शिमला: शांत कहे जाने वाली देवभूमि हिमाचल में कोरोना काल में जुलाई महीने तक 481 लोगों ने आत्महत्या की है. यदि तीन साल का आंकड़ा देखें तो प्रदेश में 1946 लोगों ने सुसाइड किया है.
विधानसभा में कांग्रेस नेता मुकेश अग्निहोत्री के सवाल पर लिखित जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तरफ से ये जानकारी दी गई है. इस साल के आंकड़ों के हिसाब से 306 पुरुषों और 175 महिलाओं ने आत्महत्या की है. जनवरी 2018 से जुलाई 2020 कुल 1946 लोगों ने आत्महत्या की है.
इसमें से 1197 पुरुष व 749 महिलाएं हैं. इस साल के आत्महत्या के मामलों में लंबी बीमारी से तनाव, रिश्तों में खटास, परिवार में कलह, नशा, आधुनिक जीवन शैली से तनाव आदि कारण पाए गए हैं.
ऐसा रहा विधानसभा सत्र का दूसरा दिन
बता दें कि हंगामें और सत्तापक्ष व विपक्ष में नोक-झोंक के बीच कोरोना महामारी को लेकर दूसरे दिन भी सदन में चर्चा हुई. कांग्रेस के कुछ विधायकों को चर्चा में शामिल करने की इजाजत नहीं मिलने के बाद कांग्रेस ने नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया.
विधानसभा अध्यक्ष के वक्तव्य के बाद सदन की कार्यवाही की शुरुआत सोमवार के विपक्ष द्वारा दिए गए नियम-67 के स्थगन प्रस्ताव के साथ हुई. स्थगन प्रस्ताव के चलते आज भी प्रश्नकाल नहीं हो पाया. चर्चा में बोलते हुए विपक्ष की तरफ से किन्नौर के विधायक जगत नेगी ने सरकार पर जमकर हमले बोले.
नेगी ने कहा कि कारोना काल मे विपक्ष के विधायकों को नजरबंद कर दिया जबकि भाजपा के लोग व दलाल खुलेआम घूमते रहे. आपातकाल में भी ऐसा नहीं हुआ. कोविड से निपटने के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार पूरी तरह नाकाम रही, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आज तक के निकम्मे मुख्यमंत्री जाने जाएंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र के हाथ की कठपुतली के रूप में प्रदेश सरकार ने तानाशाह के रूप में काम किया.