शिमलाः केंद्रीय बजट में ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत ढांचा विकसित करने ले लिए विकास निधि को 30 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40 हजार करोड़ रुपये करने के निर्णय का स्वागत करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि इसका हिमाचल को भी विशेष लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर आधारभूत ढांचा विकसित हो सकेगा. इससे ग्रामीण आर्थिकी सुदृढ़ होती है.
वित्त मंत्री ने सकारात्मक बजट किया पेश
जयराम ठाकुर ने कहा कि वित्त मंत्री ने एक सकारात्मक बजट पेश किया है. बजट में हर क्षेत्र के लिए विकास की नई उम्मीद का आधार दिया गया है. बजट पेश होने के बाद सेंसेक्स में भी बहुत बड़ी तेजी देखी गई है. यह सीधा संकेत देता है कि केंद्रीय बजट विश्वास से भरा बजट है. अब जीडीपी में भी बहुत बड़ी ग्रोथ की उम्मीद है जो कि इतिहास में पहले कभी नहीं हुई.
स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 2.32 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान
जय राम ठाकुर ने कहा कि केन्द्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 2.32 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो पिछले वर्ष के 92 हजार करोड़ के मुकाबले 137 प्रतिशत है. प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत आगामी छः वर्षों में 64180 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इससे देश-प्रदेश में स्वास्थ्य अधोसंरचना का सुदृढ़ीकरण होगा. उन्होंने कहा कि बजट में पोषण पर विशेष बल देते हुए देश के 112 एस्पायरेशनल जिलों पर विशेष बल दिया गया है, जिसमें प्रदेश का चम्बा जिला भी शामिल है.
आधुनिक और आत्मनिर्भर भारत को दर्शाता है बजट
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बजट आधुनिक एवं आत्मनिर्भर भारत को दर्शाता है, जिसमें सभी को विकास एवं वृद्धि के समुचित अवसर उपलब्ध होंगे और युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार आसानी से उपलब्ध होगा. बजट में व्यापार में सुगमता पर भी विशेष बल दिया गया है.
किसान-बागवानों के आर्थिक उत्थान के लिए उठाए गए कदम
जयराम ठाकुर ने कहा कि बजट में किसान-बागवानों के आर्थिक उत्थान के लिए उठाए गए कदम भी सराहनीय हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी केन्द्र सरकार ने समय-समय पर किसानों के हित में निर्णय लिए हैं. उन्होंने कहा कि गेहूं के समर्थन मूल्य के अन्तर्गत वर्ष 2013-14 में 33874 करोड़ रुपये और वर्ष 2020-21 में 75060 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं, जिससे 43.36 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं.
किसानों की आय होगी दोगुनी
धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वर्ष 2013-14 में 63 हजार 928 करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 1,41,930 करोड़ रुपये और वर्ष 2020-21 में 1,72,752 करोड़ रुपये खर्च किए गए. इसी प्रकार दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वर्ष 2013-14 में 236 करोड़ रुपये, वर्ष 2019-20 में 285 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2020-21 में 10530 करोड़ रुपये खर्च किए गए. उन्होंने कहा कि यह सब किसानों की आय को दोगुना करने में कारगर सिद्ध हुए हैं.
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