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सालाना 10 लाख का पैकेज ले रहा जेल में बंद कैदी, डिजाइन किए कई सॉफ्टवेयर - online class in jail

दूसरे राज्य का व्यक्ति हिमाचल में उम्र कैद की सजा भुगत रहा है. कैदी ने तकनीक के क्षेत्र में कई डिग्रियां प्राप्त की है और दिमाग बेहद इनोवेटिव है. यही वजह है कि सजायाफ्ता कैदी समाज में युवाओं के लिए एक आदर्श बनकर उभरा है. दसवीं और बारहवीं के छात्रों को ऑनलाइन साइंस की कक्षाएं पढ़ रहा है.

कॉन्सेप्ट इमेज.
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Published : Oct 28, 2020, 12:45 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 2:56 PM IST

शिमला: अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां चाहे कितनी भी विपरीत क्यों न हो आपको कभी रोक नहीं सकती. इसका प्रमाण हिमाचल की जेल में बंद एक कैदी है. दूसरे राज्य के इस कैदी को हिमाचल में उम्र कैद की सजा हो गई.

जेल में बंद कैदी उम्र कैद की सजा भुगत रहा है लेकिन तकनीक के क्षेत्र में कई डिग्रियां प्राप्त की हैं. दिमाग बेहद इनोवेटिव है. सजायाफ्ता कैदी समाज में युवाओं के लिए एक आदर्श बनकर उभरा है. दसवीं और बारहवीं के छात्रों को ऑनलाइन साइंस की कक्षाएं पढ़ रहा है. एक कोचिंग संस्थान ने इस कैदी से 10वीं और 12वीं के बच्चों को पढ़ाने के लिए सलाना 10 लाख का करार किया है.

कभी होनहार छात्र रहे इस कैदी ने राष्ट्रीय स्तर के एक तकनीकी संस्थान में पढ़ाई कर रहा था, लेकिन साल 2010 में अपनी प्रेमिका के साथ आत्महत्या की कोशिश के दौरान प्रेमिका की मौत हो गई, लेकिन इस कैदी की जान बच गई. कोर्ट ने दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई.

केंद्रीय आदर्श सुधार गृह.
केंद्रीय आदर्श सुधार गृह.

सबसे पहले इस कैदी को जेल में आटा गूंथने का काम दिया जाता था. कभी लंगर तो कभी जेल की बेकरी में काम करता था, लेकिन कारागार विभाग की पहल 'हर हाथ को काम' के तहत उससे उसके काम के बारे में पूछा गया. इस दौरान कैदी ने बताया कि उसने तकनीकी संस्थान से पढ़ाई की है और सॉफ्टवेयर बनाना जानता है.

इसके बाद कैदी को एक लैपटॉप दिया गया. उसने सबसे पहले जेल विभाग में भर्ती के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया. उसके बाद जेल विजिटर मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और फिर जेलों की रिपोर्ट संबंधी सॉफ्टवेयर बनाए. कैदी के इस हुनर से इन कार्यों पर होने वाले खर्चे में 70 फीसदी की राशि बचत होने लगी.

कैदी ने बताया कि किसी भी इंसान से एक बार गलती हो जाती है, लेकिन नियति ने मुझे इस गलती को सुधारने का बड़ा मौका दिया है. मैं बड़ा काम करना चाहता हूं. बड़े काम के सहारे बड़ा आदमी बनने की चाहत रखता हूं. मैं सही ट्रैक पर जीवन जी रहा हूं. इसी सिद्धांत पर आगे भी चलना चाहता हूं. सभी से हाथ जोड़कर आग्रह है कि वह मेरा सहयोग करें, लेकिन जिस तरह का मौका जेल प्रशासन ने मुझे दिया है मैं उसी के सहारे आगे बढ़ रहा हूं.

कैदी ने कहा कि मैं पिछली जिंदगी को भूल जाना चाहता हूं. नए सिरे से मैं नई सोच, जोश के साथ आगे बढ़ूंगा जो भी बाधाएं आएगी उन्हें खुशी-खुशी पार पा लूंगा. समाज को अभी ज्यादा संदेश देने की स्थिति में नहीं हूं. जब कभी भी बड़ा आदमी बनूंगा, जरूर सकारात्मक संदेश दूंगा. मुझे अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा है. लगता है मेरे सपने जरूर साकार होंगे.

बता दें कि जेल प्रशासन ने कैदियों को रोजगार से जोड़ने की नई पहल की है. कैदी कई तरह का हुनर सीख रहे हैं. कोई बेकरी प्रोडक्ट बना रहा है तो कोई टेलरिंग का काम सीख रहा है.

ये भी पढ़ें: PCC चीफ राठौर ने उपाध्यक्षों और महासचिवों को सौंपा दायित्व, इन नेताओं को मिली जिम्मेवारी

शिमला: अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो परिस्थितियां चाहे कितनी भी विपरीत क्यों न हो आपको कभी रोक नहीं सकती. इसका प्रमाण हिमाचल की जेल में बंद एक कैदी है. दूसरे राज्य के इस कैदी को हिमाचल में उम्र कैद की सजा हो गई.

जेल में बंद कैदी उम्र कैद की सजा भुगत रहा है लेकिन तकनीक के क्षेत्र में कई डिग्रियां प्राप्त की हैं. दिमाग बेहद इनोवेटिव है. सजायाफ्ता कैदी समाज में युवाओं के लिए एक आदर्श बनकर उभरा है. दसवीं और बारहवीं के छात्रों को ऑनलाइन साइंस की कक्षाएं पढ़ रहा है. एक कोचिंग संस्थान ने इस कैदी से 10वीं और 12वीं के बच्चों को पढ़ाने के लिए सलाना 10 लाख का करार किया है.

कभी होनहार छात्र रहे इस कैदी ने राष्ट्रीय स्तर के एक तकनीकी संस्थान में पढ़ाई कर रहा था, लेकिन साल 2010 में अपनी प्रेमिका के साथ आत्महत्या की कोशिश के दौरान प्रेमिका की मौत हो गई, लेकिन इस कैदी की जान बच गई. कोर्ट ने दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई.

केंद्रीय आदर्श सुधार गृह.
केंद्रीय आदर्श सुधार गृह.

सबसे पहले इस कैदी को जेल में आटा गूंथने का काम दिया जाता था. कभी लंगर तो कभी जेल की बेकरी में काम करता था, लेकिन कारागार विभाग की पहल 'हर हाथ को काम' के तहत उससे उसके काम के बारे में पूछा गया. इस दौरान कैदी ने बताया कि उसने तकनीकी संस्थान से पढ़ाई की है और सॉफ्टवेयर बनाना जानता है.

इसके बाद कैदी को एक लैपटॉप दिया गया. उसने सबसे पहले जेल विभाग में भर्ती के लिए एक सॉफ्टवेयर बनाया. उसके बाद जेल विजिटर मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और फिर जेलों की रिपोर्ट संबंधी सॉफ्टवेयर बनाए. कैदी के इस हुनर से इन कार्यों पर होने वाले खर्चे में 70 फीसदी की राशि बचत होने लगी.

कैदी ने बताया कि किसी भी इंसान से एक बार गलती हो जाती है, लेकिन नियति ने मुझे इस गलती को सुधारने का बड़ा मौका दिया है. मैं बड़ा काम करना चाहता हूं. बड़े काम के सहारे बड़ा आदमी बनने की चाहत रखता हूं. मैं सही ट्रैक पर जीवन जी रहा हूं. इसी सिद्धांत पर आगे भी चलना चाहता हूं. सभी से हाथ जोड़कर आग्रह है कि वह मेरा सहयोग करें, लेकिन जिस तरह का मौका जेल प्रशासन ने मुझे दिया है मैं उसी के सहारे आगे बढ़ रहा हूं.

कैदी ने कहा कि मैं पिछली जिंदगी को भूल जाना चाहता हूं. नए सिरे से मैं नई सोच, जोश के साथ आगे बढ़ूंगा जो भी बाधाएं आएगी उन्हें खुशी-खुशी पार पा लूंगा. समाज को अभी ज्यादा संदेश देने की स्थिति में नहीं हूं. जब कभी भी बड़ा आदमी बनूंगा, जरूर सकारात्मक संदेश दूंगा. मुझे अपनी मेहनत पर पूरा भरोसा है. लगता है मेरे सपने जरूर साकार होंगे.

बता दें कि जेल प्रशासन ने कैदियों को रोजगार से जोड़ने की नई पहल की है. कैदी कई तरह का हुनर सीख रहे हैं. कोई बेकरी प्रोडक्ट बना रहा है तो कोई टेलरिंग का काम सीख रहा है.

ये भी पढ़ें: PCC चीफ राठौर ने उपाध्यक्षों और महासचिवों को सौंपा दायित्व, इन नेताओं को मिली जिम्मेवारी

Last Updated : Oct 28, 2020, 2:56 PM IST
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