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14वें वित्तायोग के अंतर्गत पंचायतों में 830.55 करोड़ रुपये खर्चः वीरेंद्र कंवर

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Published : Dec 7, 2019, 8:36 AM IST

14वें वित्तायोग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की 3 हजार 226 पंचायतों को प्रदान की गई कुल धनराशि में से 71 प्रतिशत खर्च की जा चुकी है. यह जानकारी ग्रामीण विकास, पंचायती राज, मत्स्य और पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने दी.

rupees spent under 14th Finance Commission
14 वें वित्त आयोग के तहत खर्च किए गए रुपये

शिमला: 14वें वित्तायोग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की 3 हजार 226 पंचायतों को प्रदान की गई कुल धनराशि में से 71 प्रतिशत खर्च की जा चुकी है. यह जानकारी ग्रामीण विकास, पंचायती राज, मत्स्य और पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने दी.

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि 14वें वित्तायोग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की पंचायतों को 1170.35 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया था. इसमें से 830.55 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं. शेष बचे 330.89 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला को 14वें वित्तायोग में प्रदान किए गए 250.14 करोड़ में से 182.61 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं जबकि मंडी को मिले 167.11 करोड़ में से 120.32 करोड़ की धनराशि खर्च हो चुकी है.

वीडियो रिपोर्ट

मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि शिमला जिला को 118.12 करोड़ रुपये प्रदान किए गए थे. इसमें से 81.51 करोड़ रुपए व्यय हो चुके हैं जबकि ऊना जिला को 14वें वित्तायोग में 85.01 करोड़ रुपए दिए गए थे. इसमें से 58.66 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं. अन्य जिलों में भी 14वें वित्तायोग से प्राप्त हुई धनराशि से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं.

पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि अब इस वित्त वर्ष की अंतिम किस्त के रूप में हिमाचल प्रदेश को 490 करोड़ और प्राप्त हुए हैं. यह राशि सीधे ग्राम पंचायतों के बैंक खातों में जमा की जा चुकी है. पंचायतों को 14वें वित्तायोग के अंतर्गत अब तक प्रदान की गई सारी धनराशि को इस वित्तीय वर्ष के अंत तक व्यय करना होगा अन्यथा शेष राशि को केंद्र सरकार को वापस लौटाना होगा. उन्होंने सभी पंचायतों को इस राशि को तय समय सीमा के भीतर खर्च करने के विशेष निर्देश दिए हैं. ऐसा न करने वाली पंचायतों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि पंचायतें 14वें वित्तायोग और मनरेगा का कन्वर्जेंस कर विकास के कार्य करवा सकती हैं.

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सभी खंड विकास अधिकारियों को 14वें वित्तायोग के तहत ग्राम पंचायतों को प्रदान की गई धनराशि के व्यय की निगरानी के लिए मासिक समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं. कोताही बरतने वाले खंड विकास अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होगी.

ये भी पढ़ें: शिमला नगर निगम को इस दिन मिलेगा महापौर और उप-महापौर, चुनाव की अधिसूचना जारी

शिमला: 14वें वित्तायोग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की 3 हजार 226 पंचायतों को प्रदान की गई कुल धनराशि में से 71 प्रतिशत खर्च की जा चुकी है. यह जानकारी ग्रामीण विकास, पंचायती राज, मत्स्य और पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने दी.

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि 14वें वित्तायोग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की पंचायतों को 1170.35 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया था. इसमें से 830.55 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं. शेष बचे 330.89 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांगड़ा जिला को 14वें वित्तायोग में प्रदान किए गए 250.14 करोड़ में से 182.61 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं जबकि मंडी को मिले 167.11 करोड़ में से 120.32 करोड़ की धनराशि खर्च हो चुकी है.

वीडियो रिपोर्ट

मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि शिमला जिला को 118.12 करोड़ रुपये प्रदान किए गए थे. इसमें से 81.51 करोड़ रुपए व्यय हो चुके हैं जबकि ऊना जिला को 14वें वित्तायोग में 85.01 करोड़ रुपए दिए गए थे. इसमें से 58.66 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं. अन्य जिलों में भी 14वें वित्तायोग से प्राप्त हुई धनराशि से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं.

पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि अब इस वित्त वर्ष की अंतिम किस्त के रूप में हिमाचल प्रदेश को 490 करोड़ और प्राप्त हुए हैं. यह राशि सीधे ग्राम पंचायतों के बैंक खातों में जमा की जा चुकी है. पंचायतों को 14वें वित्तायोग के अंतर्गत अब तक प्रदान की गई सारी धनराशि को इस वित्तीय वर्ष के अंत तक व्यय करना होगा अन्यथा शेष राशि को केंद्र सरकार को वापस लौटाना होगा. उन्होंने सभी पंचायतों को इस राशि को तय समय सीमा के भीतर खर्च करने के विशेष निर्देश दिए हैं. ऐसा न करने वाली पंचायतों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि पंचायतें 14वें वित्तायोग और मनरेगा का कन्वर्जेंस कर विकास के कार्य करवा सकती हैं.

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सभी खंड विकास अधिकारियों को 14वें वित्तायोग के तहत ग्राम पंचायतों को प्रदान की गई धनराशि के व्यय की निगरानी के लिए मासिक समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं. कोताही बरतने वाले खंड विकास अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होगी.

ये भी पढ़ें: शिमला नगर निगम को इस दिन मिलेगा महापौर और उप-महापौर, चुनाव की अधिसूचना जारी

Intro:14वें वित्तायोग के अंतर्गत पंचायतों में 830.55 करोड़ रुपए खर्चः वीरेंद्र कंवर
हिमाचल प्रदेश में पंचायतों ने 14वें वित्तायोग का 71 प्रतिशत पैसा खर्च किया
14वें वित्तायोग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की 3,226 पंचायतों को प्रदान की गई कुल धनराशि में से 71 प्रतिशत खर्च की जा चुकी है। यह जानकारी आज यहां ग्रामीण विकास, पंचायती राज, मत्स्य तथा पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने दी।Body:वीरेंद्र कंवर ने कहा कि 14वें वित्तायोग के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश की पंचायतों को 1170.35 करोड़ रुपए का अनुदान प्रदान किया गया था, जिसमें से 830.55 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं। शेष बचे 330.89 करोड़ रुपए व्यय किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कांगड़ा जिला को 14वें वित्तायोग में प्रदान किए गए 250.14 करोड़ में से 182.61 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं जबकि मंडी को मिले 167.11 करोड़ में से 120.32 करोड़ की धनराशि खर्च हो चुकी है। शिमला जिला को 118.12 करोड़ रुपए प्रदान किए गए थे जिसमें से 81.51 करोड़ रुपए व्यय हो चुके हैं जबकि ऊना जिला को 14वें वित्तायोग में 85.01 करोड़ रुपए दिए गए थे जिसमें से 58.66 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं। अन्य जिलों में भी 14वें वित्तायोग से प्राप्त हुई धनराशि से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं।

पंचायती राज मंत्री ने कहा कि अब इस वित्त वर्ष की अंतिम किस्त के रूप में हिमाचल प्रदेश को 490 करोड़ और प्राप्त हुए हैं। यह राशि सीधे ग्राम पंचायतों के बैंक खातों में जमा की जा चुकी है। पंचायतों को 14वें वित्तायोग के अंतर्गत अब तक प्रदान की गई सारी धनराशि को इस वित्तीय वर्ष के अंत तक व्यय करना होगा अन्यथा शेष राशि को केंद्र सरकार को वापस लौटाना होगा। उन्होंने सभी पंचायतों को इस राशि को तय समय सीमा के भीतर खर्च करने के विशेष निर्देश दिए हैं तथा ऐसा न करने वाली पंचायतों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पंचायतें 14वें वित्तायोग तथा मनरेगा का कन्वर्जेंस कर विकास के कार्य करवा सकती हैं।

Conclusion:वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सभी खंड विकास अधिकारियों को 14वें वित्तायोग के तहत ग्राम पंचायतों को प्रदान की गई धनराशि के व्यय की निगरानी के लिए मासिक समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं तथा कोताही बरतने वाले खंड विकास अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय होगी।

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