शिमला: दुनिया में ऑनलाइन शॉपिंग का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में भी ऑनलाइन ग्राहकों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी है, लेकिन इसके साथ ही इन शॉपिंग साइट से डाटा लीक करके ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
ठग ऑनलाइन साइट में आउटसोर्स पर नौकरी करते हैं और कुछ पैसों के लालच में ग्राहकों का बैंक डाटा साइबर ठगों को बेच देते हैं. साइबर ठग ग्राहकों को लुभावने ऑफर देकर उनसे क्यूआर कोड मांगते हैं, जिसके बाद रिमोट एकसेस लेकर ग्राहक के अकाउंट खाली कर देते हैं.
साइबर अपराधियों ने इस तरह से की ठगी
प्रदेश में भी ऐसे ही मामले लगातार सामने आ रहे हैं. साइबर पुलिस के पास एक महीने के अंदर ऐसी चार शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं. इनमें से एक पीड़ित ने साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और कहा कि उसने ऑनलाइन माध्यम से कुछ सामान खरीदा और ऑर्डर डिलीवर हो भी गया.
ऑर्डर मिल जाने के एक दिन बाद उसे फोन आया कि आपने भी तक कुल मिलाकर हमारी साइट से जो शॉपिंग की है उसके आधार पर आपको 10 हजार रुपये की शॉपिंग छूट दी जा रही है. या फिर राशि आपके बैंक अकाउंट में भी भेजी जा सकती है.
इसके बाद उसे साइबर ठगों की ओर से एक लिंक भेजा गया. लिंक पर क्लिक करने के बाद उसमें बैंक अकाउंट नंबर भरने की ऑप्शन आई और उस लिंक पर बैंक अकाउंट की जानकारी देने के बाद उसके खाते से सारी राशि ठगों ने उड़ा ली.
क्या कहते हैं एएसपी साइबर क्राइम ?
एएसपी साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर ने कहा कि जब शिकायतकर्ता द्वारा इस बारे में शिकायत दी गई और इसमें जांच की गई तो पाया कि आरोपी ने शिकायतकर्ता की ऑनलाइन शॉपिंग साइट से ऑर्डर आईडी के माध्यम से पूरी जानकारी हासिल कर ली थी.
इसके बाद बची हुई आवश्यक जानकारी लिंक के माध्यम से हासिल की और बैंक अकाउंट से पूरा पैसा ई-वॉलैट में ट्रांसफर कर दिया. जब तक पुलिस के पास शिकायत पहुंची तब तक ई-वॉलैट भी खाली हो चुका था.
एएसपी नरवीर सिंह ने कहा कि अगर किसी के साथ इस तरह ऑनलाइन ठगी होती है तो जितना जल्द हो इसकी शिकायत पुलिस में करें ताकि जल्द से जल्द जांच कर कम से कम शिकायतकर्ता को उसका पैसा रिकवर होने में मदद मिले.
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