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हिमाचल में भी हो सकेगी भांग की खेती, कैबिनेट से जल्द मंजूरी की उम्मीद

जीनव रक्षक दवाओं लिए ही भांग की खेती को कानूनी रूप देने के उद्देश्य से आबकारी विभाग ने एक नीति तैयार की है. इसके तहत भांग का इस्तेमाल सिर्फ निर्धारित उत्पादों के लिए किया जाए. इसके लिए सख्त प्रावधान किए जाएंगे.

Cannabis cultivation will also be possible in Himachal
हिमाचल में भी हो सकेगी भांग की खेती, कैबिनेट से जल्द मंजूरी की उम्मीद
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Published : Dec 2, 2019, 1:14 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जल्द ही भांग की खेती को कानूनी रूप से मान्यता मिल सकती है. इसके लिए जल्द ही कैबिनेट में मामला लाया जा सकता है. आबकारी विभाग ने फाइल तैयार कर विधि विभाग को भेज दी है. कुछ आपत्तियां दूर करने के बाद मामला कैबिनेट में पेश किया जाएगा. इससे उम्मीद है कि जल्द ही प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी अनुमति मिल सकती है.

जीवन रक्षक दवाओं में भांग का प्रयोग

भांग का प्रयोग कई जीवन रक्षक दवाओं और कुछ अन्य उपचारों के लिए किया जाता है. इन जीनव रक्षक दवाओं लिए ही भांग की खेती को कानूनी रूप देने के उद्देश्य से आबकारी विभाग ने एक नीति तैयार की है. इसके तहत भांग का इस्तेमाल सिर्फ निर्धारित उत्पादों के लिए किया जाए. इसके लिए सख्त प्रावधान किए जाएंगे. कैंसर जैसी बीमारी के लिए बनने वाली दवाओं में भांग के पौधे के कुछ हिस्सों का प्रयोग किया जाता है. इसलिए भी भांग की खेती को अनुमति देने की तैयारी है.

बता दें कि कुछ समय पहले ही उत्तराखंड सरकार ने भांग की खेती को कुछ खास उत्पादों के निर्माण को कानूनी मंजूरी दी है. प्रदेश सरकार भी उसी तर्ज पर दवाओं के अलावा करीब 70 तरह के उत्पादों के निर्माण के लिए इस खेती को सरकारी नियंत्रण में कराना चाह रही है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल कैबिनेट की बैठक: शीतकालीन सत्र को लेकर रणनीति पर हो सकती है चर्चा

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जल्द ही भांग की खेती को कानूनी रूप से मान्यता मिल सकती है. इसके लिए जल्द ही कैबिनेट में मामला लाया जा सकता है. आबकारी विभाग ने फाइल तैयार कर विधि विभाग को भेज दी है. कुछ आपत्तियां दूर करने के बाद मामला कैबिनेट में पेश किया जाएगा. इससे उम्मीद है कि जल्द ही प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी अनुमति मिल सकती है.

जीवन रक्षक दवाओं में भांग का प्रयोग

भांग का प्रयोग कई जीवन रक्षक दवाओं और कुछ अन्य उपचारों के लिए किया जाता है. इन जीनव रक्षक दवाओं लिए ही भांग की खेती को कानूनी रूप देने के उद्देश्य से आबकारी विभाग ने एक नीति तैयार की है. इसके तहत भांग का इस्तेमाल सिर्फ निर्धारित उत्पादों के लिए किया जाए. इसके लिए सख्त प्रावधान किए जाएंगे. कैंसर जैसी बीमारी के लिए बनने वाली दवाओं में भांग के पौधे के कुछ हिस्सों का प्रयोग किया जाता है. इसलिए भी भांग की खेती को अनुमति देने की तैयारी है.

बता दें कि कुछ समय पहले ही उत्तराखंड सरकार ने भांग की खेती को कुछ खास उत्पादों के निर्माण को कानूनी मंजूरी दी है. प्रदेश सरकार भी उसी तर्ज पर दवाओं के अलावा करीब 70 तरह के उत्पादों के निर्माण के लिए इस खेती को सरकारी नियंत्रण में कराना चाह रही है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल कैबिनेट की बैठक: शीतकालीन सत्र को लेकर रणनीति पर हो सकती है चर्चा

Intro:हिमाचल में भी हो सकेगी भांग की खेती. कैबिनेट से जल्द मंजूरी की उम्मीद
शिमला. प्रदेश में जल्द ही भांग की खेती को कानूनी रूप से मान्यता मिल सकती है. इसके लिए जल्द कैबिनेट में मामले लाया जा सकता है. आबकारी विभाग ने फाइल तैयार कर विधि विभाग को भेज दी है. कुछ आपत्तियां दूर करने के बाद मामला कैबिनेट में पेश किया जाएगा. इससे उम्मीद है कि जल्द ही प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी अनुमति मिल सकती है. Body:भांग का प्रयोग कई जीवन रक्षक दवाओं और कुछ अन्य उपचारों के लिए किया जाता है. इन जीनव रक्षक दवाओं लिए ही भांग की खेती को कानूनी रूप देने के उद्देश्य से आबकारी विभाग ने एक नीति तैयार की है। इसके तहत भांग का इस्तेमाल सिर्फ निर्धारित उत्पादों के लिए किया जाए। इसके लिए सख्त प्रावधान किए जाएंगे। कैंसर जैसी बीमारी के लिए बनने वाली दवाओं में भांग के पौधे के कुछ हिस्सों का प्रयोग किया जाता है. इसलिए भी भांग की खेती को अनुमति देने की तैयारी है.


Conclusion:कुछ समय पहले ही उत्तराखंड सरकार ने भांग की खेती को कुछ खास उत्पादों के निर्माण को कानूनी मंजूरी दी है। प्रदेश सरकार भी उसी तर्ज पर दवाओं के अलावा करीब 70 तरह के उत्पादों के निर्माण के लिए इस खेती को सरकारी नियंत्रण में कराना चाह रही है।

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