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BMO मशोबरा से आशा कार्यकर्ताओं की मुलाकात, लंबित वेतन का सरकार करे भुगतान

विकास खंड मशोबरा की आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को मांगपत्र सौंपा है. आशा कार्यकर्ताओं ने बीएमओ मशोबरा से मांग की है कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं का वेतन 1500 से 2000 रुपए किया गया था, जो आज दिन तक सरकार की ओर से उन्हें नहीं दिया गया है. उसे जल्द से जल्द समस्त आशा कार्यकर्ताओं को जारी किया जाए.

BMO मशोबरा से आशा कार्यकर्ताओं की मुलाकात
BMO मशोबरा से आशा कार्यकर्ताओं की मुलाकात
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Published : Dec 3, 2020, 7:35 PM IST

शिमला: विकास खंड मशोबरा की आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को मांगपत्र सौंपा है. आशा कार्यकर्ताओं ने बीएमओ मशोबरा से मांग की है कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं का वेतन 1500 से 2000 रुपए किया गया था, जो आज दिन तक सरकार की ओर से उन्हें नहीं दिया गया है. उसे जल्द से जल्द समस्त आशा कार्यकर्ताओं को जारी किया जाए.

सभी आशा वर्कर्स को दी जाए प्रोत्साहन राशि

आशा वर्कर्स ने मांग की है कि संस्थागत प्रसव को शत-प्रतिशत करवाने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि दी जाती है, लेकिन यह राशि केवल जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को लेकर दी जाती है. ऐसे में आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार से मांग की है, यह राशि सभी महिलाओं के संस्थागत प्रसव के बाद प्रदान की जाए.

सैम्पल जमा करवाने में परेशानी

आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार से यह भी मांग की है कि एक्टिव केस फाइडिंग कैंपेन के सैंपल एकत्रित करने के लिए सरकार प्रति सैंपल 25 रुपए प्रदान करती है, जिसमें यात्रा शुल्क को भी जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि ब्लॉक में अधिकतर जगह पर डीएमसी लैब्स करीब 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं.

जेब से चुकाना पड़ता है आने-जाने का किराया

ऐसे में उन्हें जेब से आने-जाने का किराया चुकाना पड़ता है. आशा कार्यकर्ताओं ने बीएमओ मशोबरा के माध्यम से सरकार से मांग की है कि एक्टिव केस फाइडिंग कैंपेन में प्रति सैंपल के हिसाब से किराया भी दिया जाए.

आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार से मांग की है कि प्रतिरक्षा कैंप के दिन महिलाओं को मोटिवेट करने तथा उनकी सहायता के आशा वर्कर्स कैंप में मौजूद रहती हैं. उसके लिए सरकार की ओर से पहले 100 रुपए प्रति कैंप दिए जाते थे. उसे फिर से पुरानी तर्ज पर ही बहाल किया जाए. कोविड-19 के बाद स्कूली बच्चों को आयरन टेबलेट आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर दी जाती है. उसकी प्रोत्साहन राशि को सुनिश्चित कर प्रदान किया जाए.

कोरोना काल में मिलने वाले भत्ते की दी जाए बकाया राशि

आशा वर्कर्स ने कहा है कि कोविड-19 के समय सरकार की ओर से आशा वर्कर्स को 2000 रुपए प्रतिमाह दिया जाता था. वह भी अगस्त माह के बाद से मिलना बंद हो गया है. ऐसे में सरकार से हमारी मांग है कि 2000 रुपए नियमित रूप से बकाया राशि समेत प्रतिमाह दिया जाए.

बीएमओ को सौंपा मांगपत्र

आशा कार्यकर्ताओं ने ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को अपना मांग पत्र सौंप कर कहा कि सरकार से गुजारिश सभी आशा वर्कर्स अपनी मांगें पूरी होने की उम्मीद में है. उन्होंने बीएमओ के माध्यम से सरकार से आग्रह किया है कि हिम सुरक्षा अभियान में समस्त आशा वर्कर्स अपनी ड्यूटी निभाने के लिए तत्पर हैं. उन्होंने सरकार से शीघ्र अति शीघ्र अपनी मांगें पूरी होने की आशा जताई है.

पढ़ें: धर्मशाला: केंद्रीय विश्वविद्यालय के 5 छात्रों ने की नेट जेआरएफ की परीक्षा पास

पढ़ें: पालमपुर: किसी भी सामाजिक समारोह और शादी के आयोजन से पूर्व SDM की अनुमति अनिवार्य

शिमला: विकास खंड मशोबरा की आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को मांगपत्र सौंपा है. आशा कार्यकर्ताओं ने बीएमओ मशोबरा से मांग की है कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा आशा कार्यकर्ताओं का वेतन 1500 से 2000 रुपए किया गया था, जो आज दिन तक सरकार की ओर से उन्हें नहीं दिया गया है. उसे जल्द से जल्द समस्त आशा कार्यकर्ताओं को जारी किया जाए.

सभी आशा वर्कर्स को दी जाए प्रोत्साहन राशि

आशा वर्कर्स ने मांग की है कि संस्थागत प्रसव को शत-प्रतिशत करवाने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि दी जाती है, लेकिन यह राशि केवल जननी सुरक्षा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को लेकर दी जाती है. ऐसे में आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार से मांग की है, यह राशि सभी महिलाओं के संस्थागत प्रसव के बाद प्रदान की जाए.

सैम्पल जमा करवाने में परेशानी

आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार से यह भी मांग की है कि एक्टिव केस फाइडिंग कैंपेन के सैंपल एकत्रित करने के लिए सरकार प्रति सैंपल 25 रुपए प्रदान करती है, जिसमें यात्रा शुल्क को भी जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि ब्लॉक में अधिकतर जगह पर डीएमसी लैब्स करीब 15 से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं.

जेब से चुकाना पड़ता है आने-जाने का किराया

ऐसे में उन्हें जेब से आने-जाने का किराया चुकाना पड़ता है. आशा कार्यकर्ताओं ने बीएमओ मशोबरा के माध्यम से सरकार से मांग की है कि एक्टिव केस फाइडिंग कैंपेन में प्रति सैंपल के हिसाब से किराया भी दिया जाए.

आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार से मांग की है कि प्रतिरक्षा कैंप के दिन महिलाओं को मोटिवेट करने तथा उनकी सहायता के आशा वर्कर्स कैंप में मौजूद रहती हैं. उसके लिए सरकार की ओर से पहले 100 रुपए प्रति कैंप दिए जाते थे. उसे फिर से पुरानी तर्ज पर ही बहाल किया जाए. कोविड-19 के बाद स्कूली बच्चों को आयरन टेबलेट आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर दी जाती है. उसकी प्रोत्साहन राशि को सुनिश्चित कर प्रदान किया जाए.

कोरोना काल में मिलने वाले भत्ते की दी जाए बकाया राशि

आशा वर्कर्स ने कहा है कि कोविड-19 के समय सरकार की ओर से आशा वर्कर्स को 2000 रुपए प्रतिमाह दिया जाता था. वह भी अगस्त माह के बाद से मिलना बंद हो गया है. ऐसे में सरकार से हमारी मांग है कि 2000 रुपए नियमित रूप से बकाया राशि समेत प्रतिमाह दिया जाए.

बीएमओ को सौंपा मांगपत्र

आशा कार्यकर्ताओं ने ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर को अपना मांग पत्र सौंप कर कहा कि सरकार से गुजारिश सभी आशा वर्कर्स अपनी मांगें पूरी होने की उम्मीद में है. उन्होंने बीएमओ के माध्यम से सरकार से आग्रह किया है कि हिम सुरक्षा अभियान में समस्त आशा वर्कर्स अपनी ड्यूटी निभाने के लिए तत्पर हैं. उन्होंने सरकार से शीघ्र अति शीघ्र अपनी मांगें पूरी होने की आशा जताई है.

पढ़ें: धर्मशाला: केंद्रीय विश्वविद्यालय के 5 छात्रों ने की नेट जेआरएफ की परीक्षा पास

पढ़ें: पालमपुर: किसी भी सामाजिक समारोह और शादी के आयोजन से पूर्व SDM की अनुमति अनिवार्य

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