सराज/मंडी: जिला के थुनाग में प्रदेश का दूसरा सिल्क सीड प्रोडक्शन सेंटर खोला जाएगा. प्रदेश मंत्रिमंडल ने इस केंद्र को चलाने के लिए 4 पदों को भरने की भी मंजूरी दे दी है. थुनाग में रेशम बीज उत्पादन केंद्र का मंडलीय कार्यालय खुलने से न केवल क्षेत्र के रेशम बीज उत्पादकों को लाभ मिलेगा बल्कि प्रदेश के मध्य जोन में इस व्यवसाय में लगे हजारों कोकून उत्पादकों को अब रेशम के बीज के लिए इधर उधर नहीं भटकना पड़ेगा.
थुनाग में उक्त केंद्र के लिए विभाग ने 1 बीघा जमीन का हस्तातंरण भी करवा दिया है. उम्मीद है कि जल्द ही साढ़े तीन करोड़ की लागत से बनने वाले इस प्रोडक्शन सेंटर के भवन का निर्माण कार्य शुरू होगा. सराज के बालीचौकी में कार्यरत रेशम अधिकारी डॉक्टर अरविंद भारद्वाज का कहना है कि वर्तमान में प्रदेश के पालमपुर में एकमात्र सिल्क प्रोडक्शन सेंटर काम कर रहा है. उक्त केंद्र से रेशम बीज की बढ़ रही मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही है.
थुनाग में रेशम बीज केंद्र के खुलने से कोकून उत्पादकों की न केवल बीज संबंधी समस्या हल होगी बल्कि इस केंद्र में कार्यरत विशेषज्ञों के चलते कोकून उत्पादकों को तकनीकी जानकारी भी उपलब्ध होगी. विभाग का मानना है कि थुनाग की जलवायु न केवल कोकून उत्पादन के लिए उत्तम है बल्कि इस क्षेत्र में सिल्क सीड प्रोडक्शन सेंटर पूरे प्रदेश की रेशम बीज की मांग को पूरा करेगा.
माना जा रहा है कि पालमपुर प्रोडक्शन सेंटर में अनुकूल जलवायु के अभाव में बीज का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है, जिस कारण हर साल प्रदेश के उत्पादकों के लिए केंद्रीय रेशम बोर्ड से बीज मंगवाया जा रहा है. शुरुआती दौर में कुछ उत्पादकों को ब्रीडिंग संबंधी तकनीकी जानकारी के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. उसके बाद कमर्शियल कोकून बीज उत्पादन को गति प्रदान की जाएगी. इन बीज केंद्र के द्वारा स्थानीय उत्पादकों की न केवल आय बढ़ेगी बल्कि परिवहन व्यय भी घटेगा .