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हिमाचल में पांच सीटों वाले ये 5 जिले खोलते हैं सत्ता की राह, इस बार कौन लगाएगा जीत का पंच ?

हिमाचल में सियासी पंडित हमेशा कहते हैं कि सत्ता का रास्ता सबसे ज्यादा सीटों वाले कांगड़ा और मंडी से होकर गुजरता है. कांगड़ा में 15 और मंडी में 10 सीटें हैं. लेकिन हिमाचल के 5 जिले ऐसे भी हैं जिनमें कुल 25 सीटें हैं. 5-5 विधानसभा क्षेत्रों वाले इन जिलों के आंकड़े भी कम रोचक नहीं है. आंकड़े बताते हैं कि जिस दल ने इन 25 सीटों में से ज्यादा सीटें जीती वो सत्ता पर काबिज होता है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि इन पांच जिलों की भी सरकार बनाने में अहम भूमिका होती है. (Himachal Election Voting 2022) (Himachal Election Counting) (Himachal Election Result 2022)

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Published : Nov 17, 2022, 7:40 PM IST

शिमला : हिमाचल के सियासी रण में उतरे 412 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. 8 नवंबर को मतगणना से पहले उम्मीदवारों से लेकर जनता और सियासी पंडित तक नतीजों के कयास लगा रहे हैं. कहते हैं कि हिमाचल की सत्ता का रास्ता कांगड़ा जिले से होकर गुजरता है. 68 सीटों वाले राज्य में 15 सीटें एक ही जिले में हों तो ये कहना गलत भी नहीं होगा. लेकिन अगर कांगड़ा का किला नहीं जीत पाए तो सत्ता नसीब नहीं होती ? ये सवाल इसलिये क्योंकि कांगड़ा की 15 सीटों के मुकाबले 5 सीटों वाले प्रदेश में 5 जिले हैं जिनमें कुल 25 सीटें हैं. सियासी जानकार मान रहे हैं कि इस बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है और चौंकाने वाले चुनाव परिणाम सामने आ सकते हैं. ऐसे में भले कांगड़ा और मंडी के सहारे सरकारें बनती आई हों लेकिन अगर इन दोनों बड़े जिलों में कोई दल अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है तो वो 5 सीटों वाले 5 जिलों के सहारे इसकी भरपाई कर सकता है. (Himachal Election Voting 2022) (Himachal Election Counting) (Himachal Election Result 2022)

कांगड़ा और मंडी के बराबर हैं ये 5 जिले- हिमाचल के 5 जिलों में 25 सीटें हैं. चंबा, हमीरपुर, ऊना, सोलन और सिरमौर जिलों में 5-5 विधानसभा सीटें हैं. 5 सीटों का आंकड़ा कांगड़ा के 15 सीटों के मुकाबले भले कम लगता हो लेकिन अगर इन पांचों जिलों की सीटों को जोड़ें तो कुल 25 सीटें होती हैं. यानी विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से सबसे बड़े कांगड़ा और मंडी जिलों के बराबर सीटें ही इन पांचों जिले हैं. कांगड़ा में 15 और मंडी में 10 विधानसभा सीटें हैं. इसलिये अगर कांगड़ा और मंडी को सत्ता का रास्ता कहते हैं तो 5 सीटों वाले इन 5 जिलों की भूमिका को भी कम नहीं आंका जा सकता. इतिहास भी इस बात की गवाही देता है कि बीते 4 विधानसभा चुनाव में इन पांच जिलों की कुल सीटों में से बहुमत जिस दल के हाथ लगा सत्ता पर वही पार्टी काबिज हुए है. (Himachal District equation) (25 seats in 5 districts of Himachal)

साल 2003 में कांग्रेस की बनी सरकार- 1985 से हर 5 साल में सरकार बदलने का सिलसिला 2003 में भी जारी रहा और बीजेपी को सत्ता से हटाकर कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई. चंबा, हमीरपुर, ऊना, सोलन और सिरमौर की कुल 25 सीटों में से 15 सीटें कांग्रेस, 8 सीट बीजेपी और 2 अन्य को मिलीं. कांग्रेस ने कुल 43 सीटें जीती जो 1998 से 12 ज्यादा थी, इस आंकड़े में इन 5 जिलों की भी अहम भूमिका रही. कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने थे.

साल 2007 में बीजेपी की सरकार- 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में चंबा, हमीरपुर, ऊना, सोलन और सिरमौर की कुल 25 सीटों में से बीजेपी ने 16 सीटों पर जीत का परचम लहराया और कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की. 2003 में 16 सीटों पर सिमटी बीजेपी ने इस बार 41 सीटों पर जीत हासिल की और इनमें से 16 सीटें इन्हीं पांच जिलों से थीं. बीजेपी ने जीत हासिल की और प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने.

2012 विधानसभा चुनाव में बदला समीकरण- साल 2012 चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई और वीरभद्र सिंह फिर से मुख्यमंत्री बने लेकिन इस बार 5-5 सीटों वाले पांचों जिलों का बहुमत कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी के खाते में गया. इस बार बीजेपी ने 14, कांग्रेस ने 9 और अन्य के खाते में दो सीटें गईं. इस बार इन जिलों में बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलीं लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी थी.

5 जिलों में 2003 और 2007 के चुनाव परिणाम
5 जिलों में 2003 और 2007 के चुनाव परिणाम

2017 में इन जिलों में कांटे की टक्कर- 2017 में इन पांचों जिलों में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. कुल 25 में से 14 सीटें बीजेपी और 11सीटें कांग्रेस के खाते में गई. इस बार भी हर 5 साल में रिवाज बदलने का सिलसिला जारी रहा है और बीजेपी की सरकार बनी. जयराम ठाकुर पहली बार मुख्यमंत्री बने.

चंबा जिला और पिछले 4 चुनाव- चंबा जिले में चुराह, चंबा, डल्हौजी, भटियात और भरमौर विधानसभा सीटें हैं. साल 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने इनमें से 4 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी की झोली चंबा जिले में खाली रही. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने अपने नाम की थी. इसी तरह 2007 और 2012 में कांग्रेस को 2, बीजेपी को 3 सीटें मिलीं. जबकि 2017 में बीजेपी को 4 और कांग्रेस को एक सीट मिली. (Chamba District equation in Himachal)

हमीरपुर जिला और पिछले 4 चुनाव- हमीरपुर जिले में भोरंज, बड़सर, हमीरपुर, सुजान, नादौन 5 सीटें हैं. बीते 2 दशक में सीट के नाम बदले हैं लेकिन आंकड़ो पर नजर डालें तो साल 2003 में कांग्रेस को 2, बीजेपी की 3 सीटें मिली थी. जबकि 2007 में कांग्रेस ने एक और बीजेपी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी. साल 2012 में कांग्रेस और निर्दलीय को एक-एक जबकि बीजेपी ने 3 सीटें जीतीं थी. साल 2017 में जिले में कांग्रेस को 3 और बीजेपी को 2 सीटों पर जीत मिली थी. (Hamirpur District equation in Himachal Election)

ऊना जिला और पिछले 4 चुनाव- जिले में चिंतपूर्णी, हरोली, ऊना, गगरेट और कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिले की 3 सीटों पर कब्जा किया था जबकि बीजेपी ने 2 सीटें जीती थीं. इसी तरह 2007 में कांग्रेस ने 2, बीजेपी ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. ठीक इसी तरह 2012 में कांग्रेस ने 3-2 से जिला अपने नाम किया तो 2017 ने बीजेपी ने जिले को 3-2 से जीत लिया. (Una District equation in Himachal Election)

5 जिलों में 2012 और 2017 चुनाव के परिणाम
5 जिलों में 2012 और 2017 चुनाव के परिणाम

सोलन जिला और पिछले 4 चुनाव- सोलन जिले में अर्की, कसौली, दून, सोलन और नालागढ़ विधानसभा सीटें हैं. 2003 में कांग्रेस ने 3 और बीजेपी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की तो 2007 में बीजेपी ने जिले में क्लीन स्वीप करते हुए पांचों सीटें अपने नाम की थी. 2012 में यहां मुकाबला 3-2 से बीजेपी के पक्ष में रहा जबकि 2017 में यही नतीजा कांग्रेस के पक्ष में रहा. (Solan District Equation in Himachal election)

सिरमौर जिला और पिछले 4 चुनाव- जिले में नाहन, पच्छाद, शिलाई, पांवटा साहिब और श्रीरेणुका जी विधानसभा सीटें हैं. 2003 के नतीजों में कांग्रेस ने 3, बीजेपी ने एक और अन्य ने एक सीट जीती थी. 2007 में कांग्रेस ने 4 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ एक सीट गई. 2012 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 3 सीटें जीतीं जबकि एक सीट कांग्रेस और एक अन्य के खाते में गई. वहीं 2017 में 2 सीटें कांग्रेस और 3 बीजेपी ने जीतीं थीं. (Sirmaur District equation in Himachal Election)

ये भी पढ़ें : आंकड़े गवाह हैं : मंडी जिले पर जिसका राज, उसके सिर सजता है ताज

शिमला : हिमाचल के सियासी रण में उतरे 412 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है. 8 नवंबर को मतगणना से पहले उम्मीदवारों से लेकर जनता और सियासी पंडित तक नतीजों के कयास लगा रहे हैं. कहते हैं कि हिमाचल की सत्ता का रास्ता कांगड़ा जिले से होकर गुजरता है. 68 सीटों वाले राज्य में 15 सीटें एक ही जिले में हों तो ये कहना गलत भी नहीं होगा. लेकिन अगर कांगड़ा का किला नहीं जीत पाए तो सत्ता नसीब नहीं होती ? ये सवाल इसलिये क्योंकि कांगड़ा की 15 सीटों के मुकाबले 5 सीटों वाले प्रदेश में 5 जिले हैं जिनमें कुल 25 सीटें हैं. सियासी जानकार मान रहे हैं कि इस बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है और चौंकाने वाले चुनाव परिणाम सामने आ सकते हैं. ऐसे में भले कांगड़ा और मंडी के सहारे सरकारें बनती आई हों लेकिन अगर इन दोनों बड़े जिलों में कोई दल अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है तो वो 5 सीटों वाले 5 जिलों के सहारे इसकी भरपाई कर सकता है. (Himachal Election Voting 2022) (Himachal Election Counting) (Himachal Election Result 2022)

कांगड़ा और मंडी के बराबर हैं ये 5 जिले- हिमाचल के 5 जिलों में 25 सीटें हैं. चंबा, हमीरपुर, ऊना, सोलन और सिरमौर जिलों में 5-5 विधानसभा सीटें हैं. 5 सीटों का आंकड़ा कांगड़ा के 15 सीटों के मुकाबले भले कम लगता हो लेकिन अगर इन पांचों जिलों की सीटों को जोड़ें तो कुल 25 सीटें होती हैं. यानी विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से सबसे बड़े कांगड़ा और मंडी जिलों के बराबर सीटें ही इन पांचों जिले हैं. कांगड़ा में 15 और मंडी में 10 विधानसभा सीटें हैं. इसलिये अगर कांगड़ा और मंडी को सत्ता का रास्ता कहते हैं तो 5 सीटों वाले इन 5 जिलों की भूमिका को भी कम नहीं आंका जा सकता. इतिहास भी इस बात की गवाही देता है कि बीते 4 विधानसभा चुनाव में इन पांच जिलों की कुल सीटों में से बहुमत जिस दल के हाथ लगा सत्ता पर वही पार्टी काबिज हुए है. (Himachal District equation) (25 seats in 5 districts of Himachal)

साल 2003 में कांग्रेस की बनी सरकार- 1985 से हर 5 साल में सरकार बदलने का सिलसिला 2003 में भी जारी रहा और बीजेपी को सत्ता से हटाकर कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई. चंबा, हमीरपुर, ऊना, सोलन और सिरमौर की कुल 25 सीटों में से 15 सीटें कांग्रेस, 8 सीट बीजेपी और 2 अन्य को मिलीं. कांग्रेस ने कुल 43 सीटें जीती जो 1998 से 12 ज्यादा थी, इस आंकड़े में इन 5 जिलों की भी अहम भूमिका रही. कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई और वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने थे.

साल 2007 में बीजेपी की सरकार- 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में चंबा, हमीरपुर, ऊना, सोलन और सिरमौर की कुल 25 सीटों में से बीजेपी ने 16 सीटों पर जीत का परचम लहराया और कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत दर्ज की. 2003 में 16 सीटों पर सिमटी बीजेपी ने इस बार 41 सीटों पर जीत हासिल की और इनमें से 16 सीटें इन्हीं पांच जिलों से थीं. बीजेपी ने जीत हासिल की और प्रेम कुमार धूमल दूसरी बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने.

2012 विधानसभा चुनाव में बदला समीकरण- साल 2012 चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई और वीरभद्र सिंह फिर से मुख्यमंत्री बने लेकिन इस बार 5-5 सीटों वाले पांचों जिलों का बहुमत कांग्रेस नहीं बल्कि बीजेपी के खाते में गया. इस बार बीजेपी ने 14, कांग्रेस ने 9 और अन्य के खाते में दो सीटें गईं. इस बार इन जिलों में बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलीं लेकिन सरकार कांग्रेस की बनी थी.

5 जिलों में 2003 और 2007 के चुनाव परिणाम
5 जिलों में 2003 और 2007 के चुनाव परिणाम

2017 में इन जिलों में कांटे की टक्कर- 2017 में इन पांचों जिलों में दोनों दलों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. कुल 25 में से 14 सीटें बीजेपी और 11सीटें कांग्रेस के खाते में गई. इस बार भी हर 5 साल में रिवाज बदलने का सिलसिला जारी रहा है और बीजेपी की सरकार बनी. जयराम ठाकुर पहली बार मुख्यमंत्री बने.

चंबा जिला और पिछले 4 चुनाव- चंबा जिले में चुराह, चंबा, डल्हौजी, भटियात और भरमौर विधानसभा सीटें हैं. साल 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने इनमें से 4 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी की झोली चंबा जिले में खाली रही. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार ने अपने नाम की थी. इसी तरह 2007 और 2012 में कांग्रेस को 2, बीजेपी को 3 सीटें मिलीं. जबकि 2017 में बीजेपी को 4 और कांग्रेस को एक सीट मिली. (Chamba District equation in Himachal)

हमीरपुर जिला और पिछले 4 चुनाव- हमीरपुर जिले में भोरंज, बड़सर, हमीरपुर, सुजान, नादौन 5 सीटें हैं. बीते 2 दशक में सीट के नाम बदले हैं लेकिन आंकड़ो पर नजर डालें तो साल 2003 में कांग्रेस को 2, बीजेपी की 3 सीटें मिली थी. जबकि 2007 में कांग्रेस ने एक और बीजेपी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी. साल 2012 में कांग्रेस और निर्दलीय को एक-एक जबकि बीजेपी ने 3 सीटें जीतीं थी. साल 2017 में जिले में कांग्रेस को 3 और बीजेपी को 2 सीटों पर जीत मिली थी. (Hamirpur District equation in Himachal Election)

ऊना जिला और पिछले 4 चुनाव- जिले में चिंतपूर्णी, हरोली, ऊना, गगरेट और कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 2003 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जिले की 3 सीटों पर कब्जा किया था जबकि बीजेपी ने 2 सीटें जीती थीं. इसी तरह 2007 में कांग्रेस ने 2, बीजेपी ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. ठीक इसी तरह 2012 में कांग्रेस ने 3-2 से जिला अपने नाम किया तो 2017 ने बीजेपी ने जिले को 3-2 से जीत लिया. (Una District equation in Himachal Election)

5 जिलों में 2012 और 2017 चुनाव के परिणाम
5 जिलों में 2012 और 2017 चुनाव के परिणाम

सोलन जिला और पिछले 4 चुनाव- सोलन जिले में अर्की, कसौली, दून, सोलन और नालागढ़ विधानसभा सीटें हैं. 2003 में कांग्रेस ने 3 और बीजेपी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की तो 2007 में बीजेपी ने जिले में क्लीन स्वीप करते हुए पांचों सीटें अपने नाम की थी. 2012 में यहां मुकाबला 3-2 से बीजेपी के पक्ष में रहा जबकि 2017 में यही नतीजा कांग्रेस के पक्ष में रहा. (Solan District Equation in Himachal election)

सिरमौर जिला और पिछले 4 चुनाव- जिले में नाहन, पच्छाद, शिलाई, पांवटा साहिब और श्रीरेणुका जी विधानसभा सीटें हैं. 2003 के नतीजों में कांग्रेस ने 3, बीजेपी ने एक और अन्य ने एक सीट जीती थी. 2007 में कांग्रेस ने 4 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ एक सीट गई. 2012 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 3 सीटें जीतीं जबकि एक सीट कांग्रेस और एक अन्य के खाते में गई. वहीं 2017 में 2 सीटें कांग्रेस और 3 बीजेपी ने जीतीं थीं. (Sirmaur District equation in Himachal Election)

ये भी पढ़ें : आंकड़े गवाह हैं : मंडी जिले पर जिसका राज, उसके सिर सजता है ताज

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