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नशे का नाश करने में मदद करेंगे शिमला जिला के 405 नंबरदार, पुलिस थाने में देंगे सूचना, डीसी अनुपम कश्यप की अनूठी पहल - DRUG ADDICTS IN HIMACHAL

अपने अधिकार क्षेत्र वाले ग्रामीण इलाकों में नशे से जुड़ी हर सूचना नंबरदार पुलिस को देंगे. डिटेल में पढ़ें खबर...

नशे का नाश करेंगे नंबरदार
नशे का नाश करेंगे नंबरदार (कॉन्सेप्ट इमेज)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 4, 2025, 10:53 PM IST

Updated : Feb 4, 2025, 10:59 PM IST

शिमला: एक गांव में नंबरदार की हैसियत क्या होती है, इससे लगभग सभी ग्रामीण परिचित हैं. ये नंबरदारों का रुआब ही है कि गांव में किसी भी तरह के असामाजिक तत्वों की शिकायत उनके पास की जाती रही है. हिमाचल में एक लोकगीत में नंबरदार के रसूख का इस बात से पता चलता है कि गांव की कुछ युवतियां उसके पास शिकायत लेकर जाती हैं कि शरारती लड़कों को समझा लो, वो आते-जाते राह में महिलाओं को देखकर सीटियां मारते हैं. ये मीठी छेड़छाड़ वाला लोकगीत है, लेकिन इसमें नंबरदार की हैसियत का पता चलता है. इतनी भूमिका बांधने का आशय ये है कि अब इन्हीं नंबरदारों को शिमला जिला के डीसी अनुपम कश्यप ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य सौंपा है.

हिमाचल के युवा नशे का शिकार हो रहे हैं. गांव-गांव में नशा पहुंच गया है. डीसी शिमला ने जिला के 405 नंबरदारों को एक बड़ी जिम्मेदारी देते हुए कहा है कि उन्हें हर 15 दिन में अपने अधिकार क्षेत्र वाले ग्रामीण इलाकों में नशे से जुड़ी हर सूचना संबंधित थाने को देनी होगी. डीसी अनुपम कश्यप ने ईटीवी को बताया कि जिला में 405 नंबरदार हैं. उन्हें हर माह 4200 रुपये मानदेय मिलता है. राजस्व नियमों में नंबरदारों की कुछ ड्यूटीज हैं. जिला प्रशासन ने ये तय किया है कि अब नंबरदार नशे के खिलाफ सरकार के अभियान में इस तरह से सहयोग करेंगे. इससे नंबरदारों में भी एक जिम्मेदारी का अहसास आएगा कि सरकार ने उन्हें अपने एक महत्वपूर्ण मिशन का हिस्सा बनाया है. डीसी ने बताया कि जैसे ही नंबरदार अपने इलाकों में नशे की गतिविधियों को लेकर सूचना पुलिस तक पहुंचाएंगे, पुलिस उस शिकायत पर तुरंत एक्शन लेगी. डीसी ने कहा कि वे खुद इस मुहिम की मॉनिटरिंग करेंगे.

ग्रामीण समाज की अहम कड़ी हैं नंबरदार

मुगलों के समय से नंबरदारी प्रथा चली आ रही है. इलाके के रसूखदार व्यक्ति को नंबरदार बनाया जाता था. फिर आगे उन्हीं के वंश से नंबरदारी चलती है. हिमाचल को लोकनाट्य करियाला में भी नंबरदार के स्वांग में ये विवरण आता है कि उनकी लंबड़दारी (लोकबोली में) मरूसी यानी पुश्तैनी है. लोकगीतों की परख रखने वाले वरिष्ठ मीडिया कर्मी व संपादक हेमंत कुमार बताते हैं "कोई बहुत अधिक समय नहीं हुआ, जब नंबरदार पूरे इलाके में व्यवस्था सुनिश्चित करते थे. विवाह से लेकर अन्य सामाजिक कार्यों में उनकी सलाह व मार्गदर्शन लिया जाता था. अब जिला शिमला प्रशासन ने यह जो नई पहल की है, इससे नशे के खिलाफ अभियान में मदद मिलेगी"

उल्लेखनीय है कि नंबरदार अपने इलाकों में सामान्य भूमि का किराया और अन्य आय एकत्रित करने में मदद करते हैं. नंबरदार भूमि के स्वामियों और किरायेदारों की पुस्तकों में उसके द्वारा प्राप्त किए गए प्रत्येक भुगतान का जिम्मा संभालते हैं. नंबरदार अपने अधिकार क्षेत्र संपत्ति में रहने वाले भू-राजस्व के किसी भी सरकारी पेंशनर की मृत्यु या पारिवारिक पेंशन पाने वाली और संपत्ति में रहने वाली महिला की शादी या पुनर्विवाह अथवा ऐसे किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति एक वर्ष से अधिक की रिपोर्ट तहसीलदार को देते हैं. इसके अलावा नंबरदार ग्राम में पशुओं में किसी भी बीमारी के फैलने की सूचना पटवारी को देते हैं. डीसी अनुपम कश्यप ने बताया कि नियमों में नंबरदारों की सभी तरह की ड्यूटी डिफाइन की गई है. अब नंबरदारों के रसूख का सदुपयोग ग्रामीण इलाकों में नशे की बुराई को रोकने के लिए भी किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में यहां स्थापित होगी पहली हरित हाइड्रोजन परियोजना, इतने करोड़ रुपये का है प्रोजेक्ट

शिमला: एक गांव में नंबरदार की हैसियत क्या होती है, इससे लगभग सभी ग्रामीण परिचित हैं. ये नंबरदारों का रुआब ही है कि गांव में किसी भी तरह के असामाजिक तत्वों की शिकायत उनके पास की जाती रही है. हिमाचल में एक लोकगीत में नंबरदार के रसूख का इस बात से पता चलता है कि गांव की कुछ युवतियां उसके पास शिकायत लेकर जाती हैं कि शरारती लड़कों को समझा लो, वो आते-जाते राह में महिलाओं को देखकर सीटियां मारते हैं. ये मीठी छेड़छाड़ वाला लोकगीत है, लेकिन इसमें नंबरदार की हैसियत का पता चलता है. इतनी भूमिका बांधने का आशय ये है कि अब इन्हीं नंबरदारों को शिमला जिला के डीसी अनुपम कश्यप ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक कार्य सौंपा है.

हिमाचल के युवा नशे का शिकार हो रहे हैं. गांव-गांव में नशा पहुंच गया है. डीसी शिमला ने जिला के 405 नंबरदारों को एक बड़ी जिम्मेदारी देते हुए कहा है कि उन्हें हर 15 दिन में अपने अधिकार क्षेत्र वाले ग्रामीण इलाकों में नशे से जुड़ी हर सूचना संबंधित थाने को देनी होगी. डीसी अनुपम कश्यप ने ईटीवी को बताया कि जिला में 405 नंबरदार हैं. उन्हें हर माह 4200 रुपये मानदेय मिलता है. राजस्व नियमों में नंबरदारों की कुछ ड्यूटीज हैं. जिला प्रशासन ने ये तय किया है कि अब नंबरदार नशे के खिलाफ सरकार के अभियान में इस तरह से सहयोग करेंगे. इससे नंबरदारों में भी एक जिम्मेदारी का अहसास आएगा कि सरकार ने उन्हें अपने एक महत्वपूर्ण मिशन का हिस्सा बनाया है. डीसी ने बताया कि जैसे ही नंबरदार अपने इलाकों में नशे की गतिविधियों को लेकर सूचना पुलिस तक पहुंचाएंगे, पुलिस उस शिकायत पर तुरंत एक्शन लेगी. डीसी ने कहा कि वे खुद इस मुहिम की मॉनिटरिंग करेंगे.

ग्रामीण समाज की अहम कड़ी हैं नंबरदार

मुगलों के समय से नंबरदारी प्रथा चली आ रही है. इलाके के रसूखदार व्यक्ति को नंबरदार बनाया जाता था. फिर आगे उन्हीं के वंश से नंबरदारी चलती है. हिमाचल को लोकनाट्य करियाला में भी नंबरदार के स्वांग में ये विवरण आता है कि उनकी लंबड़दारी (लोकबोली में) मरूसी यानी पुश्तैनी है. लोकगीतों की परख रखने वाले वरिष्ठ मीडिया कर्मी व संपादक हेमंत कुमार बताते हैं "कोई बहुत अधिक समय नहीं हुआ, जब नंबरदार पूरे इलाके में व्यवस्था सुनिश्चित करते थे. विवाह से लेकर अन्य सामाजिक कार्यों में उनकी सलाह व मार्गदर्शन लिया जाता था. अब जिला शिमला प्रशासन ने यह जो नई पहल की है, इससे नशे के खिलाफ अभियान में मदद मिलेगी"

उल्लेखनीय है कि नंबरदार अपने इलाकों में सामान्य भूमि का किराया और अन्य आय एकत्रित करने में मदद करते हैं. नंबरदार भूमि के स्वामियों और किरायेदारों की पुस्तकों में उसके द्वारा प्राप्त किए गए प्रत्येक भुगतान का जिम्मा संभालते हैं. नंबरदार अपने अधिकार क्षेत्र संपत्ति में रहने वाले भू-राजस्व के किसी भी सरकारी पेंशनर की मृत्यु या पारिवारिक पेंशन पाने वाली और संपत्ति में रहने वाली महिला की शादी या पुनर्विवाह अथवा ऐसे किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति एक वर्ष से अधिक की रिपोर्ट तहसीलदार को देते हैं. इसके अलावा नंबरदार ग्राम में पशुओं में किसी भी बीमारी के फैलने की सूचना पटवारी को देते हैं. डीसी अनुपम कश्यप ने बताया कि नियमों में नंबरदारों की सभी तरह की ड्यूटी डिफाइन की गई है. अब नंबरदारों के रसूख का सदुपयोग ग्रामीण इलाकों में नशे की बुराई को रोकने के लिए भी किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में यहां स्थापित होगी पहली हरित हाइड्रोजन परियोजना, इतने करोड़ रुपये का है प्रोजेक्ट

Last Updated : Feb 4, 2025, 10:59 PM IST
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