शिमला: हिमाचल में इस समय जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा की सरकार है, लेकिन शुक्रवार को विधानसभा में पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने जमकर तारीफ की. मामला धर्मांतरण बिल से जुड़ा हुआ था.
दरअसल, अपने कार्यकाल में वीरभद्र सिंह ने वर्ष 2006 में धर्मांतरण के खिलाफ बिल लाया था. ये बिल लाने वाले वीरभद्र सिंह संभवत: देश के पहले मुख्यमंत्री थे. इसी बात को लेकर सदन में वीरभद्र सिंह की खूब तारीफ की. शुक्रवार को सदन में जयराम ठाकुर ने जबरन व लालच देकर धर्मांतरण के खिलाफ नया बिल लाया.
बिल पर सदन में चर्चा हो रही थी. विपक्ष का कहना था कि जब वीरभद्र सिंह के समय में ये बिल लाया गया था तो नया लाने की क्या जरूरत थी. चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष की तरफ से सभी सदस्यों ने वर्ष 2006 में वीरभद्र सिंह सरकार के समय लाए बिल के लिए उनकी तारीफ की.
सुरेश भारद्वाज ने तो यहां तक कहा कि जब वीरभद्र सिंह ने ये बिल लाया था तो भाजपा ने उनके निवास होलीलॉज जाकर बधाई दी थी. भारद्वाज ने वीरभद्र सिंह को धार्मिक प्रवृति का बताया. उन्होंने वीरभद्र सिंह को धर्म के मामले में मजबूत व्यक्तित्व की संज्ञा दी. भाजपा विधायक राकेश जम्वाल ने भी वीरभद्र सिंह की इस बात के लिए तारीफ की.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कहा कि वीरभद्र सिंह ने अपने समय में इस बिल को लाकर दूरदर्शिता दिखाई थी. लेकिन उस समय और अब के समय में फर्क है. अब इस कानून को और सख्त करने की जरूरत थी. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि जब वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में ये कानून बना था तो हमने इस बात का अभिनंदन किया था.
2006 का बिल अच्छा था, लेकिन दर्ज नहीं हुआ एक भी मामला
सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि इस बात में कोई दो राय नहीं कि वर्ष 2006 में तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह द्वारा लाया गया बिल अच्छा था, लेकिन ये भी तथ्य है कि उस बिल के आलोक में एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ. अब स्थितियां बदली हैं. धर्मांतरण की शिकायतें आ रही हैं. ऐसे में सख्त कानून की जरूरत है.
कानून बनाना सदन का धर्म: बिंदल
बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह ने प्यूनिटी यानी दंडात्मक की बात कही और कहा कि टांग तोडऩे के लिए भी 3 साल की सजा और धर्मांतरण के लिए पांच से सात साल, ये सही नहीं है. इस पर विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि भारत ने कभी भी कहीं जाकर धर्म परिवर्तन नहीं किया. न ही किसी को फोर्स किया है. भारत की स्नातन संस्कृति में सभी धर्मों का समान आदर है. हमारे ऋषि मुनियों ने सभी को ज्ञान दिया, पर कभी धर्म परिवर्तन नहीं कराया. इसलिए ऐसा कानून बनाना इस सदन का धर्म है और धर्म परिवर्तन टांग तोडऩे से बड़ा अपराध है. जबरन धर्म परिवर्तन घृषित कार्य है.