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राहत पैकेज से कृषि विशेषज्ञ नाखुश, कहा- लोन देने के बजाए कर्ज माफी करे सरकार - हिमाचल में लॉकडाउन

आर्थिक पैकेज को लेकर कृषि विशेषज्ञ जीयालाल ने कहा कि प्रदेश के किसानों को केंद्र सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया पैकेज एक लोन पैकेज की तरह है. जीयालाल ने कहा कि लोन देने के बजाए सरकार कर्ज माफी करे.

कृषि विशेषज्ञ
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Published : May 15, 2020, 8:59 AM IST

Updated : May 15, 2020, 12:20 PM IST

शिमला: कोरोना वायरस और उसके आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया. आर्थिक पैकेज को लेकर कृषि विशेषज्ञ जीयानंद ने कहा कि प्रदेश के किसानों को केंद्र सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया पैकेज एक लोन पैकेज की तरह है. उन्होंने कहा कि लोन देने के बजाए सरकार कर्ज माफी करे.

जीयानंद ने कहा कि फूल, सब्जी और फसल में किसानों को भारी नुकसान हुआ है इसलिए किसान किसी भी तरह का लोन लेने में सक्षम नहीं है. अगर उन्हें प्रदेश सरकार या केंद्र सरकार की तरफ से बिना किसी गारंटी के लोन मिल भी जाता है तो वर्तमान में किसान इस योग्य नहीं है कि वह कर्ज की किश्त दे पाए. किसान सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद करता है ताकि अगली फसल के लिए बीज, कीटनाशक और खाद के साथ-साथ अन्य जरूरी चीजों के लिए खर्च कर सके.

जीयानंद ने कहा की हिमाचल में अधिकतर किसान कम भूमि पर खेती बाड़ी करते हैं जिसके कारण उन्हें कृषि के साथ-साथ अन्य व्यवसाय पर भी निर्भर रहना पड़ता है. प्रदेश में कृषि के अलावा पर्यटन बड़ा व्यवसाय है और छोटे किसान पर्यटन स्थलों पर जाकर भी कुछ कमाई करते हैं, जिससे उनकी रोजी-रोटी चल सके. लॉकडाउन के कारण वह व्यवसाय भी बंद हो गया है.

जीयानंद ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित किया गया यह पैकेज किसानों के लिए पर्याप्त नहीं है. फूल उत्पादकों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस बार सबसे अधिक नुकसान फूल उत्पादकों को हुआ है क्योंकि यह पूरी तरह से बाहरी राज्यों और विदेशों से संबंधित है. प्रदेश के किसान का फूल इस बार खेतों में ही सड़ गया है जिसके कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा.

कृषि हिमाचल के लोगों का मुख्य व्यवसाय है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण स्थान है. प्रदेश की 89.96 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है इसलिए कृषि व बागवानी पर प्रदेश के लोगों की निर्भरता अधिक है और कृषि से राज्य के कुल कामगारों में से लगभग 69 प्रतिशत को रोजगार उपलब्ध होता है.

जीयानंद ने कहा कि प्रदेश में कुल 55.67 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से 9.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र 9.61 लाख किसानों द्वारा जोता जाता है. प्रदेश में औसतन जोत एक हेक्टेयर है कुल 14 में से 87.95 प्रतिशत जोतें लघु व सीमांत किसानों की है. लगभग 11.71प्रतिशत और अर्ध मध्यम या मध्यम के पास है और केवल 0.34 प्रतिशत जोते बड़े किसानों की हैं.

शिमला: कोरोना वायरस और उसके आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया. आर्थिक पैकेज को लेकर कृषि विशेषज्ञ जीयानंद ने कहा कि प्रदेश के किसानों को केंद्र सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया पैकेज एक लोन पैकेज की तरह है. उन्होंने कहा कि लोन देने के बजाए सरकार कर्ज माफी करे.

जीयानंद ने कहा कि फूल, सब्जी और फसल में किसानों को भारी नुकसान हुआ है इसलिए किसान किसी भी तरह का लोन लेने में सक्षम नहीं है. अगर उन्हें प्रदेश सरकार या केंद्र सरकार की तरफ से बिना किसी गारंटी के लोन मिल भी जाता है तो वर्तमान में किसान इस योग्य नहीं है कि वह कर्ज की किश्त दे पाए. किसान सरकार से राहत पैकेज की उम्मीद करता है ताकि अगली फसल के लिए बीज, कीटनाशक और खाद के साथ-साथ अन्य जरूरी चीजों के लिए खर्च कर सके.

जीयानंद ने कहा की हिमाचल में अधिकतर किसान कम भूमि पर खेती बाड़ी करते हैं जिसके कारण उन्हें कृषि के साथ-साथ अन्य व्यवसाय पर भी निर्भर रहना पड़ता है. प्रदेश में कृषि के अलावा पर्यटन बड़ा व्यवसाय है और छोटे किसान पर्यटन स्थलों पर जाकर भी कुछ कमाई करते हैं, जिससे उनकी रोजी-रोटी चल सके. लॉकडाउन के कारण वह व्यवसाय भी बंद हो गया है.

जीयानंद ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित किया गया यह पैकेज किसानों के लिए पर्याप्त नहीं है. फूल उत्पादकों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस बार सबसे अधिक नुकसान फूल उत्पादकों को हुआ है क्योंकि यह पूरी तरह से बाहरी राज्यों और विदेशों से संबंधित है. प्रदेश के किसान का फूल इस बार खेतों में ही सड़ गया है जिसके कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा.

कृषि हिमाचल के लोगों का मुख्य व्यवसाय है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण स्थान है. प्रदेश की 89.96 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है इसलिए कृषि व बागवानी पर प्रदेश के लोगों की निर्भरता अधिक है और कृषि से राज्य के कुल कामगारों में से लगभग 69 प्रतिशत को रोजगार उपलब्ध होता है.

जीयानंद ने कहा कि प्रदेश में कुल 55.67 लाख हेक्टेयर भौगोलिक क्षेत्र में से 9.55 लाख हेक्टेयर क्षेत्र 9.61 लाख किसानों द्वारा जोता जाता है. प्रदेश में औसतन जोत एक हेक्टेयर है कुल 14 में से 87.95 प्रतिशत जोतें लघु व सीमांत किसानों की है. लगभग 11.71प्रतिशत और अर्ध मध्यम या मध्यम के पास है और केवल 0.34 प्रतिशत जोते बड़े किसानों की हैं.

Last Updated : May 15, 2020, 12:20 PM IST
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