रामपुर: हिमाचल प्रदेश की बात हो और सेब का जिक्र न हो ये कैसे हो सकता है. ये कहना कतई गलत नहीं होगा कि हिमाचल की पहचान ही सेब से है. हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी भी सेब पर ही निर्भर है. हिमाचल ने सेब से ही विकास की इबारत लिखी है. प्रदेश के शिमला जिले में सेब का सबसे अधिक उत्पादन होता है. करीब 80 फीसदी सेब का उत्पादन शिमला जिले में ही होता है. फिलहाल सेब सीजन खत्म हो गया है. ऐसे में अब कोल्ड स्टोर में रखे सेब मंडियों में भेजे जा रहे हैं.
कोल्ड स्टोर का सेब मंडियों में भेजना शुरू: वहीं, रामपुर के साथ लगते क्षेत्र बीथल में मौजूद कोल्ड स्टोर का सेब अडानी और बीजा कंपनीयों द्वारा विभिन्न मंडियों में भेजना शुरू कर दिया गया है. अडानी और बीजा एग्री फ्रेश कंपनियों ने ये सेब बीते साल अगस्त के आखिरी सप्ताह में बागवानों से लेना शुरू किया था और कोल्ड स्टोर में रखा था. वहीं, अब सेब सीजन खत्म होते ही कंपनियों ने कोल्ड स्टोर से सेब को निकालना शुरू कर दिया है. ये सेब 6 महीने बीत जाने के बाद भी बेहद स्वादिष्ट और रसीला है. सेब को देखकर आप कहेंगे कि ये बिल्कुल फ्रेश सेब हैं.
एक पेटी 2600 रुपये में बिक रही: बीजा कंपनी द्वारा ये सेब फिर से ग्रेड किया जा रहा है. उसके बाद ही सेब को पेटी में पैक करके मंडियों में भेजा जा रहा है. कोल्ड स्टोर के जनरल मैनेजर जय गोपाल शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा रॉयल वैरायटी सेब लेना अगस्त के अखिरी महीने में शुरू कर दिया गया था, और सेब करीब नवंबर माह तक लिया गया. उन्होंने बताया कि किन्नौर, रामपुर, आनी, ननखड़ी, कोटगढ़ के बागवानों से यह सेब लिया गया है. उनके द्वारा 250 लाख तक सेब की पेटियां स्टोर की गई हैं. जिन्हें दिल्ली के साथ-साथ अन्य विभिन्न मंडियों में बेचा जा रहा है. उन्होंने बताया कि एक पेटी 2600 रुपये में बिक रही है.
सेब को फ्रेश रखने के लिए रासायनिक दवाइयों का प्रयोग नहीं: उन्होंने बताया कि यदि सेब के रख रखाव की बात की जाए तो इसके लिए भी बेहतर व्यवस्था होना बेहद जरुरी है. वरना सेब खराब भी हो सकता है. सेब को रखने के लिए सही चेंबर व उसमें उचित तापमान मायने रखता है. यदि तापमान में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत आ जाए तो समस्या पेश आ सकती है. बिजली के कट लगने पर लाइट की व्यवस्था करना मुख्य कार्य है. उन्होंने बताया कि सेब को फ्रेश रखने के लिए किसी भी प्रकार के रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
बागवानों की सबसे बड़ी डिमांड कोल्ड स्टोरेज: वहीं, बागवानों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि प्रदेश में कोल्ड स्टोर खोले जाएं. बागवानों का कहना है कि शिमला जिले में ही नहीं किन्नौर, कुल्लू में भी सेब की बेहतरीन पैदावार होती है. लेकिन यहां पर सेब के भंडारण के लिए कोल्ड स्टोर नामात्र के हैं. ऐसे में बागवानों को उनकी महेनत के भी उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं. बागवानों का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी डिमांड कोल्ड स्टोरेज और फूड प्रोसेसिंग यूनिट है. ताकि उनकी फसल खराब न हो और उसे स्टोर किया जा सके.
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