शिमला: डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्ति के मामले में हिमाचल सरकार को झटका लगा है. हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने डिप्टी सीएम व सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को मेरिट के आधार पर सुनने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार ने अदालत में याचिका को गुणवत्ता के आधार पर खारिज करने का आवेदन दिया था. अपने आवेदन में राज्य सरकार ने चुनौती देने वाली याचिका को गुणवत्ताहीन बताते हुए उन्हें खारिज करने की गुहार लगाई थी. इस पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से असहमति जताई. हाई कोर्ट ने याचिका को गुणवत्ता के आधार पर खारिज करने की सरकार की दलील को सही नहीं पाया और इस संदर्भ में दाखिल आवेदन को खारिज कर दिया.
इस मामले की सुनवाई हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ कर रही है. खंडपीठ ने फैसला लिया है कि अब इस मामले में मैरिट के आधार पर सुनवाई की जाएगी. उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी हाई कोर्ट ने उपरोक्त मामले में सख्ती दिखाई थी. यहां बता दें कि भाजपा विधायक और पार्टी के अध्यक्ष रहे सतपाल सिंह सत्ती व अन्यों ने डिप्टी सीएम के साथ-साथ सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी थी. याचिका के माध्यम से सतपाल सिंह सत्ती व अन्य ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी कि ये नियुक्तियां असंवैधानिक हैं.
सतपाल सिंह सत्ती सहित भाजपा के बारह विधायकों ने याचिका दाखिल की हुई है. इस याचिका में डिप्टी सीएम सहित अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, दून से चौधरी राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति को चुनौती दी गई है. याचिका में डिप्टी सीएम को कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा लेने से रोकने के आदेशों की मांग के साथ-साथ इसकी एवज में मिलने वाले अतिरिक्त वेतन को वसूलने की मांग भी की है. याचिका की सुनवाई अब 16 अक्टूबर को तय की गई है.
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