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सुक्खू सरकार का बड़ा फैसला: हिमाचल में वजन के हिसाब से बिकेगा सेब, आगामी सीजन से लागू होगा फैसला

प्रदेश की सुक्खू सरकार ने बागवानों के हित में बड़ा फैसला लिया है. हिमाचल में अब सेब वजन के हिसाब से बेचा जाएगा. इस फैसले को आगामी सीजन से लागू किया जाएगा.

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Published : Apr 6, 2023, 10:41 PM IST

Updated : Apr 6, 2023, 10:56 PM IST

हिमाचल में वजन के हिसाब से बिकेगा सेब
हिमाचल में वजन के हिसाब से बिकेगा सेब
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू.

शिमला: हिमाचल में सेब बागवानों के हित्त में सुखविंदर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. हिमाचल में अब सेब वजन के हिसाब से बेचा जाएगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि सरकार ने बागवानों से वादा किया था कि उनको अपनी फसल बेचने में किसी भी तरह का नुकसान न हो, इसके लिए सरकार कदम उठाएगी. सरकार ने यूनिवर्सल कार्टन को देखने की भी बात कही थी. ऐसे में सरकार ने फैसला लिया है कि अब मंडियों में सेब वजन के हिसाब से बेचा जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस बारे में स्टडी की है. उन्होंने पाया कि सेब की पेटी 24 और 28 किलो की होती है. कई बागवान 30 किलो तक सेब पेटियों में भर देते हैं, लेकिन बागवानों को दाम पेटी के हिसाब से दिया जाता है. ऐसे में सरकार ने काफी सोच विचार किया और फैसला लिया कि हिमाचल में बागवान अब वजन और प्रति किलो के हिसाब से अपना सेब का रेट तय करेंगे.

आगामी सीजन से लागू होगा फैसला: मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पहले युनिवर्सल कार्टन के बारे में पता करेगी कि इतनी जल्दी यह कार्टन मिल सकता है कि नहीं. अगर नहीं मिल सकता है तो सरकार प्रति किलो के हिसाब से सेब को बेचने की व्यवस्था करेगी. यह फैसला आने वाले सेब सीजन से लागू किया जाएगा और बागवान अपने सेब की वजन के हिसाब से कीमत तय कर सकेंगे.

चिल्ड्रन ऑफ स्टेट कहलाएंगे अनाथ बच्चे: वहीं, विधानसभा में सुखाश्रय बिल पारित करने पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विपक्ष इस बिल पर एक तरह से अनजान बना हुआ था और जब बिल पर चर्चा हो रही थी तो वह राजनीतिक आधार पर चर्चा कर रहा था. उन्होंने कहा कि यह अपनी तरह का पहला कानून है, जिसमें 27 साल तक अनाथ लोगों को उनका अधिकार दिया गया है. हालांकि इनकी सहायता के लिए एनजीओ बनी होती हैं, लेकिन सरकार ने फैसला लिया कि ये बच्चे किसी की दया भाव पर निर्भर नहीं रहेंगे. इसके लिए इनको चिल्ड्रन ऑफ स्टेट का दर्जा गया है.

भांग की खेती को वैध करने के मामले में कमेटी गठित: उन्होंने कहा कि भांग की खेती के बारे में कमेटी बनाई गई हैं और इसकी रिपोर्ट आने के बाद इस बारे में फैसला लिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार के अंतिम समय में खोले गए संस्थानों के बारे में जनता के हित्त को देखते हुए फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि कई मेडिकल कॉलेज और शिक्षण संस्थानों में स्टाफ नहीं हैं और पूर्व सरकार ने बिना बजट के नए संस्थान खोल दिए थे. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार ने अपने समय में जो वित्तीय अनुशासनहीनता बरती है, उसको देखते हुए सरकार व्हाइट पेपर जाएगी और कैबिनेट में चर्चा कर इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: आईजीएमसी व टांडा अस्पताल में छह महीने में शुरू होगी रोबोटिक सर्जरी, मुख्यमंत्री ने एक पखवाड़े में मांगी रिपोर्ट

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू.

शिमला: हिमाचल में सेब बागवानों के हित्त में सुखविंदर सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. हिमाचल में अब सेब वजन के हिसाब से बेचा जाएगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि सरकार ने बागवानों से वादा किया था कि उनको अपनी फसल बेचने में किसी भी तरह का नुकसान न हो, इसके लिए सरकार कदम उठाएगी. सरकार ने यूनिवर्सल कार्टन को देखने की भी बात कही थी. ऐसे में सरकार ने फैसला लिया है कि अब मंडियों में सेब वजन के हिसाब से बेचा जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने इस बारे में स्टडी की है. उन्होंने पाया कि सेब की पेटी 24 और 28 किलो की होती है. कई बागवान 30 किलो तक सेब पेटियों में भर देते हैं, लेकिन बागवानों को दाम पेटी के हिसाब से दिया जाता है. ऐसे में सरकार ने काफी सोच विचार किया और फैसला लिया कि हिमाचल में बागवान अब वजन और प्रति किलो के हिसाब से अपना सेब का रेट तय करेंगे.

आगामी सीजन से लागू होगा फैसला: मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पहले युनिवर्सल कार्टन के बारे में पता करेगी कि इतनी जल्दी यह कार्टन मिल सकता है कि नहीं. अगर नहीं मिल सकता है तो सरकार प्रति किलो के हिसाब से सेब को बेचने की व्यवस्था करेगी. यह फैसला आने वाले सेब सीजन से लागू किया जाएगा और बागवान अपने सेब की वजन के हिसाब से कीमत तय कर सकेंगे.

चिल्ड्रन ऑफ स्टेट कहलाएंगे अनाथ बच्चे: वहीं, विधानसभा में सुखाश्रय बिल पारित करने पर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि विपक्ष इस बिल पर एक तरह से अनजान बना हुआ था और जब बिल पर चर्चा हो रही थी तो वह राजनीतिक आधार पर चर्चा कर रहा था. उन्होंने कहा कि यह अपनी तरह का पहला कानून है, जिसमें 27 साल तक अनाथ लोगों को उनका अधिकार दिया गया है. हालांकि इनकी सहायता के लिए एनजीओ बनी होती हैं, लेकिन सरकार ने फैसला लिया कि ये बच्चे किसी की दया भाव पर निर्भर नहीं रहेंगे. इसके लिए इनको चिल्ड्रन ऑफ स्टेट का दर्जा गया है.

भांग की खेती को वैध करने के मामले में कमेटी गठित: उन्होंने कहा कि भांग की खेती के बारे में कमेटी बनाई गई हैं और इसकी रिपोर्ट आने के बाद इस बारे में फैसला लिया जाएगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार के अंतिम समय में खोले गए संस्थानों के बारे में जनता के हित्त को देखते हुए फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि कई मेडिकल कॉलेज और शिक्षण संस्थानों में स्टाफ नहीं हैं और पूर्व सरकार ने बिना बजट के नए संस्थान खोल दिए थे. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार ने अपने समय में जो वित्तीय अनुशासनहीनता बरती है, उसको देखते हुए सरकार व्हाइट पेपर जाएगी और कैबिनेट में चर्चा कर इसके लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: आईजीएमसी व टांडा अस्पताल में छह महीने में शुरू होगी रोबोटिक सर्जरी, मुख्यमंत्री ने एक पखवाड़े में मांगी रिपोर्ट

Last Updated : Apr 6, 2023, 10:56 PM IST
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