शिमलाः कोरोना संक्रमण के चलते पिछले 45 दिनों से हिमाचल में कर्फ्यू लगा हुआ है. दुकानदारों को लॉकडाउन में जोन के मुताबिक तीन से पांच घंटे तक दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है, लेकिन राजधानी में रेहड़ी-फड़ी वालों को दुकानें लगाने पर प्रतिबंध लगा हुआ है.
वहीं, अब रेहड़ी फड़ी वाले भी प्रशासन से राहत देने की मांग कर रहे हैं. रेहड़ी-फड़ी तहबाजारी यूनियन सीटू का प्रतिनिधिमंडल नगर निगम आयुक्त शिमला से शुक्रवार को मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपा.
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने नगर निगम शिमला के आयुक्त से मांग की है कि शिमला नगर निगम के दायरे में कार्यरत सभी तहबाजारियों को दुकानदारों की तर्ज पर कार्य करने की इजाजत दी जाए.
नगर निगम आयुक्त ने आश्वासन दिया है कि वह इस संदर्भ में उपायुक्त शिमला को प्रस्ताव भेज कर उचित कदम उठाने का आग्रह करेंगे. आयुक्त ने कहा है कि कोरोना महामारी के चलते सभी समुदायों का रोजगार किसी न किसी रूप में प्रभावित हुआ है.
इसमें विशेष तौर पर रेहड़ी फड़ी तहबाजारी के रोजगार में लगे-लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. यह लोग हर रोज कमाकर परिवार को पालन-पोषण करने वाले लोग हैं.
प्रदेश सरकार व प्रशासन ने दुकानों को वैकल्पिक दिनों में खोलने की इजाजत दी है, जोकि स्वागत योग्य कदम है. शहर के सबसे गरीब तबके के लोग रेहड़ी-फड़ी, तहबाजारी का काम करते हैं व उन्हें अपना कार्य करने की इजाजत नहीं दी गई है.
कोरोना के कारण बीते डेढ़ महीनों में इस काम में लगे लोगों का रोजगार पूरी तरह खत्म हो गया है व परिवार के लिए भोजन की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो गया है.
इसलिए रेहड़ी-फड़ी, तहबाजारी को भी कारोबारियों की तर्ज पर काम करने की इजाजत दी जाए. अगर प्रशासन यह व्यवस्था नहीं करता है, तो फिर नगर निगम शिमला के पास जिन भी लोगों ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के अनुसार पंजीकृत होने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग व आई कार्ड देने के लिए आवेदन किए गए थे.
उन आवेदकों को राज्य सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन के अनुसार 8,250 रुपये की प्रति महीना आर्थिक मदद अप्रैल और मई महीनों के लिए जारी की जाए.
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