शिमला: हिमाचल आपदा की दृष्टि से बेहद ही संवेदनशील राज्य है. यहां भूकंप, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती है. इसको देखते हुए राज्य में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल को मजबूत किया जा रहा है. ताकि समय रहते जानमाल की हानि होने से बचाया जा सके. इसी कड़ी में हिमाचल में एसडीआरएफ के 129 जवानों को आपदा से निपटने के लिए ट्रेंड किया गया है.
हिमाचल में मानसून सीजन में आपदा की आशंका काफी बढ़ जाती है. जिसको देखते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने प्रदेश में आपदाओं से निपटने की तैयारियों को लेकर हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा प्रदेश सरकार राज्य में संभावित आपदाओं से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है.
उन्होंने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (स्टेट डिजास्टर रिस्पोंस फोर्स ) को सुदृढ़ करने पर जोर देते हुए कहा कि प्रदेश में नए जवान भर्ती किए जा रहे हैं. अभी 126 जवानों को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की सातवीं बटालियन द्वारा बटिंडा में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. इसके बाद इन जवानों को विभिन्न स्थानों पर आधुनिक प्रशिक्षण के लिए भी भेजा गया है.
उन्होंने बताया कि इन एसडीआरएफ जवानों को विभिन्न आपदाओं में त्वरित राहत प्रदान करने के लिए अद्यतन कौशल और उपकरणों के उपयोग के बारे में जानकारी प्रदान की गई है. प्रदेश की आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार आपदा प्रबंधन सेल के परामर्श के साथ विशेषज्ञ प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित किया जाएगा.
राजस्व मंत्री ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा कांगड़ा के पालमपुर, मंडी के पंडोह और शिमला के कटासनी में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की बटालियन के भवन निर्माण के लिए भूमि चिन्हित की गई है. उन्होंने मंडी और शिमला से संबंधित भूमि के लिए वन संरक्षण अधिनियम का मामला परिवेश पोर्टल पर 15 जुलाई तक अपलोड करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि आपदाओं के दौरान होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.
उन्होंने बरसात के दौरान प्राधिकरण को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के निर्देश भी दिए. इस समीक्षा बैठक में प्रधान सचिव राजस्व ओंकार शर्मा, निदेशक एवं विशेष सचिव राजस्व-आपदा प्रबंधन डीसी राणा, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के एसपी शमशेर सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे.
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