शिमला: हिमाचल में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार बनते ही नया निजाम मुसीबत में आ गया. सीमेंट ढुलाई के दाम अधिक होने का तर्क देकर बरमाणा और दाड़ला में अडानी समूह के प्लांट ने प्रोडक्शन बंद कर दिया. राज्य में सीमेंट की कमी के कारण निर्माण कार्य प्रभावित होने के आसार पैदा हो गए, लेकिन ऐन वक्त पर एक अन्य औद्योगिक घराना हिमाचल की नई सरकार का सहारा बनकर सामने आ गया. (Adani shut down cement plants in himachal)
अल्ट्राटेक को दिए एसीसी और अंबुजा के ऑर्डर- एसीसी और अंबुजा के सीमेंट प्लांट में उत्पादन बंद होने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें दिए गए ऑर्डर अन्य सीमेंट कंपनी अल्ट्राटेक को दे दिए हैं. अल्ट्राटेक बिड़ला समूह की कंपनी है. फिलहाल पांच दिन से एसीसी और अंबुजा सीमेंट कंपनी से सीमेंट की आपूर्ति बाधित है. ऐसे में सरकार ने उक्त दोनों कंपनियों को पूर्व में दिए गए 6000 टन सीमेंट सप्लाई का ऑर्डर अल्ट्राटेक को डायवर्ट कर दिए हैं. यही नहीं, अल्ट्राटेक को इसके लिए अधिक पैसा भी चुकाया जाएगा. प्रति बैग 20 रुपए अतिरिक्त दिए जाएंगे. वहीं, अल्ट्राटेक ने भी रोजाना सीमेंट की प्रोडक्शन को 5000 टन बढ़ाने का फैसला लिया है. इस प्रकार हिमाचल सरकार को अपने काम के लिए सीमेंट की कमी नहीं होगी. (Himachal govt places cement order to Ultratech) (ACC and Ambuja Cement Plant Shut down in Himachal)
यहां जानना दिलचस्प है कि आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी अल्ट्राटेक का सीमेंट कारखाना कभी जेपी ग्रुप के पास था. पांच साल पहले बिड़ला ग्रुप ने 4 हजार करोड़ रुपए में इसका अधिग्रहण किया था. हिमाचल के इतिहास का ये सबसे महंगा अधिग्रहण था.
अडानी ने खरीदा था एसीसी और अंबुजा- हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही विश्व का नामी औद्योगिक घराना अडानी इस समय खूब चर्चा में है. हिमाचल में सीमेंट प्रोडक्शन के लिए चर्चित एसीसी और अंबुजा कंपनियों को अडानी ने खरीद लिया था. राज्य में केवल चार सीमेंट कारखाने हैं. उनमें से दो अडानी के स्वामित्व में है. अब अडानी के समूह वाले कारखानों में उत्पादन बंद होने के बाद आदित्य बिड़ला समूह का अल्ट्राटेक सप्लाई पूरी कर रहा है. ये सीमेंट प्लांट सोलन जिला के बागा में स्थापित है. पहले ये जेपी कंपनी का हुआ करता था. (Ultratech Cement Plant in Himachal)
साल 2017 में इसका अधिग्रहण हुआ और ये बिड़ला समूह के पास आ गया. तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार की मंजूरी के बाद जेपी कंपनी का ये प्लांट आदित्य बिड़ला का हो गया था. जेपी कंपनी के साथ विवाद के दौरान इलाके के चार हजार ट्रक ऑपरेटर्स परेशान थे. उन ट्रक ऑपरेटर्स का करीब तीस करोड़ रुपये ढुलाई भाड़ा भी फंसा हुआ था. अधिग्रहण के बाद उस भाड़े को बिड़ला ग्रुप ने अदा किया था. जेपी ग्रुप पर ये भाड़ा काफी अरसे से लंबित था. जून 2017 में हुए इस सौदे से उस समय राज्य सरकार को भी धरोहर राशि के तौर पर 192 करोड़ रुपए मिले थे. (Cement Plants in Himachal)
जेपी समूह लंबे अरसे से इस सीमेंट प्लांट को चला रहा था. कर्ज के बोझ को हल्का करने के लिए जेपी समूह ने इस सीमेंट प्लांट को बेचने का मन बनाया था. बिड़ला समूह ने इसे अधिग्रहित करने की इच्छा जताई थी. इस सीमेंट प्लांट की क्षमता चार मिलियन टन की है. हिमाचल में सीमेंट उद्योग के विस्तार की काफी संभावनाएं हैं. चंबा के सिकरीधार और अप्पर शिमला में भी सीमेंट प्लांट स्थापित करने के लिए प्रयास जारी हैं. फिलहाल, हिमाचल की नई सरकार के सामने अडानी समूह के दो सीमेंट प्लांट को लेकर जारी विवाद सुलझाने की चुनौती है. अडानी समूह ढुलाई का दाम कम करना चाहता है लेकिन ट्रक ऑपरेटर्स की अपनी दलील है. ट्रक ऑपरेटर्स के मुताबिक वो साल 2019 से इसी दाम पर ढुलाई कर रहे हैं जिसे बढ़ाने की बजाय कंपनी अब घटाने का हवाला दे रही है. फिलहाल, नई दिल्ली में कंपनी प्रतिनिधियों ने सीएम सुखविंदर सिंह से चर्चा की है. देखना है कि विवाद सुलझता है या नहीं. तब तक अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी का हिमाचल को सहारा मिला है.