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सरकार के फैसलों के खिलाफ बयानबाजी करना शिक्षकों को पड़ेगा महंगा, उच्च शिक्षा निदेशालय ने जारी किया पत्र

उच्च शिक्षा निदेशालय ने शिक्षक संघों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसते हुए कहा कि अगर सरकार के निर्णयों पर मीडिया या सोशल मीडिया में विरोधाभासी बयान दिया तो कार्रवाई होगी. जारी पत्र में सभी शिक्षा उप निदेशकों और स्कूल प्रिंसिपलों को निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों को इस संदर्भ में जागरूक किया जाए.

उच्च शिक्षा निदेशालय हिमाचल
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Published : Apr 18, 2021, 10:05 AM IST

शिमला: उच्च शिक्षा निदेशालय ने शिक्षक संघों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार के निर्णय पर मीडिया या सोशल मीडिया में विरोधाभासी बयान दिया तो कार्रवाई होगी. निदेशालय द्वारा जारी आदेशों के अनुसार प्रदेश सरकार के निर्णयों को लेकर अध्यापक संघों या कर्मचारियों ने विरोधाभासी बयान दिया तो उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी.

सरकार के फैसलों पर बयान दे रहे शिक्षक

जारी पत्र में सभी शिक्षा उप निदेशकों और स्कूल प्रिंसिपलों को निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों को इस संदर्भ में जागरूक किया जाए. पत्र में कहा गया है कि यह देखा जा रहा है कि अध्यापक संघ और कर्मचारी समाचार पत्रों या सोशल मीडिया के माध्यम से खुले तौर पर सरकार के फैसलों पर विरोधाभासी बयान दे रहे हैं जो कि सरकारी कर्मचारियों पर लागू केंद्रीय सिविल सेवा नियम 1964 का उल्लंघन है.

अध्यापक संघों को जागरूक करने की निर्देश

उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है कि सभी शिक्षा उप निदेशकों और प्रिंसिपल को निर्देश दिए जाते हैं कि अपने अधीनस्थ समस्त कर्मचारियों और अध्यापक संघों को इस बारे में जागरूक करें.

ये भी पढ़ें- 'कोरोना काल में हुआ करोड़ों का घोटाला, जयराम सरकार ने अपने चहेतों को दिया था सेनिटाइजर-मास्क का ठेका'

शिमला: उच्च शिक्षा निदेशालय ने शिक्षक संघों और कर्मचारियों पर शिकंजा कसा है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार के निर्णय पर मीडिया या सोशल मीडिया में विरोधाभासी बयान दिया तो कार्रवाई होगी. निदेशालय द्वारा जारी आदेशों के अनुसार प्रदेश सरकार के निर्णयों को लेकर अध्यापक संघों या कर्मचारियों ने विरोधाभासी बयान दिया तो उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी.

सरकार के फैसलों पर बयान दे रहे शिक्षक

जारी पत्र में सभी शिक्षा उप निदेशकों और स्कूल प्रिंसिपलों को निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों को इस संदर्भ में जागरूक किया जाए. पत्र में कहा गया है कि यह देखा जा रहा है कि अध्यापक संघ और कर्मचारी समाचार पत्रों या सोशल मीडिया के माध्यम से खुले तौर पर सरकार के फैसलों पर विरोधाभासी बयान दे रहे हैं जो कि सरकारी कर्मचारियों पर लागू केंद्रीय सिविल सेवा नियम 1964 का उल्लंघन है.

अध्यापक संघों को जागरूक करने की निर्देश

उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है कि सभी शिक्षा उप निदेशकों और प्रिंसिपल को निर्देश दिए जाते हैं कि अपने अधीनस्थ समस्त कर्मचारियों और अध्यापक संघों को इस बारे में जागरूक करें.

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