शिमला: केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश की कर्ज लेने की सीमा 5,500 करोड़ रुपये घटा दी है. पहले कर्ज लेना कि सीमा 14,500 करोड़ थी, वह अब 9,000 करोड़ रुपये रह गई. कर्ज की सीमा घटाने को लेकर प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह ने इसे कांग्रेस सरकार के साथ केंद्र सरकार का भेदभाव करार दिया है. वहीं, दूसरी ओर अब विपक्षी दल भाजपा ने इसे कर्ज के बोझ में दब रहे प्रदेश के लिए जरूरी बताया है.
'कांग्रेस सरकार लगातार ले रही कर्ज': दरअसल, भाजपा मीडिया सह प्रभारी करण नंदा ने बताया कि कांग्रेस पूर्व में बीजेपी सरकार पर प्रदेश को कर्ज के बोझ में दबाने के आरोप लगाती रही है, लेकिन जबसे कांग्रेस सत्ता में आई है. छोटे अंतराल में काफी लोन ले रही है. ओपीएस देने के लिए डीए की किस्त दे रही है. जबकि कोई नया रिसोर्स जेनरेट नहीं किया जा रहा है. कांग्रेस सरकार लगातार कर्ज ले रही है. जल्द यह लोन एक लाख करोड़ हो जाएगा. फिर कांग्रेस कर्ज की बात छेड़ेगी. यह व्यवस्था परिवर्तन की सरकार आत्म निर्भरता के लिए काम करे, इसलिए कर्ज की सीमा को कम किया गया है.
'हर संभव मदद कर रही केंद्र सरकार': उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हिमाचल की हर सम्भव मदद कर रही है. अभी प्री मानसून में 192 करोड़ का नुक्सान हुआ है ऐसे में केंद्र सरकार जल्द ही इस नुकसान का भुगतान करेगी. आगे उन्होंने कहा कि केंद्र की बीजेपी सरकार के नौ वर्ष पूरे होने पर महा जनसंपर्क अभियान के तहत एक जून से पूरे प्रदेश में कार्यक्रम किए जाएंगे. पूरे प्रदेश में व्यापक जनसंपर्क, लाभार्थी संपर्क, समाज के विभिन्न वर्गों से संपर्क जैसे लोकसभा, विधान सभा एवं बूथ स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे, जिनके माध्यम से 'मोदी सरकार' की 9 सालों की नीतियों एवं उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाया जाएगा. महा जनसंपर्क अभियान के तहत 9 लाख 54 हजार से अधिक लोगों से संपर्क किया जाएगा.