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108 एम्बुलेंस यूनियन ने कंपनी पर लगाया घोटाले का आरोप, विजिलेंस जांच की मांग - National Health Mission

हिमाचल प्रदेश 108 एम्बुलेंस यूनियन के अध्यक्ष पूर्ण चंद ने जीवीके कंपनी पर घोटाले करने के आरोप लगाए है. कंपनी कर्मचारियों को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है और कर्मचारियों को बिना किसी कारण निकाला जा रहा है.

108 Ambulance Union
एम्बुलेंस यूनियन
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Published : Feb 2, 2021, 6:48 PM IST

शिमलाः हिमाचल प्रदेश 108 एम्बुलेंस यूनियन के अध्यक्ष पूर्ण चंद ने जीवीके कंपनी पर घोटाले करने के आरोप लगाए है. ऐसे में यूनियन के अध्यक्ष ने कंपनी के खिलाफ विजीलैंस जांच करने की मांग की है. हिमाचल में 108 और 102 एम्बुलेंस चलाने का जिम्मा जीवीके कंपनी को दिया गया है. लेकिन यूनियन के अध्यक्ष पूर्ण चंद ने शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कंपनी पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए है.

निष्पक्षता से जांच की मांग

पूर्णचंद ने कहा कि जब किसी भी कर्मचारी को नौकरी पर रखा जाता है, तो कंपनी ट्रेनिंग का कर्मचारियों से पैसा लेती है ओर बाद में कईं कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाता है. ट्रेनिंग का पैसा कहां जा रहा है. उसका कोई पता नहीं चल रहा है. इसको लेकर निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए. वहीं, कर्मचारियों को वेतन भी कम दिया जाता था. लेकिन अब तो मिनिमम वेतन देने के आदेश जारी हुए है. कंपनी ने काफी गड़बड़ झाला किया है.

वीडियो.

800 के करीब कर्मचारियों के हक में फैसला

हिमाचल के 108 और 102 एंबुलैंस के कर्मचारियों में खुशी का माहौल तब बना है, जब निचली अदालत ने फैसला कर्मचारियों के हक में सुनाया और 53 पेज के फैसले में मिनिमम वेज और 2015 से एरियर देने के आदेश दिए हैं. इसका लाभ 800 के करीब कर्मचारियों को होगा.

पूर्ण चंद का कहना है कि हम केंद्र और राज्य सरकार के नेशनल हैल्थ मिशन के अधिकारियों ने सच्चाई को अदालत में रखा और अदालत ने भी सच्चाई को सुना और निष्पक्षता पूर्ण फैसला सुनाया.

कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रही कंपनी

दूसरी तरफ कर्मचारियों को कंपनी प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है और कर्मचारियों को बिना किसी कारण निकाला जा रहा है और गाडियां खड़ी हो रही है. कंपनी कर्मचारियों पर झुठे आरोप लगा कर बाहर निकाल रही है.

जिसका कारण ये है कि कर्मचारियों ने अपने हक की लड़ाई लड़ी है. कंपनी कर्मचारियों को इसी बात को लेकर परेशान कर रही है. इस दौरान कर्मचारियों के इस केस को लड़ने वाले प्रवक्ता आर.के खेदटा भी मौजूद रहे.

कर्मचारियों ने सरकार से की अपील

कर्मचारियों ने सरकार से अपील की है की इसके बारे में उचित कार्रवाई करें और कर्मचारियों को वापस नौकरी पर रखा जाए.पूर्ण का कहना है कि जो पुरानी गाड़ीयां खड़ी है. उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उनके कभी टायर चोरी तो कभी इंजन चोरी हो रहे है.

नौकरी से निकाले कर्मचारी को वापिस लाए कंपनी

जीवीके कंपनी द्वारा 8 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है. उन्हें वापिस नौकरी पर लाने के लिए यूनियन ने पहले भी मांग की है. लेकिन अभी तक कंपनी की तरफ से कोई जबाव नहीं आया है. 8 कर्मचारी ऐसे है जो कि बैरोजगा र हो गए है. यूनियन ने कंपनी और सरकार से एक बार फिर मांग की है कि इन कर्मचारियों को वापिस नौकरी पर लाया जाए.

कोविड काल में नहीं मिली पीपीई किट

कोरोना काल के दौरान एंबुलेंस कर्मचारियों के लिए खालसा ऐट नाम से पटियाला की एक संस्था ने कर्मचारियों के लिए 400 पी.पी.ई किट दी थी, लेकिन 200 किटों का ही ब्योरा. यूनियन ने किटों की मांग की थी. किटों का कोई पता नहीं चला है कि वह कहां गई हैं. इसकी जांच होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- 7वीं की छात्रा ने बनाया स्मार्ट वॉशरूम, फ्लश में ही मिनी वॉशिंग मशीन और गीजर की व्यवस्था

शिमलाः हिमाचल प्रदेश 108 एम्बुलेंस यूनियन के अध्यक्ष पूर्ण चंद ने जीवीके कंपनी पर घोटाले करने के आरोप लगाए है. ऐसे में यूनियन के अध्यक्ष ने कंपनी के खिलाफ विजीलैंस जांच करने की मांग की है. हिमाचल में 108 और 102 एम्बुलेंस चलाने का जिम्मा जीवीके कंपनी को दिया गया है. लेकिन यूनियन के अध्यक्ष पूर्ण चंद ने शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कंपनी पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए है.

निष्पक्षता से जांच की मांग

पूर्णचंद ने कहा कि जब किसी भी कर्मचारी को नौकरी पर रखा जाता है, तो कंपनी ट्रेनिंग का कर्मचारियों से पैसा लेती है ओर बाद में कईं कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जाता है. ट्रेनिंग का पैसा कहां जा रहा है. उसका कोई पता नहीं चल रहा है. इसको लेकर निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए. वहीं, कर्मचारियों को वेतन भी कम दिया जाता था. लेकिन अब तो मिनिमम वेतन देने के आदेश जारी हुए है. कंपनी ने काफी गड़बड़ झाला किया है.

वीडियो.

800 के करीब कर्मचारियों के हक में फैसला

हिमाचल के 108 और 102 एंबुलैंस के कर्मचारियों में खुशी का माहौल तब बना है, जब निचली अदालत ने फैसला कर्मचारियों के हक में सुनाया और 53 पेज के फैसले में मिनिमम वेज और 2015 से एरियर देने के आदेश दिए हैं. इसका लाभ 800 के करीब कर्मचारियों को होगा.

पूर्ण चंद का कहना है कि हम केंद्र और राज्य सरकार के नेशनल हैल्थ मिशन के अधिकारियों ने सच्चाई को अदालत में रखा और अदालत ने भी सच्चाई को सुना और निष्पक्षता पूर्ण फैसला सुनाया.

कर्मचारियों को प्रताड़ित कर रही कंपनी

दूसरी तरफ कर्मचारियों को कंपनी प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है और कर्मचारियों को बिना किसी कारण निकाला जा रहा है और गाडियां खड़ी हो रही है. कंपनी कर्मचारियों पर झुठे आरोप लगा कर बाहर निकाल रही है.

जिसका कारण ये है कि कर्मचारियों ने अपने हक की लड़ाई लड़ी है. कंपनी कर्मचारियों को इसी बात को लेकर परेशान कर रही है. इस दौरान कर्मचारियों के इस केस को लड़ने वाले प्रवक्ता आर.के खेदटा भी मौजूद रहे.

कर्मचारियों ने सरकार से की अपील

कर्मचारियों ने सरकार से अपील की है की इसके बारे में उचित कार्रवाई करें और कर्मचारियों को वापस नौकरी पर रखा जाए.पूर्ण का कहना है कि जो पुरानी गाड़ीयां खड़ी है. उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उनके कभी टायर चोरी तो कभी इंजन चोरी हो रहे है.

नौकरी से निकाले कर्मचारी को वापिस लाए कंपनी

जीवीके कंपनी द्वारा 8 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है. उन्हें वापिस नौकरी पर लाने के लिए यूनियन ने पहले भी मांग की है. लेकिन अभी तक कंपनी की तरफ से कोई जबाव नहीं आया है. 8 कर्मचारी ऐसे है जो कि बैरोजगा र हो गए है. यूनियन ने कंपनी और सरकार से एक बार फिर मांग की है कि इन कर्मचारियों को वापिस नौकरी पर लाया जाए.

कोविड काल में नहीं मिली पीपीई किट

कोरोना काल के दौरान एंबुलेंस कर्मचारियों के लिए खालसा ऐट नाम से पटियाला की एक संस्था ने कर्मचारियों के लिए 400 पी.पी.ई किट दी थी, लेकिन 200 किटों का ही ब्योरा. यूनियन ने किटों की मांग की थी. किटों का कोई पता नहीं चला है कि वह कहां गई हैं. इसकी जांच होनी चाहिए.

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