सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के दुर्गम इलाके शिलाई के सरकारी अस्पताल में खोला गया बर्थ वेटिंग होम मां बनने के सुख को और आरामदायक बना रहा है. एक महीने के अंदर ये बर्थ वेटिंग होम 33 किलकारियां से गूंजा है. ऐसे में इसमें कोई दोराय नहीं है कि सरकारी क्षेत्र में उपलब्ध ये सुविधा गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है. अस्पतालों में महिलाओं की शत प्रतिशत डिलीवरी को करवाने की दिशा में शुरू की गई स्वास्थ्य विभाग की ये अनोखी पहल रंग लाने लगी है.
क्यों शुरू किया बर्थ वेटिंग होम
दरअसल जिला सिरमौर अति दुर्गम जिलों में से एक है. यहां कई दुर्गम गांव आज भी सड़क सुविधा से महरूम है. ऐसे में वक्त पर अस्पताल पहुंचना भी कई बार सबसे बड़ी चुनौती साबित होता है. यही वजह है कि आधुनिकता की इस दौड़ में अब भी जिले के दुर्गम इलाकों में कई गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी घर पर ही हो जाती है. दुर्गम इलाकों की ऐसी ही महिलाओं की अस्पताल में सुरक्षित डिलीवरी करवाने के मकसद से इसी साल जुलाई महीने में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने दुर्गम क्षेत्र शिलाई के अस्पताल में बर्थ वेटिंग होम की सुविधा शुरू की. हालांकि शुरुआती दिनों में यहां ज्यादा महिलाएं भर्ती नहीं हुई, लेकिन अब यह बर्थ वेटिंग होम दुर्गम इलाकों की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले महीने 33 गर्भवती महिलाओं ने इस बर्थ वेटिंग होम का पूरी तरह से मुफ्त लाभ उठाया है.
सीएमओ सिरमौर डॉ. अजय पाठक ने कहा, "ऐसा कई बार होता है जब किसी बीमार या गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचने में देरी हो जाती है या फिर डिलीवरी के समय कुछ दुर्गम जगहों से अस्पताल पहुंचना मुश्किल हो होता है. इसी समस्या को देखते हुए शिलाई अस्पताल में बर्थ वेटिंग होम की सुविधा उपलब्ध करवाई गई. पिछले महीने 33 महिलाओं ने इसका लाभ उठाया."
स्वास्थ्य विभाग की मानें तो जिले में 5 से 8 प्रतिशत महिलाओं की डिलीवरी घर पर ही हो जाती है. इसकी सबसे बड़ी वजह सुविधाओं की कमी भी रहती है. दुर्गम इलाकों में सड़क से दूर बसे गांव से किसी मरीज को अस्पताल पहुंचाना जान हथेली पर ले जाने जैसा है. ऐसे रास्तों से किसी गर्भवती को प्रसव पीड़ा में अस्पताल पहुंचाना उसकी जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा है और मां के साथ-साथ बच्चे की जिंदगी भी दांव पर लगाना है. पहले भी मरीजों को कंधों पर ढोने के कई मामले सामने भी आ चुके हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने यह अनोखी पहल करते हुए शिलाई अस्पताल में बर्थ वेटिंग होम की सुविधा शुरू की.
एक महीने पहले हो सकती हैं भर्ती
बर्थ वेटिंग होम में कोई भी गर्भवती महिला डिलीवरी से एक महीने पहले भर्ती हो सकती है. इस दौरान गर्भवती महिला की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग उठाता है. महिला की डिलीवरी तक महीने भर का सारा खर्च भी स्वास्थ्य विभाग ही उठाता है. हालांकि अभी तक जिन महिलाओं ने इस बर्थ वेटिंग होम का लाभ उठाया है, उनमें कोई 8 दिन, तो कोई 10 से 12 दिन ही भर्ती रही हैं, लेकिन इसका सारा खर्च सरकार ने ही वहन किया है. यही नहीं गर्भवती के साथ तीमारदार के रूप में एक रिश्तेदार के रहने और खाने की व्यवस्था भी यहां की गई है. फिलहाल यहां 5 बिस्तरों की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है.
इस वजह से उठाया गया ये कदम
सिरमौर जिले जैसे दुर्गम क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी अस्पताल में सुरक्षित करवाने के लिए ये कदम उठाया गया है. इससे जच्चा बच्चा की सुरक्षा को भी पुख्ता किया जा सकता है. विभाग की इस पहल से दूरदराज के गांवों की महिलाओं को लाभ मिल रहा है. इसके साथ ही सुरक्षित डिलीवरी भी संभव हो पा रही है. इसके अलावा जच्चा-बच्चा की देखभाल भी अच्छे से हो रही है. विभाग के इस कदम से मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी मदद मिलेगी.
सीएमओ सिरमौर डॉ. अजय पाठक ने बताया, "बर्थ वेटिंग होम में उस महिला को दाखिल करवाया जा सकता है, जिसकी डिलीवरी में एक महीने का समय बाकी हो, ताकि महिला को डिलीवरी के समय कोई मुश्किल न हो और वह अस्पताल में ही रहे, क्योंकि कई जगह ऐसी भी हैं, जहां एंबुलेंस की सुविधा तक नहीं मिल पाती. स्वास्थ्य विभाग जिले के सरकारी अस्पतालों में डिलीवरी बढ़ाने और बेहतर सुविधाएं देने के लिए प्रयासरत है. ये बर्थ वेटिंग होम भी लोगों के लिए लाभदायक साबित हो रहा है."
ज्यादा से ज्यादा संख्या में लाभ उठाने का आग्रह
स्वास्थ्य विभाग ने सिरमौर जिले के दुर्गम इलाकों खासकर शिलाई के लोगों से आग्रह किया कि वे आगे आकर इस बर्थ वेटिंग होम की सुविधा का लाभ उठाएं. गर्भवती महिला को समय रहते यहां दाखिल करवाएं, ताकि बाद में किसी तरह की समस्या से बचा जा सके. जब भी अस्पताल में डिलीवरी होती है, तो जच्चा-बच्चा दोनों को जान का जोखिम नहीं रहता. वहीं, घर पर डिलीवरी की स्थिति में जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा होता है. लिहाजा अस्पतालों में ही डिलीवरी करवाना जरूरी है.