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देववाणी में आज भी है हिमाचल के लोगों की आस्था, चावल के दानों से भविष्यवाणी करते हैं देवता! - देवभूमि हिमाचल की देव परंपरा

प्रचीन देव परंपरा की अनूठी झलक देवभूमि हिमाचल में देखने को मिलती है. इन्हीं में से एक है देववाणी, जिसे चावल के दानों के माध्यम से देवता का संदेश कहा जाता है. ईटीवी भारत आपको इसी पुरानी देव परंपरा और लोगों की अटूट आस्था से रूबरू करवाने जा रहा है.

Deity Prediction in Himachal
लोगों की देववाणी में आस्था
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Published : Feb 26, 2020, 11:46 PM IST

Updated : Feb 26, 2020, 11:54 PM IST

मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इन दिनों प्रचीन देव परंपरा की अनूठी झलक देखने को मिल रही है. लोगों की अपने ईष्ट देवता में अटूट आस्था और श्रद्धा देखते ही बन रही है. लोग अराध्य देवी-देवताओं से मन्नतें मांग श्रद्धानुसार भेंट अर्पित कर रहे हैं.

इन्हीं मान्यताओं में से एक है देववाणी, जिसे चावल के दानों के माध्यम से देवता का संदेश कहा जाता है. ईटीवी भारत आपको इसी पुरानी देव परंपरा और लोगों की अटूट आस्था से रूबरू करवाने जा रहा है. अगर कोई आपको कोई कहे कि चावल के दानों से देवता अपना संदेश देते हैं तो क्या आप इसे मानेंगे हो सकता है अधिकतर लोग इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हों, लेकिन देवभूमि हिमाचल के लोगों के लिए चावल के दाने ही देवता का संदेश प्राप्त करने का माध्यम है.

वीडियो रिपोर्ट

पुरानी देव परंपरा पर हिमाचल के लोग आज भी नतमस्तक हैं. इसे आस्था कहें या लोगों का देवता पर विश्वास पर आज भी यहां किसी काम को शुरू करने और किसी समस्या का हल जानने के लिए देवताओं की राय ली जाती है. इसी परंपरा को स्थानीय लोग देववाणी कहते हैं.

सबसे पहले कोई व्यक्ति मन्नत मांगता है. ये मन्नत सुख-समृद्धि, खुशहाली या अन्य किसी कार्य को लेकर हो सकती है. मन्नत के लिए चावल के दानों का सहारा लिया जाता है. देवता का गुर तीन उंगलियां से चावल के कुछ दाने उठाकर व्यक्ति की हथेली पर रखता है.

इस दौरान अगर दाने विषम संख्या जैसे 3, 5, 7 और 9 आए तो इसे देवता की सहमति करार दिया जाता है. अगर दाने सम संख्या जैसे 2, 4, 6 या 8 आए तो इसे देवता की असहमति करार दिया जाता है. वहीं, चावल के दानों के साथ अगर देवता को चढ़ाए गए फूल आ जाएं तो उनकी गिनती नहीं की जाती. इस पूरी प्रकिया में देवता का गुर तीन उंगलियों से बिना गिने चावल के दाने उठाकर देववाणी के लिए आए व्यक्ति की हथेली पर रख देते हैं. अब ये व्यक्ति की किस्मत पर ही तय होता है कि उसके मन में चल रहे सवाल का देवता ने क्या जवाब दिया.

इस पूरी प्रक्रिया को हिमाचल के लोग देववाणी कहते हैं. हालांकि चावल के दानों के स्थान पर किसी दूसरे सूखे अनाज का इस्तेमाल भी किया जाता है, लेकिन अधिकतर देवी-देवता के पास चावल के दानों से ही देववाणी की जाती है. वहीं, प्रसाद के रूप में भी इन्हीं चावल के दानों और फूलों को श्रद्धालुओं को दिया जाता है. हिमाचल में इस तरह की सैकड़ों पुरानी परंपराओं पर आज भी लोगों का अटूट विश्वास है.

पढ़ें: इस देवता को मंडी राज दरबार में मिला था कलश देवता का दर्जा, जानिए रोचक कहानी

मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में इन दिनों प्रचीन देव परंपरा की अनूठी झलक देखने को मिल रही है. लोगों की अपने ईष्ट देवता में अटूट आस्था और श्रद्धा देखते ही बन रही है. लोग अराध्य देवी-देवताओं से मन्नतें मांग श्रद्धानुसार भेंट अर्पित कर रहे हैं.

इन्हीं मान्यताओं में से एक है देववाणी, जिसे चावल के दानों के माध्यम से देवता का संदेश कहा जाता है. ईटीवी भारत आपको इसी पुरानी देव परंपरा और लोगों की अटूट आस्था से रूबरू करवाने जा रहा है. अगर कोई आपको कोई कहे कि चावल के दानों से देवता अपना संदेश देते हैं तो क्या आप इसे मानेंगे हो सकता है अधिकतर लोग इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हों, लेकिन देवभूमि हिमाचल के लोगों के लिए चावल के दाने ही देवता का संदेश प्राप्त करने का माध्यम है.

वीडियो रिपोर्ट

पुरानी देव परंपरा पर हिमाचल के लोग आज भी नतमस्तक हैं. इसे आस्था कहें या लोगों का देवता पर विश्वास पर आज भी यहां किसी काम को शुरू करने और किसी समस्या का हल जानने के लिए देवताओं की राय ली जाती है. इसी परंपरा को स्थानीय लोग देववाणी कहते हैं.

सबसे पहले कोई व्यक्ति मन्नत मांगता है. ये मन्नत सुख-समृद्धि, खुशहाली या अन्य किसी कार्य को लेकर हो सकती है. मन्नत के लिए चावल के दानों का सहारा लिया जाता है. देवता का गुर तीन उंगलियां से चावल के कुछ दाने उठाकर व्यक्ति की हथेली पर रखता है.

इस दौरान अगर दाने विषम संख्या जैसे 3, 5, 7 और 9 आए तो इसे देवता की सहमति करार दिया जाता है. अगर दाने सम संख्या जैसे 2, 4, 6 या 8 आए तो इसे देवता की असहमति करार दिया जाता है. वहीं, चावल के दानों के साथ अगर देवता को चढ़ाए गए फूल आ जाएं तो उनकी गिनती नहीं की जाती. इस पूरी प्रकिया में देवता का गुर तीन उंगलियों से बिना गिने चावल के दाने उठाकर देववाणी के लिए आए व्यक्ति की हथेली पर रख देते हैं. अब ये व्यक्ति की किस्मत पर ही तय होता है कि उसके मन में चल रहे सवाल का देवता ने क्या जवाब दिया.

इस पूरी प्रक्रिया को हिमाचल के लोग देववाणी कहते हैं. हालांकि चावल के दानों के स्थान पर किसी दूसरे सूखे अनाज का इस्तेमाल भी किया जाता है, लेकिन अधिकतर देवी-देवता के पास चावल के दानों से ही देववाणी की जाती है. वहीं, प्रसाद के रूप में भी इन्हीं चावल के दानों और फूलों को श्रद्धालुओं को दिया जाता है. हिमाचल में इस तरह की सैकड़ों पुरानी परंपराओं पर आज भी लोगों का अटूट विश्वास है.

पढ़ें: इस देवता को मंडी राज दरबार में मिला था कलश देवता का दर्जा, जानिए रोचक कहानी

Last Updated : Feb 26, 2020, 11:54 PM IST
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