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मंडी में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया सायर उत्सव, घरों में बने लजीज पकवान

मंडी में सायर के त्योहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. यह पर्व बरसात के मौसम के चले जाने और शरद ऋतु के आगमन को लेकर मनाया जाता है.

sair festival celebrated with joy in Mandi
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Published : Sep 17, 2019, 6:33 PM IST

मंडी: जिला मंडी में सायर का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान लोगों ने अपने घरों में मौसमी जड़ी बूटीयों की पूजा अर्चना कर नई फसल भगवान को अर्पित की.

मान्यता है कि यह पर्व बरसात के मौसम के चले जाने और शरद ऋतु के आगमन को लेकर मनाया जाता है. इस दौरान मौसमी जड़ी बूटीयों जैसे धान, मक्की, पेठू, खीरा, गलगल, कूरी, कोठा, द्रीढ़ा आदि की पूजा अर्चना की जाती है और सभी के मंगल भविष्य की कामना की जाती है.

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सायर का त्योहार अश्विन मास की संक्रांती को मनाया जाता है. सायर पर्व के दौरान लोग अपने घरों में तरह-तरह के पकवान रिश्तेदारों और आस पड़ोस के लोगों को खिलाते हैं. सायर के बाद कई दिनों तक मेलों का आयोजन भी करवाया जाता है

वीडियो.sair festival celebrated with joy in Mandi

मंडी: जिला मंडी में सायर का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान लोगों ने अपने घरों में मौसमी जड़ी बूटीयों की पूजा अर्चना कर नई फसल भगवान को अर्पित की.

मान्यता है कि यह पर्व बरसात के मौसम के चले जाने और शरद ऋतु के आगमन को लेकर मनाया जाता है. इस दौरान मौसमी जड़ी बूटीयों जैसे धान, मक्की, पेठू, खीरा, गलगल, कूरी, कोठा, द्रीढ़ा आदि की पूजा अर्चना की जाती है और सभी के मंगल भविष्य की कामना की जाती है.

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सायर का त्योहार अश्विन मास की संक्रांती को मनाया जाता है. सायर पर्व के दौरान लोग अपने घरों में तरह-तरह के पकवान रिश्तेदारों और आस पड़ोस के लोगों को खिलाते हैं. सायर के बाद कई दिनों तक मेलों का आयोजन भी करवाया जाता है

वीडियो.sair festival celebrated with joy in Mandi
Intro:मंडी। सायर का त्योहार मंडी जिला में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान लोगों ने अपने घरों में मौसमी जड़ी बूटीयों की पूजा अर्चना की और नई फसल के अनाज के अंश को भी भगवान को अर्पित किया। Body:पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह पर्व बरसात के मौसम के चले जाने और शरद ऋतु के आगमन को लेकर मनाया जाता है। इस दौरान मौसमी जड़ी बूटीयों जैसे - धान, मक्की, पेठू, खीरा, गलगल, कूरी, कोठा, द्रीढ़ा आदि की पूजा अर्चना की जाती है और सभी के मंगल भविष्य की कामना की जाती है। इस दिन नवविवाहित महिलाएं भादो का काला महिना अपने मायके में बिता कर अपने ससुराल वापिस आती हैं। इस दिन नवविवाहिताएं अपने सास ससुर को अखरोट व दु्रवा देकर आशिर्वाद लेती हैं और सायर की पूजा करके सभी के लिए मंगल भविष्य की कामना करती हैं। दुसरे दिन पूजा की सामाग्री को जल में प्रवाहित किया जाता है। अश्विन मास की संक्रांती को मनाया जाने वाला यह त्योहार हमारी परंपरा और संस्कृति से जुड़ा हुआ है जो आज भी कायम है व लोग ऐसे त्योहारों को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस त्योहार के पीछे यह भी मान्यता है कि अक्सर बरसात के मौसम में बड़े स्तर पर जान माल की हानी होती है और उसी से बचाव के बाद इस पर्व को मनाया जाता है। तभी इस दिन प्राकृतिक चीजों की पूजा अर्चना कर प्रकृति का आभार जताया जाता है। सायर पर्व के दौरान लोग अपने घरों में तरह तरह के व्यंजन व पकवान रिस्तेदारों व आस पड़ोस के लोगों को खिलाते हैं। सायर के दिन व बाद में कई स्थानों पर मेलों का आयोजन भी करवाया जाता है। जिला प्रशासन की ओर से भी सायर के दिन स्थानीय अवकाश की घोषित किया जाता है।

बाइट - सपना, स्थानीय निवासी
बाइट - शोभाराम, स्थानीय निवासीConclusion:
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