शिमला: बैंक कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सोमवार को सभी बैंक बंद रहे और बैंक कर्मचारियों ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर इकट्ठे हो कर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया.
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के राज्य कन्वीनर गोपाल शर्मा ने बताया कि सरकारी बैंक ही ऐसा बैंक है जहां जीरो बैलेंस पर भी खाता खुला रहता है जबकि निजी बैंक में कम से कम 1000 रुपय होने चाहिए. उनका कहना था कि सरकार एक एक करके सभी क्षेत्र निजी हाथों में सौंप रही है. उन्होंने कहा कि देश भर के 10 लाख कर्मचारी इसका विरोध करेंगे और अभी 2 दिन की हड़ताल पर हैं. बैंकों के निजीकरण के विरुद्ध आज देश भर में 10 लाख बैंक कर्मी एक आवाज में इसका विरोध कर रहे हैं.
निजीकरण से पैदा होंगी कई समस्याएं और परेशानियां
गोपाल शर्मा ने बताया कि निजीकरण से बैंकों की ग्रामीण शाखाएं बंद हो जाएंगी, निजी बैंक्स आज खुद सुरक्षित नहीं हैं तो पब्लिक के पैसों को क्या सुरक्षित रखेंगे, बैंकों का संचालन एक निजी कॉर्पोरेट के हाथ में चला जाएगा जिससे आने वाले समय में नौकरी के अवसर कम हो जाएंगे और बेरोजगारी बढ़ेगी, निजीकरण के बाद बैंकों में ऋण मनमाने तरीके से किए जाएंगे, कृषि ऋण, पढ़ाई ऋण, सरकारी योजनाओं के ऋण, कम ब्याज पर आवासीय योजनाओं वाले ऋण सिमित हो जाएंगे, आम आदमी को खाता खुलवाने में और उसे चलाने में परेशानी होगी.
सरकारी कारोबार की बात करें तो सरकारी बैंकों के कर्मचारियों को वेतन और पेंशन का भुगतान उनके खातों में जमा करवाना, कॉन्ट्रैक्ट पर स्टाफ भर्ती होगी जिससे उनका उपभोक्ताओं को सर्विसेज देने में ज्यादा ध्यान नहीं होगा, आम जनता अगर निजी बैंक में जाकर सर्विसेज लेता है तो चार्जेज लगेंगे, बैंक चार्जेज बढ़ जाएंगे और हिडन चार्जेज का तो ग्राहक को एक साल बाद पता चलेगा.
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