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शिमला में स्थापित हुआ प्रदेश का पहला बायोगैस प्लांट, गीले कचरे से तैयार हो रही है करीब 8 सिलेंडर गैस

राजधानी के लालपानी में स्थापित प्रदेश का पहला बायोगैस प्लांट शुरू हो गया है. पिछले डेढ़ महिने से इस प्लांट में गैस बनाने का ट्रायल चल रहा था जो जो अब सफल हो गया है. अभी यह गैस साथ लगते एसटीपी प्लांट में इस्तेमाल की जा रही है. इसके अलावा एक कर्मचारी को भी इसकी सुविधा दी गई है.

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Published : Aug 5, 2019, 6:37 PM IST

1st biogas plant in Shimla

शिमलाः शहर में अब लोग कूड़े से बनी गैस से रसोई में खाना बना पाएंगे. राजधानी के लालपानी में स्थापित प्रदेश का पहला बायोगैस प्लांट शुरू हो गया है. प्लांट में रोजाना गीले कचरे से करीब आठ सिलेंडर गैस तैयार हो रही है.

बता दें कि पिछले डेढ़ महिने से इस प्लांट में गैस बनाने का ट्रायल चल रहा था जो अब सफल हो गया है. अभी यह गैस साथ लगते एसटीपी प्लांट में इस्तेमाल की जा रही है. इसके अलावा एक कर्मचारी को भी इसकी सुविधा दी गई है.

वीडियो

आने वाले दिनों में एसटीपी के आधा दर्जन कर्मचारियों को खाना बनाने के लिए इसी प्लांट से निशुल्क गैस की सप्लाई दी जाएगी. नगर निगम द्वारा यूरोपियन यूनियन प्रोजेक्ट के तहत करीब 36 लाख रुपये की लागत से यह प्लांट स्थापित किया है.

वहीं, नगर निगम अब शहर में अन्य जगहों पर भी इस तरह के प्लांट स्थापित करेगा, जिससे शहर के लोग खाना बनाने के लिए गैस का इस्तेमाल कर सकेगे. सोमवार को महापौर कुसुम सदरेट ने इस प्लांट का दौरा किया और प्लांट में कैसे गीले कचरे से गैस तैयार हो रही है इसका जायजा लिया. उन्होंने कहा कि नगर निगम का प्रयास सफल रहा है और जो खाने और सब्जियों का वेस्ट बचता है उससे गैस बनाई जा रही है.

नगर निगम द्वारा तैयार किए गए बायोगैस प्लांट में अभी फिलहाल प्लांट कर्मियों को ही खाना बनाने के लिए गैस की सप्लाई दी जा रही है. प्लांट में जब ज्यादा गैस बनेगी तो आसपास के भवनों में भी लोगों को ये गैस मुहैया करवाई जाएगी. दावा किया जा रहा है कि गैस सिलेंडर से काफी कम दामों पर लोगों को ये गैस मुहैया करवाई जाएगी.

शिमलाः शहर में अब लोग कूड़े से बनी गैस से रसोई में खाना बना पाएंगे. राजधानी के लालपानी में स्थापित प्रदेश का पहला बायोगैस प्लांट शुरू हो गया है. प्लांट में रोजाना गीले कचरे से करीब आठ सिलेंडर गैस तैयार हो रही है.

बता दें कि पिछले डेढ़ महिने से इस प्लांट में गैस बनाने का ट्रायल चल रहा था जो अब सफल हो गया है. अभी यह गैस साथ लगते एसटीपी प्लांट में इस्तेमाल की जा रही है. इसके अलावा एक कर्मचारी को भी इसकी सुविधा दी गई है.

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आने वाले दिनों में एसटीपी के आधा दर्जन कर्मचारियों को खाना बनाने के लिए इसी प्लांट से निशुल्क गैस की सप्लाई दी जाएगी. नगर निगम द्वारा यूरोपियन यूनियन प्रोजेक्ट के तहत करीब 36 लाख रुपये की लागत से यह प्लांट स्थापित किया है.

वहीं, नगर निगम अब शहर में अन्य जगहों पर भी इस तरह के प्लांट स्थापित करेगा, जिससे शहर के लोग खाना बनाने के लिए गैस का इस्तेमाल कर सकेगे. सोमवार को महापौर कुसुम सदरेट ने इस प्लांट का दौरा किया और प्लांट में कैसे गीले कचरे से गैस तैयार हो रही है इसका जायजा लिया. उन्होंने कहा कि नगर निगम का प्रयास सफल रहा है और जो खाने और सब्जियों का वेस्ट बचता है उससे गैस बनाई जा रही है.

नगर निगम द्वारा तैयार किए गए बायोगैस प्लांट में अभी फिलहाल प्लांट कर्मियों को ही खाना बनाने के लिए गैस की सप्लाई दी जा रही है. प्लांट में जब ज्यादा गैस बनेगी तो आसपास के भवनों में भी लोगों को ये गैस मुहैया करवाई जाएगी. दावा किया जा रहा है कि गैस सिलेंडर से काफी कम दामों पर लोगों को ये गैस मुहैया करवाई जाएगी.

Intro:
शिमल शहर में अब लोग कूड़े से बनी गैस से रसोई में खाना बनायेगे ! राजधानी के लालपानी में स्थापित प्रदेश का पहला बायोगैस प्लांट शुरू हो गया है। प्लांट में रोजाना गीले कचरे से करीब आठ सिलेंडर गैस तैयार हो रही है। पीछे डेढ़ माह से इस प्लांट में गैस बनाने का ट्रायल चल रहा थ जोकि जो अब सफल हो गया है।अभी यह गैस साथ लगते एसटीपी प्लांट में इस्तेमाल की जा रही है। इसके अलावा एक कर्मचारी को भी इसकी सुविधा दी है। आने वाले दिनों में एसटीपी के आधा दर्जन कर्मचारियों को खाना बनाने के लिए इसी प्लांट से निशुल्क गैस की सप्लाई दी जाएगी। नगर निगम द्वारा यूरोपियन यूनियन प्रोजेक्ट के तहत करीब 36 लाख रुपये की लागत से यह प्लांट स्थापित किया है। वही नगर निगम अब शहर में और जगहों पर भी इस तरह के प्लांट स्थापित करेगा जिससे शहर के लोगो को भी रसोई में खाना बनाने के लिए गैस का इस्तेमाल कर सकेगे !

Body:महापौर कुसुम सदरेट ने इस प्लांट का दौरा किया ओर प्लांट में कैसे गीले कचरे से गैस तैयार हो रही है इसका जायजा लिया ! उन्होंने कहा कि नगर निगम का प्रयास सफल रहा है और जो खाने और सब्जियों का वेस्ट बचता है उससे गैस बनाई जा रही है ! शहर में इसके अलावा अन्य क्षेत्रो में भी ये प्लांट बनाएगा ! अभी तीन सौ किलो गिले कचरे का प्रयोग किया जा रहा है और जल्द ही एक टन कूड़ा यहा प्रयोग किया जायेगा ताकि ज्यादा गैस बनाई जा सखे !

Conclusion:बता दे शहर में नगर निगम डोर तू डोर कूड़ा एकत्रित कर रहा है और इसमें अब गिला कूड़ा अलग से एकत्रित कर रहा है इस गिले कूड़े से अब बायोगैस बनाई जा रही है ! शहर में होटलों और शिक्षण संस्थानों में भी होस्टल में इस तरह के प्लांट लगा कर वहा गैस मुहैया करवाई जाएगी !

पाइपलाइन द्वारा गैस की सप्लाई

नगर निगम द्वारा तैयार किए गए बायो गैस प्लांट में अभी फिलहाल प्लांट के कर्मियों को ही खाना बनाने के लिए गैस की सप्लाई दी जा रही है ! प्लांट में जब ज्यादा गैस बनेगी तो आसपास के भवनों में भी लोगो को ये गैस मुहैया करवाई जाएगी ! दावा किया जा रहा है की गैस सिलेंडर से काफी कम दामो पर लोगो को ये गैस मुहैया करवाई जाएगी !
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