शिमलाः निदेशक व विशेष सचिव राजस्व और आपदा प्रबंधन डीसी राणा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीएसडीएमए) ने आपदा के दौरान और आपदा के बाद प्रतिक्रिया के लिए सरकारी संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों के समन्वय प्लेट फार्म के गठन की पहल की है.
उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 में प्रत्येक राज्य सरकार, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को आपदा प्रबंधन की प्रभावशीलता में सुधार लाने के उद्देश्य से गैर-सरकारी संगठनों और हितधारक एजेंसियों के मध्य सहयोग से कार्य करने को अनिवार्य बनाने का प्रावधान है.
अधिनियम में गैर-सरकारी संगठनों को आपदा प्रभावित समुदायों की सहायता या सुरक्षा के लिए या राहत प्रदान करने के उद्देश्य से समान और बिना किसी भेदभाव से कार्य करने का भी प्रावधान है. उन्होंने कहा कि नोवल कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न मौजूदा संकट के दृष्टिगत आपातकालीन प्रतिक्रिया से संबंधित प्रयासों में स्वैच्छिक संगठनों को शामिल करना महत्वपूर्ण है.
प्रदेश में राज्य और जिला स्तर पर इंटर एजेंसी समूह हैं जो समन्वित आपातकालीन प्रतिक्रिया में अत्यधिक मदद कर सकते हैं. वर्तमान में 51 स्वयं सहायता समूह पहले ही इस नेटवर्क का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि गैर-सरकारी संगठनों के अलावा कई नागरिक भी हमेशा समाज के लिए अपनी सेवाएं देने को तैयार रहते हैं.
जिन्हें प्रधिकरण के साथ पंजीकरण के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. राज्य और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आपदा प्रबंधन के लिए पंचायत स्तर पर स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित कर रहे हैं और उपयोग के लिए उनका डेटा बेस भी उपलब्ध है.
उन्होंने जिले में स्वैच्छिक संगठनों के साथ बेहतर समन्वय के लिए डीओओसी से अपने कार्यों को करने के लिए डीडीएमए से जिला इंटर एजेंसी समूह (डीआईएजी) के संयोजक या डीआईएजी के एक नामित प्रतिनिधि के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का अनुरोध किया.
उन्होंने कहा कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में आपातकालीन आपूर्ति और सेवाओं की बेहतर सुविधा के लिए जीओ-एनजीओ समन्वय की निगरानी के लिए युवा सेवा और खेल विभाग या होम गार्डस और नागरिक सुरक्षा विभाग से एक नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा.उन्होंने कहा कि शिमला जिला में शहर के नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की सेवाओं का उपयोग कर सकता है.
डीडीएमए इस नेटवर्क का उपयोग स्वच्छता पर सार्वजनिक जागरूकता में समर्थन करने और सामाजिक दूरी के उपायों को बढ़ावा देने, घर पर अलगाव, कानून व्यवस्था, कीटाणुशोधन, सफाई सेवाओं, प्रबंधन और रोगियों के परिवहन में जिला प्रशासन की सहायता के लिए कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि स्वैच्छिक सेवा के लिए गैर-सरकारी संगठनों और स्वयंसेवकों को कोविड-19 के खतरों के बारे में सही तरीके से शिक्षित और जागरुक किया जाना चाहिए ताकि वह न तो स्वयं संक्रमित हो और न ही संक्रमण का स्रोत बनें.
ये भी पढ़ेंः COVID-19 की सहायता के लिए राज्य व जिला स्तरीय आपातकालीन परिचालन केंद्र स्थापित