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बड़े हादसे के इंतजार में नगर निगम! शहर में 300 भवन असुरक्षित, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा - व्यावसायिक केंद्र

शिमला में 300 के करीब भवनों को नगर निगम ने असुरक्षित घोषित किया है. इन भवनों को तोड़ने या खाली करवाने को लेकर अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई जिससे हादसों का खतरा बना हुआ है.

शिमला में असुरक्षित भवन
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Published : Jul 15, 2019, 9:23 PM IST

शिमला: ब्रिटिश शासनकाल के समय में बसाई गई राजधानी शिमला की ज्यादातर इमारतें आज अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं. इसमें से कई भवन गिरने की कगार पर हैं, लेकिन लोग उन्हें खाली नहीं कर रहे.

unsafe buildings in shimla
शिमला में असुरक्षित भवन

शिमला शहर में 300 के करीब भवन ऐसे हैं जिन्हें नगर निगम ने असुरक्षित तो घोषित किया है. दो साल में ही 40 भवनों को नगर निगम असुरक्षित घोषित कर चुका है, लेकिन इन भवनों को तोड़ने या खाली करवाने को लेकर कोई कार्रवाई अमल में नहीं ला रहा है. इसके चलते प्रशासन खुद ही किसी बड़े हादसे को दावत दे रहा है.

unsafe buildings in shimla
शिमला में असुरक्षित भवन

नगर निगम शिमला में सबसे अधिक असुरक्षित भवन लोअर बाजार, मिडल बाजार, कृष्णा नगर में है. ये इलाके शहर के व्यावसायिक केंद्र में हैं. यहां बड़ी संख्या में लोग रहते हैं और अकसर भीड़भाड़ का माहौल रहता है. ऐसे में अगर कोई हादसा दिन के वक्त या बाजार के बीचोबीच होता है तो उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

शिमला में असुरक्षित भवन

बता दें कि हर साल बरसात में शिमला में असुरक्षित भवन ताश के पत्तों की तरह ढह रहे हैं. संजौली ढली बाइपास पर पिछले चार साल से बहुमंजिला भवनों के गिरने का सिलसिला जारी है. लक्कड़ बाजार सिंकिंग जोन में करीब 15 साल पहले कई भवन तहत-नहस हुए थे. लक्कड़ बाजार बस स्टैंड के पास ईदगाह में भूस्खलन के कारण ऐसी आपदा आई थी. हादसे होने के बाद भी नगर निगम की नींद नहीं खुल रही है. नगर निगम भवनों को असुरक्षित घोषित कर खाना पूर्ति कर अपना पल्ला झाड़ रहा है. निगम खानापूर्ति के लिए भवन मालिकों को नोटिस जारी कर रहा है.

unsafe buildings in shimla
शिमला में असुरक्षित भवन

निगम वास्तुकार राजीव शर्मा का कहना है कि निगम ने ऐसे भवनों की सूची तैयार की है, जो गिरने के कगार पर हैं और कभी भी बड़े हादसे को अंजाम दे सकते हैं. इन भवनों में रहने वाले लोगों को मकान खाली करने के आदेश भी दिए हैं, लेकिन मकान मालिक और किराएदारों में आपसी झगड़ों के चलते इन मकानों को खाली नहीं किया जा रहा है. नगर निगम ने इसके लिए कमेटी का गठन किया है जो इन भवनों का निरीक्षण करती है. पिछले दो साल में 40 भवनों को असुरक्षित घोषित किया गया है. वहीं, अब कुमारहट्टी में हादसा होने के बाद अब नगर निगम की नींद भी खुली है. नगर निगम ने शहर में असुरक्षित भवनों का निरीक्षण करने के निर्देश जारी किये हैं.

ये भी पढ़ें - ऊना पुलिस ने पकड़े 27 लाख की ठगी के 2 शातिर, MBA स्टूडेंट है एक आरोपी

शिमला: ब्रिटिश शासनकाल के समय में बसाई गई राजधानी शिमला की ज्यादातर इमारतें आज अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं. इसमें से कई भवन गिरने की कगार पर हैं, लेकिन लोग उन्हें खाली नहीं कर रहे.

unsafe buildings in shimla
शिमला में असुरक्षित भवन

शिमला शहर में 300 के करीब भवन ऐसे हैं जिन्हें नगर निगम ने असुरक्षित तो घोषित किया है. दो साल में ही 40 भवनों को नगर निगम असुरक्षित घोषित कर चुका है, लेकिन इन भवनों को तोड़ने या खाली करवाने को लेकर कोई कार्रवाई अमल में नहीं ला रहा है. इसके चलते प्रशासन खुद ही किसी बड़े हादसे को दावत दे रहा है.

unsafe buildings in shimla
शिमला में असुरक्षित भवन

नगर निगम शिमला में सबसे अधिक असुरक्षित भवन लोअर बाजार, मिडल बाजार, कृष्णा नगर में है. ये इलाके शहर के व्यावसायिक केंद्र में हैं. यहां बड़ी संख्या में लोग रहते हैं और अकसर भीड़भाड़ का माहौल रहता है. ऐसे में अगर कोई हादसा दिन के वक्त या बाजार के बीचोबीच होता है तो उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

शिमला में असुरक्षित भवन

बता दें कि हर साल बरसात में शिमला में असुरक्षित भवन ताश के पत्तों की तरह ढह रहे हैं. संजौली ढली बाइपास पर पिछले चार साल से बहुमंजिला भवनों के गिरने का सिलसिला जारी है. लक्कड़ बाजार सिंकिंग जोन में करीब 15 साल पहले कई भवन तहत-नहस हुए थे. लक्कड़ बाजार बस स्टैंड के पास ईदगाह में भूस्खलन के कारण ऐसी आपदा आई थी. हादसे होने के बाद भी नगर निगम की नींद नहीं खुल रही है. नगर निगम भवनों को असुरक्षित घोषित कर खाना पूर्ति कर अपना पल्ला झाड़ रहा है. निगम खानापूर्ति के लिए भवन मालिकों को नोटिस जारी कर रहा है.

unsafe buildings in shimla
शिमला में असुरक्षित भवन

निगम वास्तुकार राजीव शर्मा का कहना है कि निगम ने ऐसे भवनों की सूची तैयार की है, जो गिरने के कगार पर हैं और कभी भी बड़े हादसे को अंजाम दे सकते हैं. इन भवनों में रहने वाले लोगों को मकान खाली करने के आदेश भी दिए हैं, लेकिन मकान मालिक और किराएदारों में आपसी झगड़ों के चलते इन मकानों को खाली नहीं किया जा रहा है. नगर निगम ने इसके लिए कमेटी का गठन किया है जो इन भवनों का निरीक्षण करती है. पिछले दो साल में 40 भवनों को असुरक्षित घोषित किया गया है. वहीं, अब कुमारहट्टी में हादसा होने के बाद अब नगर निगम की नींद भी खुली है. नगर निगम ने शहर में असुरक्षित भवनों का निरीक्षण करने के निर्देश जारी किये हैं.

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Intro:

शिमला ! पहाड़ो की रानी शिमला में भी नगर निगम और सरकार बड़े हादसे का इन्तजार कर रहा है ! हादसे होने के बाद भी न तो सरकार की और न ही नगर निगम की नींद खुल रही है ।ब्रिटिश शासनकाल के समय में बसाई गई राजधानी शिमला की अधिकाश इमारतें आज अपनी उम्र पूरी कर चुकी हैं जिसमे से कई भवन घिरने की कगार पर है लेकिन लोग उन्हें खाली नही कर रहे है ! शिमला शहर में 300 के करीब भवन ऐसे है जिन्हें नगर निगम ने असुरक्षित तो घोषित किये है दो साल में ही 40 भवनों को नगर निगम असुरक्षित घोषित कर चूका है ! लेकिन इन भवनों को तोड़ने या खाली करवाने को लेकर कोई कारवाही अमल में नही ला रहा है ! जिसके चलते प्रशासन खुद ही किसी बड़े हादसे को दावत दे रहा है !
नगर निगम शिमला के क्षेत्र में सबसे अधिक असुरक्षित भवन लोअर बाजार, मिडल बाजार, कृष्णा नगर में है। ये इलाके शहर का जहा व्यावसायिक केंद्र हैं, वहीं यहा बड़ी संख्या में लोग भी रहते हैं और अकसर भीड़भाड़ का माहौल रहता है। ऐसे में यदि कोई हादसा दिन के वक्त या बाजार के बीचोबीच होता है तो उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
Body:बता दे हर साल बरसात में शिमला में असुरक्षित भवन ताश के पत्तों की तरह ढह रहे हैं। संजौली ढली बाइपास पर पिछले चार साल से बहुमंजिला भवनों के गिरने का सिलसिला जारी है। लक्कड़ बाजार सिंकिंग जोन में करीब 15 साल पहले कई भवन तहत-नहस हुए थे। लक्कड़ बाजार बस स्टैंड के समीप ईदगाह में भूस्खलन के कारण ऐसी आपदा आई थी। हादसे होने के बाद भी नगर निगम की नींद नही खुल रही है ! नगर निगम भवनों को असुरक्षित घोषित कर खाना पूर्ति कर अपना पल्ला झाड रहा है ! निगम खानापूर्ति के लिए भवन मालिको को नोटिस जारी कर रहा है !
निगम वास्तुकार राजीव शर्मा का कहना है कि निगम ने ऐसे भवनों की सूची तैयार की है, जो गिरने के कगार पर है और कभी भी बड़े हादसे को अंजाम दे सकते हैं ! इन भवनों में रहने वाले लोगों को मकान खाली करने के आदेश भी दिए हैं लेकिन मकान मालिक और किराएदारों में आपसी झगड़ों के चलते इन मकानों को खाली नहीं किया जा रहा है ! उन्होंने कहा कि नगर निगम ने इसके लिए कमेटी का गठन किया है जो इन भवनों का निरिक्षण करती है ! उन्होंने कहा की पिछले दो सालो में 40 भवनों को असुरक्षित घोषित किया गया है !

Conclusion:अब करेगे असुरक्षित भवनों का निरिक्षण

कुमारहट्टी में हादसा होने के बाद अब नगर निगम की नींद भी खुली है नगर निगम ने शहर में असुरक्षित भवनों का निरिस्खन करने के निर्देश जारी किये है और अधिकारीयों को शहर में असुरक्षित भवनों की सूचि तैयार कर इन भवनों को खाली करवाने के निर्देश जारी करने को कहा है !



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