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Himachal High Court: डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती, हाईकोर्ट अब 18 सितंबर को करेगा सुनवाई

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती देने को लेकर एक याचिका दी गई है. मामले में अब 18 सितंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. पढ़िए पूरी खबर...(Challenge to Deputy CM and CPS appointment) (Challenge to Deputy CM appointment in High Court) (Himachal High Court)

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 1, 2023, 12:36 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती से जुड़ी याचिका पर अब 18 सितंबर को सुनवाई होगी. हाईकोर्ट में इस मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई टल गई है. अदालत में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत के तौर पर सभी सीपीएस को काम करने से रोकने की मांग को फिलहाल के लिए लंबित रखने का फैसला सुनाया है.

हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता व ऊना से भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती और अन्य 11 विधायकों ने मामले के अंतिम निपटारे तक सभी सीपीएस को काम करने से रोकने के आदेशों की मांग की थी. प्रार्थियों की ओर से अंतरिम राहत के लिए दाखिल आवेदन को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए निपटाने की गुहार लगाई थी. मामले पर बहस के दौरान सरकार की तरफ से मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाया.

सरकार की ओर से महाधिवक्ता अनूप रतन ने मामले की पैरवी करते हुए कहा कि सभी याचिकाएं हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार दायर नहीं की गई है. ऐसे में इन याचिकाओं को इसी आधार पर खारिज किए जाने का आवेदन सरकार की ओर से दायर किया गया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने प्रार्थियों के अंतरिम राहत की मांग वाले आवेदन को लंबित रखते हुए कहा कि पहले सरकार की ओर से उठाए गए गुणवत्ता के मसले को निपटाया जाना जरूरी है.

उल्लेखनीय है कि सीपीएस की नियुक्तियों को विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है. सबसे पहले वर्ष 2016 में हिमाचल में पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने सीपीएस नियुक्तियों को चुनौती दी थी. अब नई सरकार की ओर से सीपीएस तैनात किए जाने पर उन्हें प्रतिवादी बनाये जाने के लिए आवेदन किया गया है. इसी सिलसिले में मंडी निवासी कल्पना देवी ने भी सीपीएस बनाए जाने को लेकर याचिका दायर की है. ऊना से विधायक सतपाल सिंह सत्ती और अन्य 11 विधायकों की ओर से सीनियर एडवोकेट सतपाल जैन ने मामले की पैरवी की.

प्रार्थियों ने इस याचिका में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री समेत अन्य सीपीएस की तैनाती को चुनौती दी है. वहीं, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने भी एक आवेदन दायर कर याचिका की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं. डिप्टी सीएम की ओर से पैरवी करने वाले पूर्व एडवोकेट जनरल श्रवण डोगरा ने उन्हें निजी प्रतिवादी बनाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई. उनका कहना है कि पूरे देश में लगभग 11 उप मुख्यमंत्री संवैधानिक प्रावधानों के तहत नियुक्त किए गए हैं. उन्होंने खुद को इस मामले से बाहर किए जाने की गुहार भी लगाई है.

याचिकाओं में अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति को चुनौती दी गई है. सभी याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि पंजाब में भी ऐसी नियुक्तियां की गई थीं, जिन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया था. फिलहाल अब मामले की सुनवाई 18 सितंबर को होगी.

ये भी पढ़ें: Himachal High Court: सोलन के डीसी ने खाली नहीं किया शिमला का सरकारी बंगला, महिला आईएएस किरण भड़ाना की याचिका पर हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

शिमला: हिमाचल प्रदेश में डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्तियों को चुनौती से जुड़ी याचिका पर अब 18 सितंबर को सुनवाई होगी. हाईकोर्ट में इस मामले से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई टल गई है. अदालत में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत के तौर पर सभी सीपीएस को काम करने से रोकने की मांग को फिलहाल के लिए लंबित रखने का फैसला सुनाया है.

हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता व ऊना से भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती और अन्य 11 विधायकों ने मामले के अंतिम निपटारे तक सभी सीपीएस को काम करने से रोकने के आदेशों की मांग की थी. प्रार्थियों की ओर से अंतरिम राहत के लिए दाखिल आवेदन को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए निपटाने की गुहार लगाई थी. मामले पर बहस के दौरान सरकार की तरफ से मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाया.

सरकार की ओर से महाधिवक्ता अनूप रतन ने मामले की पैरवी करते हुए कहा कि सभी याचिकाएं हाईकोर्ट के नियमों के अनुसार दायर नहीं की गई है. ऐसे में इन याचिकाओं को इसी आधार पर खारिज किए जाने का आवेदन सरकार की ओर से दायर किया गया है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने प्रार्थियों के अंतरिम राहत की मांग वाले आवेदन को लंबित रखते हुए कहा कि पहले सरकार की ओर से उठाए गए गुणवत्ता के मसले को निपटाया जाना जरूरी है.

उल्लेखनीय है कि सीपीएस की नियुक्तियों को विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है. सबसे पहले वर्ष 2016 में हिमाचल में पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने सीपीएस नियुक्तियों को चुनौती दी थी. अब नई सरकार की ओर से सीपीएस तैनात किए जाने पर उन्हें प्रतिवादी बनाये जाने के लिए आवेदन किया गया है. इसी सिलसिले में मंडी निवासी कल्पना देवी ने भी सीपीएस बनाए जाने को लेकर याचिका दायर की है. ऊना से विधायक सतपाल सिंह सत्ती और अन्य 11 विधायकों की ओर से सीनियर एडवोकेट सतपाल जैन ने मामले की पैरवी की.

प्रार्थियों ने इस याचिका में डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री समेत अन्य सीपीएस की तैनाती को चुनौती दी है. वहीं, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने भी एक आवेदन दायर कर याचिका की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं. डिप्टी सीएम की ओर से पैरवी करने वाले पूर्व एडवोकेट जनरल श्रवण डोगरा ने उन्हें निजी प्रतिवादी बनाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई. उनका कहना है कि पूरे देश में लगभग 11 उप मुख्यमंत्री संवैधानिक प्रावधानों के तहत नियुक्त किए गए हैं. उन्होंने खुद को इस मामले से बाहर किए जाने की गुहार भी लगाई है.

याचिकाओं में अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति को चुनौती दी गई है. सभी याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि पंजाब में भी ऐसी नियुक्तियां की गई थीं, जिन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने असंवैधानिक ठहराया था. फिलहाल अब मामले की सुनवाई 18 सितंबर को होगी.

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