presented the budget )किया. इस बजट में यदि 100 रुपए को मानक रखा जाए तो वेतन और पेंशन पर ही 41 रुपए खर्च हो जाएंगे. इसके अलावा कर्ज की अदायगी पर 11 रुपए और लिए गए लोन के ब्याज की अदायगी पर 10 रुपए खर्च होंगे. इस तरह विकास और अन्य कार्यों के लिए केवल 29 रुपय ही बचेंगे. मुख्यमंत्री के बजट भाषण के अनुसार 100 रुपए में से कर्मचारियों के वेतन पर 26 रुपए खर्च होंगे. इसी तरह पेंशन पर 15 रुपए खर्च किए जाएंगे. यह स्थिति पहले की तुलना में कोई बेहतर नहीं है.
पिछली बार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 50192 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. उस समय भी आंकड़े लगभग इसी तरह के थे. पहले सरकारी कर्मियों के वेतन पर 25.31 रुपए खर्च था. ब्याज की अदायगी पर 10 रुपए खर्च किए जा रहे थे. पेंशन पर 14.11 रुपए खर्च हो रहे थे. ऐसे में इस बार सभी खर्च बढे हैं. इस बजट में कुल राजस्व प्राप्तियां 36375 करोड़ रुपए और राजस्व राजस्व खर्च 40278 करोड़ रुपए हैं. इस तरह हिमाचल का राजस्व घाटा 3903 करोड़ रुपए लगेगा.
हिमाचल का राजकोषीय घाटा 9602 करोड़ रूपए रहने का अनुमान है. यह प्रदेश की जीडीपी का 4.98 फीसदी है. इस बजट में सरकार ने 30000 से अधिक पदों को भरने का भरोसा दिया.बजट टैक्स फ्री है, लेकिन कर्ज के बोझ को कम करने के लिए अतिरिक्त आय के संसाधन जुटाने पर इसमें कोई प्रकाश नहीं डाला गया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि उनकी सरकार का यह बजट समाज के सभी वर्गों को राहत देगा. उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में भाजपा सरकार ने इस बार बड़े फैसले लिए. साथ ही पंचायत प्रतिनिधियों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं .आशा कार्यकर्ताओं .सिलाई अध्यापिकाओं, एसएमसी टीचर, पैराटीचर आईटी टीचर सहित आउटसोर्स कर्मियों को भी लाभ दिए गए.
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