शिमला: प्रदेश में फर्जी डिग्रियां बांट रहे निजी विश्वविद्यालयों और सरकार की कार्यप्रणाली के खिलाफ छात्र संगठनों ने अपना विरोध जताया. इसी को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर नारेबाजी की. इसके साथ ही निजी नियामक आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए. वहीं ,सरकार पर भी इस फर्जीवाड़े को लेकर सवाल खड़े किए. छात्रों ने कहा कि सरकार की कारगुजारी है जिसके चलते निजी विश्वविद्यालय इस तरह के फर्जीवाड़ा कर शिक्षा को बेच रहे है.
इस दौरान नियामक आयोग के चेयरमैन डॉ. केके कटोच के खिलाफ भी नारेबाजी की गई. एबीवीपी जिला संयोजक सचिन ने बताया शिक्षा को पैसों में तोलने की रणनीति बनाने वालों के खिलाफ सरकार को कड़ा कदम उठाना चाहिए. साथ ही राज्य निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का शिक्षा के प्रति सुस्त रवैया बिल्कुल सही नहीं है .
विद्यार्थी परिषद सरकार को चेतावनी देती है कि जल्द से जल्द इस मामले की पूरी जांच कर घोटाले में जो भी दोषी है उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए. निजी विश्वविद्यालय ने अपने एजेंटों के माध्यम से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली,पश्चिम बंगाल सहित दक्षिण भारत के कुछ राज्यों सहित श्रीलंका में डिग्रियां बेची हैं .इन डिग्रियों को बेचकर करोड़ों रुपए कमाए. वहीं, सरकार को इस बारे में यूजीसी ने 7 महीने पहले ही जानकारी दे दी थी , लेकिन सरकार अभी तक इन विश्वविद्यालयों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. जिससे सरकार की मंशा पर भी कहीं ना कहीं सवाल जरूर उठता है. उन्होंने सरकार से मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग भी की हैं.
एबीवीपी के छात्र नेताओं का कहना है कि निजी विश्वविद्यालयों ने लाखों डिग्रियां बेची है और इसके बदले करोड़ों रुपया कमाया है. इससे पहले भी एक यूनिवर्सिटी तो छात्रवृत्ति घोटाले में भी जांच के दायरे में है . इसके बाद यह एक ओर फर्जीवाड़ा अब सामने आया है.
बता दें कि एबीवीपी ने इससे पहले भी राज्य शिक्षण संस्थान निजी नियामक आयोग के चेयरमैन डॉ. के. के कटोच के खिलाफ अपना मोर्चा खोला था उन्हें पद से हटाने की भी मांग की थी. अब ऐसे में एक बार फिर से एबीवीपी ने आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं.