करसोग: उपमंडल करसोग में सूखे की वजह से 70 फीसदी गेहूं की फसल खेतों में ही सुख कर बर्बाद हो गई है. करसोग कृषि विभाग ने रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेज दी है. इसके मुताबिक उपमंडल में बारिश पर निर्भर कृषि योग्य भूमि में 70 फीसदी से अधिक गेहूं की फसल पकने के पहले ही सूखे की भेंट चढ़ गई है. इसके अतिरिक्ति सिंचाई वाली कृषि योग्य भूमि में भी 50 फीसदी फसल बर्बाद हुई है.
650 में से 455 बीघा में बिजी हुई गेहूं बर्बाद
करसोग उपमंडल में रबी सीजन में करीब 650 बीघा भूमि पर गेहूं की बिजाई की गई है. इस तरह करीब 455 बीघा भूमि पर गेहूं की फसल सामान्य से कम हुई बारिश की वजह से बर्बाद हो गई. यही नहीं इस बार किसानों की मटर की फसल भी सूखे की वजह से चौपट हो गई है. कृषि विभाग के मुताबिक करसोग में 325 बीघा भूमि में मटर की बिजाई की गई है. जिसमें 60 फीसदी फसल सूखे की वजह से समाप्त हो गई है. ऐसे में चौतरफा पड़ी मार से किसानों की कमर टूट गई है. अब हजारों किसान परिवारों के सामने रोजी रोटी का भी संकट पैदा हो गया है.
सामान्य से कम बारिश:
1 मार्च से 31 मार्च तक प्री मानसून सीजन की बात करें तो प्रदेश में 41.7 मिलीमीटर बारिश हुई है. इस अवधि में सामान्य बारिश का आंकड़ा 110.9 मिलीमीटर बारिश का है. ऐसे में इस दौरान सामान्य से 62 फीसदी कम बारिश हुई है. इसी तरह से विंटर सीजन में 1 जनवरी से 28 फरवरी तक प्रदेश में सामान्य से 69 फीसदी कम बारिश हुई है. इस दौरान 59.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि इस अवधि में सामान्य बारिश का आंकड़ा 192.7 मिलीमीटर बारिश का है.
कृषि विभाग ने सौंपी रिपोर्ट
कृषि विभाग विकासखंड करसोग के विषय वार्ता विशेषज्ञ मुंशी राम ठाकुर का कहना है कि करसोग में 70 फिसदी गेहूं की फसल सूखे की वजह से बर्बाद हो गई है. उनका कहना है कि इसकी रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है. स्थानीय महिला का कहना है कि बारिश न होने से गेहूं की फसल सुख गई है. अब खेतों से गेहूं को उखाड़ कर पशुओं को खिलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसी तरह से मटर की फसल भी बर्बाद हो गई है.
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