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चुराग के युवा धर्मपाल को सरकार की करुणा का इंतजार, 20 साल से लगा रहा नौकरी की गुहार - धर्मपाल को नौकरी

धर्मपाल के पिता सरकारी कर्मचारी थे और नौकरी के दौरान ही उनका वर्ष 2000 में निधन हो गया था. सिर से पिता का साया उठने के परिवार पर संकटों का पहाड़ टूट पड़ा. घर और परिवार का पूरा खर्च पिता की वेतन पर चलता था. इसके बाद माता की पेंशन लगी लेकिन अब उनका भी देहांत हो गया है. धर्मपाल सरकार से करुणामुल्क आधार पर नौकरी देने की मांग कर रहे है.

Youth waiting for job in karsog
एसडीएम करसोग सुरेंद्र ठाकुर
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Published : Sep 6, 2020, 6:25 PM IST

करसोग: उपमंडल करसोग में चुराग के युवा धर्मपाल पिछले दो दशकों से नौकरी के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुके हैं, लेकिन अभी तक 20 सालों में सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है.

धर्मपाल के पिता सरकारी कर्मचारी थे और नौकरी के दौरान ही उनका वर्ष 2000 में निधन हो गया था. सिर से पिता का साया उठने के परिवार पर संकटों का पहाड़ टूट पड़ा. घर और परिवार का पूरा खर्च पिता की वेतन पर चलता था. इसके बाद माता की पेंशन लगी, लेकिन अब उनका भी देहांत हो गया है. ऐसे में धर्मपाल का परिवार अब आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

जिंदगी के इस कठिन दौर से बाहर निकलने के लिए धर्मपाल पिछले 20 सालों से नौकरी के लिए गुहार लगा रहा है. करसोग विधानसभा क्षेत्र में केवल मात्र धर्मपाल ही एक जरूरतमंद नहीं है बल्कि बहुत से ऐसे और भी लोग हैं, जिन्हें करुणामुल्क आधार पर नौकरी मिलने का इंतजार है. यह लोग पिछले कई सालों से सरकारी दफ्तरों में नौकरी के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं जा रहा है.

इन लोगों ने एक बार फिर विधायक हीरालाल और एसडीएम करसोग सुरेंद्र ठाकुर से मिलकर अपने गृह जिला से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मांग पत्र सौंपा है. इन सभी लोगों ने मांग की है कि मुख्यमंत्री करूणामुल्क के आधार पर नौकरी देने की गुहार लगाई है. मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि अनुकंपा के आधार पर दी जानी वाली नौकरिया पंद्रह सालों से लटकी है. सरकार हर बार नई पॉलसी बना रही है, लेकिन नौकरी किसी को नहीं मिल रही है.

भन्थल पंचायत के श्यामलाल का कहना है कि उनके पिता पीडब्ल्यूडी विभाग में कार्यरत थे जिनका निधन साल 2012 में हो गया. उसके बाद से करुणामुल्क आधार पर नौकरी नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि नौकरी के लिए भेजी जाने वाली फाइल कभी मंडी से वापस भेजी जाती है तो कभी उपमंडल में ही अटक जाती है. ऐसे में वह आठ सालों से नौकरी के लिए भटक रहे है.

वहीं, चुराग के धर्मपाल का कहना है कि पिता जी का निधन वर्ष 2000 में हो गया था. उन्होंने बताया कि माता का भी देहांत हो गया है. ऐसे में घर की आर्थिक स्थित बहुत खराब हो चुकी है. उन्होंने कहा कि अनुकंपा के आधार पर 20 सालों से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं. इसके लिए कई बार सचिवालय सहित अन्य सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे हैं लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिली है.

ये भी पढ़ें: श्रम कानूनों में बदलाव व किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ मजदूरों-किसानों का धरना

करसोग: उपमंडल करसोग में चुराग के युवा धर्मपाल पिछले दो दशकों से नौकरी के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटकर थक चुके हैं, लेकिन अभी तक 20 सालों में सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है.

धर्मपाल के पिता सरकारी कर्मचारी थे और नौकरी के दौरान ही उनका वर्ष 2000 में निधन हो गया था. सिर से पिता का साया उठने के परिवार पर संकटों का पहाड़ टूट पड़ा. घर और परिवार का पूरा खर्च पिता की वेतन पर चलता था. इसके बाद माता की पेंशन लगी, लेकिन अब उनका भी देहांत हो गया है. ऐसे में धर्मपाल का परिवार अब आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

जिंदगी के इस कठिन दौर से बाहर निकलने के लिए धर्मपाल पिछले 20 सालों से नौकरी के लिए गुहार लगा रहा है. करसोग विधानसभा क्षेत्र में केवल मात्र धर्मपाल ही एक जरूरतमंद नहीं है बल्कि बहुत से ऐसे और भी लोग हैं, जिन्हें करुणामुल्क आधार पर नौकरी मिलने का इंतजार है. यह लोग पिछले कई सालों से सरकारी दफ्तरों में नौकरी के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं जा रहा है.

इन लोगों ने एक बार फिर विधायक हीरालाल और एसडीएम करसोग सुरेंद्र ठाकुर से मिलकर अपने गृह जिला से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मांग पत्र सौंपा है. इन सभी लोगों ने मांग की है कि मुख्यमंत्री करूणामुल्क के आधार पर नौकरी देने की गुहार लगाई है. मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि अनुकंपा के आधार पर दी जानी वाली नौकरिया पंद्रह सालों से लटकी है. सरकार हर बार नई पॉलसी बना रही है, लेकिन नौकरी किसी को नहीं मिल रही है.

भन्थल पंचायत के श्यामलाल का कहना है कि उनके पिता पीडब्ल्यूडी विभाग में कार्यरत थे जिनका निधन साल 2012 में हो गया. उसके बाद से करुणामुल्क आधार पर नौकरी नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि नौकरी के लिए भेजी जाने वाली फाइल कभी मंडी से वापस भेजी जाती है तो कभी उपमंडल में ही अटक जाती है. ऐसे में वह आठ सालों से नौकरी के लिए भटक रहे है.

वहीं, चुराग के धर्मपाल का कहना है कि पिता जी का निधन वर्ष 2000 में हो गया था. उन्होंने बताया कि माता का भी देहांत हो गया है. ऐसे में घर की आर्थिक स्थित बहुत खराब हो चुकी है. उन्होंने कहा कि अनुकंपा के आधार पर 20 सालों से नौकरी का इंतजार कर रहे हैं. इसके लिए कई बार सचिवालय सहित अन्य सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे हैं लेकिन अभी तक नौकरी नहीं मिली है.

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