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आयुर्वेद घोटाला: गवाह ने खुद की जान को बताया खतरा, सीएम को लिखे पत्र में किए कई खुलासे - आयुर्वेद खरीद घोटाले के अहम गवाह

राकेश कुमार ने आयुर्वेद घोटाले में हुई विभागीय जांच के दौरान गवाही दी थी कि पूर्व निदेशक ने सचिवालय के एक बड़े अफसर के कहने पर यह सारा खेल खेला है.

आयुर्वेद घोटाला: गवाह को जान का खतरा, सीएम को पत्र लिखकर निष्पक्ष एजेंसी से मांगी जांच
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Published : Oct 19, 2019, 1:27 PM IST

शिमला: बहुचर्चित आयुर्वेद घोटाले के अहम गवाह राकेश कुमार ने खुद के साथ किसी अनहोनी की आशंका व्यक्त करते हुए सीएम जयराम ठाकुर को पत्र भेजा है. पत्र में मांग की गई है कि आयुर्वेद घोटाले की जांच किसी बाहरी एजेंसी से करवाई जाए नहीं तो मामले में सभी गवाहों (विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ) की जान को खतरा है.

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बता दें कि राकेश कुमार आयुर्वेद विभाग में बतौर वरिष्ठ सहायक तैनात हैं. राकेश कुमार ने आयुर्वेद घोटाले में हुई विभागीय जांच के दौरान गवाही दी थी कि पूर्व निदेशक ने सचिवालय के एक बड़े अफसर के कहने पर यह सारा खेल खेला है. मामले में जो भी खुलासे राकेश ने किए हैं वो सभी जैम पोर्टल से ऑनलाइन प्रीजर्व किए गए डाटा से भी मेल खाते हैं. पत्र में सचिवालय में तैनात बड़े अधिकारी का नाम लिखा गया है और कहा है कि पूर्व निदेशक को बचाने के लिए हर समय नई कोशिशे हो रही है. ऐसे में सच बोलने वालों की जान का खतरा बना हुआ है.

बता दें कि कार्मिक विभाग ने भी फाइल पर लिखा कि इस केस में एफआईआर दर्ज की जाए, लेकिन आज तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री विपिन परमार ने खुद कहा था कि सरकार एफआईआर भी करवाएगी, लेकिन अभी तक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

बता दें कि रामपुर के आयुर्वेदिक अस्पताल के विभाग ने उपकरण खरीदे थे. उपकरणों की खरीद में घपलेबाजी सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने खरीद कमेटी को बर्खास्त कर दिया था.

शिमला: बहुचर्चित आयुर्वेद घोटाले के अहम गवाह राकेश कुमार ने खुद के साथ किसी अनहोनी की आशंका व्यक्त करते हुए सीएम जयराम ठाकुर को पत्र भेजा है. पत्र में मांग की गई है कि आयुर्वेद घोटाले की जांच किसी बाहरी एजेंसी से करवाई जाए नहीं तो मामले में सभी गवाहों (विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ) की जान को खतरा है.

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बता दें कि राकेश कुमार आयुर्वेद विभाग में बतौर वरिष्ठ सहायक तैनात हैं. राकेश कुमार ने आयुर्वेद घोटाले में हुई विभागीय जांच के दौरान गवाही दी थी कि पूर्व निदेशक ने सचिवालय के एक बड़े अफसर के कहने पर यह सारा खेल खेला है. मामले में जो भी खुलासे राकेश ने किए हैं वो सभी जैम पोर्टल से ऑनलाइन प्रीजर्व किए गए डाटा से भी मेल खाते हैं. पत्र में सचिवालय में तैनात बड़े अधिकारी का नाम लिखा गया है और कहा है कि पूर्व निदेशक को बचाने के लिए हर समय नई कोशिशे हो रही है. ऐसे में सच बोलने वालों की जान का खतरा बना हुआ है.

बता दें कि कार्मिक विभाग ने भी फाइल पर लिखा कि इस केस में एफआईआर दर्ज की जाए, लेकिन आज तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री विपिन परमार ने खुद कहा था कि सरकार एफआईआर भी करवाएगी, लेकिन अभी तक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई है.

बता दें कि रामपुर के आयुर्वेदिक अस्पताल के विभाग ने उपकरण खरीदे थे. उपकरणों की खरीद में घपलेबाजी सामने आने के बाद स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने खरीद कमेटी को बर्खास्त कर दिया था.

Intro:Body:शिमला. बहुचर्चित आयुर्वेद घोटाले में अब गवाहों को जान का खतरा लग रहा है. आयुर्वेद विभाग के अधिकारी और कर्मचार घोटाले की जांच के प्रति सरकार के रुख के बाद से ही चिंता में हैं क्योंकि पूरे मामले पर सरकार का रुख असमंजस वाला है. क्योंकि नियमों के अनुसार अगर अधिकारी सरकारी धन की गड़बड़ करता है तो विभागीय कार्रवाई के साथ क्रिमिनल एक्शन भी जरूरी है इसके अलावा कार्मिक विभाग ने भी बार-बार फाइल पर लिखा कि इस केस में एफआईआर दर्ज की जाए लेकिन आज तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री विपिन परमार ने खुद कहा था कि सरकार एफआईआर भी करवाएगी लेकिन अभी तक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई है. इससे घोटाले की जांच के प्रति सरकार की संजीदगी साफ दिख रही है.
आयुर्वेद खरीद घोटाले के अहम गवाह आयुर्वेद विभाग में बतौर वरिष्ठ सहायक तैनात राकेश कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जान खुद के साथ किसी अनहोनी की आशंका व्यक्त की है इसकी प्रति अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ अध्यक्ष विनोद कुमार को भी भेजी गई है. पत्र में मांग की गई है कि आयुर्वेद घोटाले की जांच किसी बाहरी एजेंसी से करवाई जाए नहीं तो मामले में सभी गवाहों (विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ) की जान को खतरा है.
विभागीय जांच में राकेश कुमार ने गवाही दी थी कि पूर्व निदेशक ने सचिवालय के एक बड़े अफसर के कहने पर यह सारा खेल खेला. गौर करने वाली बात तो यह है कि मामले में जो भी खुलासे राकेश ने किए हैं वो सभी जैम पोर्टल से आनलाइन प्रीजर्व किए गए डाटा से भी मेल खाते हैं पत्र में सचिवालय में तैनात बड़े अधिकारी का नाम लिखा गया है और कहा है कि पूर्व निदेशक को बचाने के लिए हर समय नई कोशिशे हो रही हैं. जिसके कारण सच बोलने वालों को जान का खतरा बना हुआ है.


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