शिमला: हिमाचल में सबसे पहले सेब का बगीचा कुल्लू के बंदरोल में अंग्रेज अधिकारी आरसी ली ने लगाया था. इसके 200 सालों बाद बिलासपुर के हरिमन ने दुनिया को ये दिखाया कि सेब गर्म इलाकों में भी पैदा हो सकता है. न सिर्फ दिखाया बल्कि इसका स्वाद भी चखाया. उनकी इस उपलब्धि के लिए उनका नाम इस साल पद्म श्री पुरस्कारों की सूची में शामिल किया गया है.
हरिमन शर्मा शुरू से ही मेहनती इंसान रहे हैं. उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है. उन्होंने दस साल मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर किया. उन्होंने पत्थर तोड़ने और सब्जियों की खेती शुरू की. बागवानी का उन्हें पहले से ही शौक था तो सब्जियों के साथ साथ ही उन्होंने आम के बगीचे भी तैयार किए. एकदिन अपने आंगन में सेब का बीज अंकुरित होते देखा. उन्होंने अंकुर बीज को उठाकर संरक्षित किया और इसकी खेती के बारे में जानकारी हासिल कर इसका पोषण किया. 1999 में इसकी गुणवत्ता में सुधार करने के लिए आलू बुखारे के पेड़ के तने पर सेब के वृक्ष की शाखा की ग्राफ्टिंग कर दी. हरिमन शर्मा का ये आइडिया काम कर गया. ठीक दो साल सेब के पेड़ पर आना शुरू हो गया. कई सालों की मेहनत के बाद हरिमन आखिरकार सेब की ऐसी किस्म विकसित करने में कामयाब हो गए जो कि गर्म जलवायु में उगाया जा सकता है.
जून में तैयार हो जाता है ये सेब
उनकी ये उपलब्धि बागवानी के क्षेत्र में काफी महत्व रखती है. दरअसल सेब की पैदावार के लिए शीतोष्ण कटिबंधीय जलवायु की जरूरत होती है. बर्फीले क्षेत्रों में ही इसकी पैदावार होती है. सेब की फसल के चिलिंग आवर्स की भी जरूरत होती है. ये परिस्थितियां उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सेब के पौधों को नहीं मिल पाती है, लेकिन गर्म जलवायु वाले बिलासपुर जिला के पनीला कोठी गांव के किसान-बागवान हरिमन ने अपनी मेहनत से ये दुनिया को बताया कि जहां तापमान 45 डिग्री तक बढ़ जाता है और 80 प्रतिशत चट्टानें और 20 प्रतिशत मिट्टी है, ऐसे क्षेत्रों में भी सेब की पैदावार संभव है. हरिमन शर्मा के विकसित सेब की किस्म को कम तापमान की जरूरत होती है. ये उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में भी उगाए जा सकते हैं. जून की गर्मी में ये तैयार हो जाते हैं.
2008 में मुख्यमंत्री को चखाया अपने बगीचे के सेब का स्वाद
धीरे-धीरे समय के साथ हरिमन शर्मा की खोजी गई सेब की नई किस्म की बात फैल गई. अधिकांश लोगों ने इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया और कुछ हैरान हुए कि गर्म इलाकों में सेब उगाना संभव ही नहीं हैं, लेकिन हरमन दुनिया को बताने की ठान चुके थे कि जिसे लोग असंभव मानते हैं वो उसे संभव बना चुके हैं. 7 जुलाई 2008 को हरिमन शर्मा शिमला गए और उन्होंने अपने बगीचे में तैयार सेब की एक टोकरी हिमाचल के मुख्यमंत्री के सामने रखी. मुख्यमंत्री ने तुरंत अपने कैबिनेट के सहयोगियों को बुलाया और उन सभी ने उन सेबों को चखा. इनका स्वाद लाजवाब था. मुख्यमंत्री ने इस सेब को हरिमन नाम दिया.
उनके नाम पर रखा गया सेब की किस्म का नाम
आज पूरी दुनिया हरिमन को कामयाब किसान के रूप में जानती है. उनके बगीचे में सब के अलावा आम, आड़ू, लीची और अनार की पैदावार होती है. बागबानी विश्वविद्यालय और विभाग के कई विशेषज्ञ हरिमन के बगीचे में गए और सेब के पौधों को देखकर आश्चर्यचकित हुए. हरिमन ने अपने बगीचे में सेब के 8 पौधे तैयार किए हैं. ये पौधे अच्छी पैदावार दे रहे हैं. हरिमन शर्मा की विकसित की गई किस्म का नाम उन्हीं के नाम पर HRMN-99 रखा गया है. देशभर में किसानों, माली, उद्यमियों और सरकारी संगठनों को 3 लाख से अधिक पौधों को विकसित कर वितरित किया है. HRMN-99 किस्म के 55 सेब के पौधे राष्ट्रपति भवन में लगाए हैं.
हरिमन शर्मा की तैयार की गई किस्म लगभग पूरे भारत के प्रत्येक राज्य में तैयार की जा रही है. उन्हें बागवानी के क्षेत्र में कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है.
- 15 अगस्त 2008 में राज्य स्तरीय सर्वश्रेष्ठ किसान पुरस्कार.
- 15 अगस्त 2009 में प्रेरणा स्त्रोत सम्मान पुरस्कार.
- 2010 के सर्वश्रेष्ठ हिमाचली किसान शीर्षक से सम्मानित.
- 2011 में सेब का सफलतापूर्वक उत्पादन पुरस्कार.
- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली में प्रगतिशील किसान के तौर पर सम्मानित किया गया.
- राष्ट्रपति भवन में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के प्रोग्राम में अपनी नई खोज के लिए राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त किया.
- 19 जनवरी 2017 को कृषि पंडित पुरस्कार.
- पूसा भवन दिल्ली केंद्रीय कृषि राज्य ने IARI Fellow Award सम्मान दिया.
- 21 मार्च 2016 में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री भारत सरकार – राधा मोहन सिंह द्वारा राष्ट्रीय नवोन्मेषी कृषक सम्मान.
- सेब उत्पादन के लिए 3 फरवरी 2016 को हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल ने सममानित किए.
- नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा आयोजित, 4 मार्च 2017 को राष्ट्रीय द्वितीय अवार्ड.
- 9 मार्च 2017 को राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ वैटर्नरी एंड एनीमल साइंसिज़ बीकानेर द्वारा फार्मर साइंटिस्ट अवार्ड.
- इफको की जयंति के शुभ अवसर पर 29. मार्च 2017 को उत्कृष्ट कृषक पुरस्कार.