शिमला: 2019 में शिमला जिला में टीबी के मरीजों की कुल संख्या 2894 रही. टीबी रोग ने मरीजों के केवल फेफड़े में ही नहीं, बल्कि हड्डी, पेट और गुर्दों पर भी हमला किया है.
दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जितेंद्र चौहान ने बताया कि 2019 में टीबी के 2894 मामले पाए गए थे. जिसमें 1207 मरीजों को जिला से बाहर इलाज के लिए भेजा गया था. 1687 टीबी के मरीज शिमला जिला के थे और 228 मरीज शिमला जिला से बाहर के थे.
डॉ. जितेंद्र चौहान ने कहा कि टीबी की जांच और इलाज सरकार की ओर से निशुल्क किया जाता है. साथ ही मरीजों को इलाज चलने तक पांच सौ रुपये भी दिए जाते हैं. मरीज में क्षय रोग की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ विभाग टीम स्वयं ही तत्काल मरीज को दवाई खिलाने के लिए घर जाती है.
वहीं, केंद्र सरकार ने देश से टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए 2025 तक का लक्ष्य रखा है. हालांकि केंद्र सरकार क्षय रोग को जड़ से खत्म करने के लिए देश में विभिन्न प्रकार के अभियानों का आयोजन कर रही है, जिसमें उनको काफी हद तक सफलता भी मिली है.
टीबी के लक्षण
- दो सप्ताह या उससे ज्यादा दिन तक खांसी रहना.
- खांसी के दौरान मुंह से खून का आना.
- भूख कम लगना.
- वजन में गिरावट आना.
- बुखार आना.
- शरीर में गांठे.
टीबी से ऐसे करें बचाव
बचपन में बीसीजी का टीका लगवाकर टीबी से बचा जा सकता है. टीबी के मरीजों से दूरी बनाकर रखना चाहिए क्योंकि यह संक्रमित रोग है. टीबी के मरीजों को मास्क पहनकर रखना चाहिए. मरीज को सार्वजनिक चीजों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए.
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