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रेशम पालन से बदली बेहुला की तकदीर, खूब कर रही कमाई - SILKWORM REARING IN ASSAM

बोडोलैंड रेशम उत्पादन मिशन की शुरुआत के बाद, 2023-24 में कच्चे रेशम का उत्पादन 1505 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है.

Silk farming changed Behula's fortune
रेशम पालन से बदली बेहुला की तकदीर (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 30, 2025, 5:51 PM IST

कोकराझार, असम: कोकराझार के बोरशीझोरा गांव की 40 वर्षीय बेहुला ब्रह्मा ने मेहनत से अपने जीवन की तस्वीर बदल दी है. आर्थिक तंगी के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई आठवीं कक्षा में छोड़नी पड़ी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और रेशम पालन का कार्य शुरू किया. आज, मेहनत और समर्पण के फलस्वरूप, वे प्रति वर्ष लगभग 1,30,340 रुपये की आमदनी कर रही हैं.

ब्रह्मा ने बताया कि उनका यह सफर आसान नहीं था. लेकिन जब उन्होंने देखा कि रेशम पालन के माध्यम से आर्थिक स्थिरता हासिल की जा रही है, तब उनकी मेहनत ने एक नई दिशा पकड़ी. उन्होंने न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया बल्कि अपने आसपास के कई युवा और ग्रामीण समुदाय के लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनीं.

ब्रह्मा ने बोड़ोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के रेशम उत्पादन विभाग से प्रशिक्षण लिया और उसी के माध्यम से रेशम पालन का काम आरंभ किया. उनकी मेहनत का नतीजा यह है कि अब वे 49 किलो काटे हुए कोकून को 820 रुपये प्रति किलोग्राम और 245 किलोग्राम प्यूपा को 368 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेच रही हैं.

1658 गांवों में फैला हुआ है रेशम उत्पादन
इस क्षेत्र में रेशम उत्पादन ने ग्रामीण समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण आजीविका स्रोत स्थापित किया है. असम में वर्तमान में, लगभग 44,000 से अधिक रेशमकीट पालक और तकनीकी कर्मचारी मिलकर राज्य की रीढ़ बन गए हैं विश्लेषण बताते हैं कि इसका प्रभाव 1658 गांवों में फैला हुआ है, जहां 44,250 परिवार लाभान्वित हो रहे हैं.

विकास की दिशा में कदम
बोदोलैंड रेशम उत्पादन मिशन की शुरुआत के बाद, 2023-24 में कच्चे रेशम का उत्पादन 1505 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है. राज्य सरकार का लक्ष्य 2026-27 तक इस उत्पादन को 2000 मीट्रिक टन तक बढ़ाने का है.

एरी रेशम उत्पादन में भी लगातार वृद्धि हुई है और 2023-24 में यह आंकड़ा 1,464 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जो बीटीआर में कुल रेशम उत्पादन का 97 प्रतिशत से अधिक है. हालांकि, मुगा रेशम उत्पादन स्थिर रहा है, और शहतूत रेशम उत्पादन में notable गिरावट आई है.

भारत, चीन का योगदान
भारत, चीन के बाद, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा रेशम उत्पादक देश है. वस्त्र मंत्रालय के अनुसार, भारत वैश्विक कच्चे रेशम उत्पादन में लगभग 42 प्रतिशत (2023-24 में 38,913 मीट्रिक टन) का योगदान देता है. भारत और चीन मिलकर वैश्विक रेशम उत्पादन में लगभग 95 प्रतिशत का योगदान करते हैं.

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