शिमला: हिमाचल प्रदेश के डाक विभाग में फर्जी सर्टिफिकेट देकर नौकरी हासिल करने मामले में नौ ग्रामीण डाक सेवकों को बर्खास्त किया गया है. सभी शिमला डाक मंडल में नौकरी कर रहे थे. ये सभी एक से पांच साल से नौकरी करते रहे थे. इन लोगों ने डाक विभाग में नौकरी पाने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का सहारा लिया था. जांच में इन सभी आरोपियों के दसवीं कक्षा के सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए हैं. आरोपियों के फर्जी सर्टिफिकेटों में 600 में से 588 से लेकर 591 अंक दर्ज थे.
बता दें कि डाक विभाग में ग्रामीण डाक शाखाओं में फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी हासिल करने के एक साथ तीन मामले सामने आए थे. इनमें एक आरोपी उत्तर प्रदेश, जबकि दो हरियाणा से हैं. निरीक्षक डाकघर राकेश कुमार की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था. प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आरोपियों ने मार्कशीट से छेड़छाड़ करके अपने अंकों को बढ़ाया है. ऐसा करके वह मैरिट में आ गए और उनका चयन सहायक शाखा में डाक सेवक पद के लिए हो गया.
डाक विभाग में इन पदों के लिए पिछले साल भर्ती हुई थी. उम्मीदवारों का चयन मैरिट के आधार पर किया गया. एक साल बाद इसमें फर्जीवाड़े का पता चला है. डाक विभाग ने चयन के बाद अपने स्तर पर इसकी जांच की, जिसमें फर्जीवाड़े का पता चला है. इससे पहले भी हिमाचल में डाक विभाग में फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आ चुके हैं.
फर्जी सर्टिफिकेट मामले में डाक विभाग ने शिमला मंडल में 9 ग्रामीण डाक सेवक को बर्खास्त किया है. विभाग ने जिन लोगों को बर्खास्त किया है, उनमें कोटखाई गुम्मा डाकघर में कार्यरत साेनू, गुम्मा में ही साहिल, बखोल में विक्रम, नागन में राकेश, मतियाना के केलवी में राकेश, क्यारी के गलेहा में रवि कुमार, नेरवा के मधाना में सुशील, टिक्कर के डरारा में अमन और धामी शाखा में कार्यरत विकास को बर्खास्त किया है.
प्रवर डाक अधीक्षक शिमला मंडल विकास नेगी ने बताया 2018 से 2022 तक माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयागराज से दसवीं के सर्टिफिकेटों के आधार पर नौकरी हासिल करने वालों के प्रमाण पत्रों की जांच की गई. जिसमें 12 प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं. सभी आरोपियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है. जालसाजी से प्रमाण पत्र बनाने पर आगे की जांच पुलिस को सौंपी गई है.
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