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हिमाचल में डरा रहे सड़क हादसे, हर साल मौत के मुंह में समा रहे औसतन एक हजार जीवन

हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसों का आंकड़ा बेहद डराने वाला है. पिछले 2 दशक में 20 हजार लोगों की सड़क हादसे में जान चली गई. ऐसे में देखा जाए तो हर साल औसतन 1000 लोग एक्सीडेंट में अपनी जान गंवा रहे हैं. जबकि घायलों को हर साल औसतन आंकड़ा 3000 से अधिक है.

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हिमाचल में डरा रहे सड़क हादसे
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Published : Jun 7, 2023, 8:45 AM IST

शिमला: ओडिशा में दुखद रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है. भयावह हादसे में जान गंवाने वालों का आंकड़ा पीड़ादायक है. वहीं, पहाड़ी राज्य हिमाचल भी हादसों के जख्म झेलता है. यहां सड़क हादसों में हर साल औसतन एक हजार से अधिक अनमोल जीवन असमय काल का ग्रास बन जाते हैं. इसी तरह तीन हजार से अधिक लोग जीवन भर हादसों से मिले गंभीर जख्मों की पीड़ा सहन करते हैं.

2 दशक में एक्सीडेंट से 20 हजार मौतें: पहाड़ी राज्य हिमाचल में हादसों का ग्राफ डराने वाला है. दो दशक में 20 हजार से अधिक लोग हादसों में मौत का शिकार हो चुके हैं. वर्ष 2001-02 में 2286 सड़क हादसे हुए तो वर्ष 2022 में 2557 सड़क दुर्घटनाएं सामने आईं. वर्ष 2001-02 में 804 लोगों की मौत हुई तो वर्ष 2022 में ये आंकड़ा 1032 हो गया.

सड़क हादसों होने के कई कारण: हिमाचल में सड़क हादसों के कई कारण है. खराब रोड, वाहनों में तकनीकी खराबी और मानवीय भूल हादसों का बड़ा कारण है. तेज रफ्तार में वाहन चलाना, नशे की हालत में ड्राइविंग आदि अन्य कारण हैं. हालांकि, राज्य सरकार का परिवहन निदेशालय, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन से जुड़ी संस्थाएं निरंतर अभियान चलाती हैं, लेकिन हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

सड़क हादसों का वैज्ञानिक विश्लेषण: हिमाचल में कुछ समय पहले पुलिस विभाग ने 13,740 सड़क हादसों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया था. उस विश्लेषण के अनुसार 6,673 सडक़ दुर्घटनाएं ओवर स्पीड की वजह से पेश आई. यह कुल हादसों का 49 प्रतिशत है. यानी 49 फीसदी हादसे ओवर स्पीड के कारण हुए. इसी प्रकार खतरनाक तरीके से वाहन चलाने के की वजह से 2,638 एक्सीडेंट हुए, जो कुल हादसों का 19 प्रतिशत है.

नशे की हालत में 554 सड़क हादसे: इसी तरह बिना सिग्नल दिए वाहन मोड़ने के कारण 1,505 यानी 11 प्रतिशत और खतरनाक तरीके से ओवरटेक करने से 866 हादसे हुए हैं. कुछ चालक नशे में गाड़ी चलाते हैं. राज्य में हादसों का ये भी बड़ा कारण है. कुल 13,740 दुर्घटनाओं में नशे की हालत में 554 हादसे हुए. वहीं, ब्लाइंड कर्व यानी तीखे मोड़ों के कारण 204 और पैरापिट न होने के कारण 185 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. राज्य में रोजाना औसतन तीन लोग हादसों में जान गंवाते हैं.

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हिमाचल में डरा रहे सड़क हादसे

दो दशक में सबसे अधिक हादसे: आंकड़ों का विश्लेषण करें तो वर्ष 2016, 2017 और 2018 यानी इन तीन साल में 3,682 लोगों की मौत हुई. हादसों के लिहाज से ये वर्ष हिमाचल के लिए अत्यंत त्रासदीपूर्ण रहे. वर्ष 2003 में सबसे कम 695 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई. वर्ष 2016 में सड़क हादसों में घायल लोगों की संख्या 5,764 थी. ये दो दशक में सबसे अधिक रही.

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हिमाचल में डरा रहे सड़क हादसे

सड़क हादसों पर विक्रमादित्य सिंह की प्रतिक्रिया: हिमाचल के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि सरकार सड़क सुरक्षा के लिए काम कर रही है. ब्लैक स्पॉट्स सुधारे जा रहे हैं. पुलिस विभाग के साथ मिलकर परिवहन विभाग और लोक निर्माण विभाग विभिन्न स्तरों पर काम कर रहा है. राज्य में सड़क हादसों को थामने के लिए जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं. सरकार नियमित समय पर ऐसे अभियानों की समीक्षा कर रही है. सड़क हादसों का साइंटिफिक एनालिसिस किया जा रहा है. इससे हादसों की रोकथाम में मदद मिलेगी.

शिमला: ओडिशा में दुखद रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है. भयावह हादसे में जान गंवाने वालों का आंकड़ा पीड़ादायक है. वहीं, पहाड़ी राज्य हिमाचल भी हादसों के जख्म झेलता है. यहां सड़क हादसों में हर साल औसतन एक हजार से अधिक अनमोल जीवन असमय काल का ग्रास बन जाते हैं. इसी तरह तीन हजार से अधिक लोग जीवन भर हादसों से मिले गंभीर जख्मों की पीड़ा सहन करते हैं.

2 दशक में एक्सीडेंट से 20 हजार मौतें: पहाड़ी राज्य हिमाचल में हादसों का ग्राफ डराने वाला है. दो दशक में 20 हजार से अधिक लोग हादसों में मौत का शिकार हो चुके हैं. वर्ष 2001-02 में 2286 सड़क हादसे हुए तो वर्ष 2022 में 2557 सड़क दुर्घटनाएं सामने आईं. वर्ष 2001-02 में 804 लोगों की मौत हुई तो वर्ष 2022 में ये आंकड़ा 1032 हो गया.

सड़क हादसों होने के कई कारण: हिमाचल में सड़क हादसों के कई कारण है. खराब रोड, वाहनों में तकनीकी खराबी और मानवीय भूल हादसों का बड़ा कारण है. तेज रफ्तार में वाहन चलाना, नशे की हालत में ड्राइविंग आदि अन्य कारण हैं. हालांकि, राज्य सरकार का परिवहन निदेशालय, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन से जुड़ी संस्थाएं निरंतर अभियान चलाती हैं, लेकिन हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं.

सड़क हादसों का वैज्ञानिक विश्लेषण: हिमाचल में कुछ समय पहले पुलिस विभाग ने 13,740 सड़क हादसों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया था. उस विश्लेषण के अनुसार 6,673 सडक़ दुर्घटनाएं ओवर स्पीड की वजह से पेश आई. यह कुल हादसों का 49 प्रतिशत है. यानी 49 फीसदी हादसे ओवर स्पीड के कारण हुए. इसी प्रकार खतरनाक तरीके से वाहन चलाने के की वजह से 2,638 एक्सीडेंट हुए, जो कुल हादसों का 19 प्रतिशत है.

नशे की हालत में 554 सड़क हादसे: इसी तरह बिना सिग्नल दिए वाहन मोड़ने के कारण 1,505 यानी 11 प्रतिशत और खतरनाक तरीके से ओवरटेक करने से 866 हादसे हुए हैं. कुछ चालक नशे में गाड़ी चलाते हैं. राज्य में हादसों का ये भी बड़ा कारण है. कुल 13,740 दुर्घटनाओं में नशे की हालत में 554 हादसे हुए. वहीं, ब्लाइंड कर्व यानी तीखे मोड़ों के कारण 204 और पैरापिट न होने के कारण 185 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. राज्य में रोजाना औसतन तीन लोग हादसों में जान गंवाते हैं.

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दो दशक में सबसे अधिक हादसे: आंकड़ों का विश्लेषण करें तो वर्ष 2016, 2017 और 2018 यानी इन तीन साल में 3,682 लोगों की मौत हुई. हादसों के लिहाज से ये वर्ष हिमाचल के लिए अत्यंत त्रासदीपूर्ण रहे. वर्ष 2003 में सबसे कम 695 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई. वर्ष 2016 में सड़क हादसों में घायल लोगों की संख्या 5,764 थी. ये दो दशक में सबसे अधिक रही.

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सड़क हादसों पर विक्रमादित्य सिंह की प्रतिक्रिया: हिमाचल के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह का कहना है कि सरकार सड़क सुरक्षा के लिए काम कर रही है. ब्लैक स्पॉट्स सुधारे जा रहे हैं. पुलिस विभाग के साथ मिलकर परिवहन विभाग और लोक निर्माण विभाग विभिन्न स्तरों पर काम कर रहा है. राज्य में सड़क हादसों को थामने के लिए जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं. सरकार नियमित समय पर ऐसे अभियानों की समीक्षा कर रही है. सड़क हादसों का साइंटिफिक एनालिसिस किया जा रहा है. इससे हादसों की रोकथाम में मदद मिलेगी.

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