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पशुओं के पीने लायक भी नहीं था जो पानी, यहां घरों में कर दी सप्लाई

करसोग में बीते दिन हुई भारी बारिश के बाद घरों में मटमैले पानी सप्लाई करने का गंभीर मामला सामने आया है. दूषित पानी के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.

पशुओं के पीने लायक भी नहीं था जो पानी, यहां घरों में सीधे दे दी उसी की सप्लाई
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Published : Jul 16, 2019, 9:56 AM IST

मंड़ी: करसोग के शंकर देहरा में स्थित सोर्स से लोगों को रोजाना 2.65 लाख लीटर पानी की सप्लाई दी जाती है. लोगों को पीने का साफ पानी मिले इसके लिए बाकायदा सोर्स के साथ स्लो सैंड फिल्टर तैयार भी किया गया है. यहां से फिल्टर होने के बाद स्टोरेज टैंकों में डाला गया है. इसके बाद ही यहां से करसोग नगर पंचायत के तहत लोगों को सप्लाई दी जाती है.

पशुओं के पीने लायक भी नहीं था जो पानी, यहां घरों में सीधे दे दी उसी की सप्लाई

अब सवाल ये है कि जब इतनी लंबी चौड़ी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है तो लोगों के नलों में मटमैला पानी कहां से आया. करसोग में मानसून सीजन की पहली बारिश ने ही आईपीएच विभाग की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है.

करसोग में बीते दिन हुई भारी बारिश से मटमैले हुए पानी की सीधी सप्लाई लोगों के घरों को कर दी, जिसकी शिकायत लोगों ने उच्चाधिकारियों से भी की. यही नहीं सोशल मीडिया में भी मटमैले पानी का वीडियो खूब वायरल हो रहा है. लोगों का कहना कि पानी इतना गंदा था कि ये पशुओं को भी पिलाने के लायक नहीं था.

Rainy water supply in karsog
पशुओं के पीने लायक भी नहीं था जो पानी, यहां घरों में सीधे दे दी उसी की सप्लाई

वहीं आईपीएच विभाग करसोग डिवीजन के अधिशासी अभियंता विवेक हाजिरी का कहना है कि शंकर देहरा से इन दिनों रोड कटिंग का कार्य चल रहा है. यहां भारी बारिश के साथ मलवा पानी के सोर्स में चला गया, जिस कारण लोगों से मटमैले पानी की शिकायत प्राप्त हुई थी. उन्होंने कहा कि अब इस तरह की कोई समस्या नहीं है. भविष्य में लोगों को ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसके लिए मटमैला होने पर तुरन्त पानी की सप्लाई को रोकने के आदेश जारी किए गए हैं.

मंड़ी: करसोग के शंकर देहरा में स्थित सोर्स से लोगों को रोजाना 2.65 लाख लीटर पानी की सप्लाई दी जाती है. लोगों को पीने का साफ पानी मिले इसके लिए बाकायदा सोर्स के साथ स्लो सैंड फिल्टर तैयार भी किया गया है. यहां से फिल्टर होने के बाद स्टोरेज टैंकों में डाला गया है. इसके बाद ही यहां से करसोग नगर पंचायत के तहत लोगों को सप्लाई दी जाती है.

पशुओं के पीने लायक भी नहीं था जो पानी, यहां घरों में सीधे दे दी उसी की सप्लाई

अब सवाल ये है कि जब इतनी लंबी चौड़ी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है तो लोगों के नलों में मटमैला पानी कहां से आया. करसोग में मानसून सीजन की पहली बारिश ने ही आईपीएच विभाग की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है.

करसोग में बीते दिन हुई भारी बारिश से मटमैले हुए पानी की सीधी सप्लाई लोगों के घरों को कर दी, जिसकी शिकायत लोगों ने उच्चाधिकारियों से भी की. यही नहीं सोशल मीडिया में भी मटमैले पानी का वीडियो खूब वायरल हो रहा है. लोगों का कहना कि पानी इतना गंदा था कि ये पशुओं को भी पिलाने के लायक नहीं था.

Rainy water supply in karsog
पशुओं के पीने लायक भी नहीं था जो पानी, यहां घरों में सीधे दे दी उसी की सप्लाई

वहीं आईपीएच विभाग करसोग डिवीजन के अधिशासी अभियंता विवेक हाजिरी का कहना है कि शंकर देहरा से इन दिनों रोड कटिंग का कार्य चल रहा है. यहां भारी बारिश के साथ मलवा पानी के सोर्स में चला गया, जिस कारण लोगों से मटमैले पानी की शिकायत प्राप्त हुई थी. उन्होंने कहा कि अब इस तरह की कोई समस्या नहीं है. भविष्य में लोगों को ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसके लिए मटमैला होने पर तुरन्त पानी की सप्लाई को रोकने के आदेश जारी किए गए हैं.

Intro:करसोग को शंकर देहरा में स्थित सोर्स से पानी की सप्लाई की जाती है। वर्ष 1991 में निर्मित हुई इस योजना से करसोग को रोजाना 2.65 लाख लीटर पानी की सप्लाई दी जाती है। लोगों को पीने का साफ पानी मिले इसके लिए बाकायदा सोर्स के साथ स्लो सैंड फिल्टर तैयार भी किया गया है। यहां से फिल्टर होने के बाद स्टोरेज टैंकों में डाला गया है। इसके बाद ही यहां से करसोग नगर पंचायत के तहत लोगों को सप्लाई दी जाती है। वहीं पानी आईपीएच का दावा है कि यहां पूरी प्रक्रिया को फ्लो करने के बाद ही पानी सप्लाई किया जाता है। सवाल है कि जब इतने लंबी चौड़ी प्रक्रिया को फ्लो किया जा रहा है तो लोगों के नलों में मटमैला पानी कहाँ से आया। Body:पशुओं के पीने लायक भी नहीं था जो पानी, यहां घरों में सीधे दे दी उसी की सप्लाई।
करसोग
करसोग में मानसून सीजन की पहली बारिश ने ही आईपीएच विभाग की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है। शनिवार को करसोग में भारी बारिश से मटमैले हुए पानी की सीधी सप्लाई लोगों के घरों को कर दी। देखने पर ही पानी में मिट्टी का साफ पता चल रहा था। जिसकी शिकायत लोगों ने उच्चाधिकारियों से भी कर दी। यही नहीं सोशल मीडिया में भी मटमैले पानी की वीडियो खूब वायरल हो रही है। जिससे आईपीएच विभाग की लोगों के बीच खूब फजीहत हो रही है। लोगों का कहना पानी इतना गंदा था कि ये पशुओं को भी पिलाने के लायक नहीं था।

शंकरदेहरा से आता है करसोग को पानी:
करसोग को शंकर देहरा में स्थित सोर्स से पानी की सप्लाई की जाती है। वर्ष 1991 में निर्मित हुई इस योजना से करसोग को रोजाना 2.65 लाख लीटर पानी की सप्लाई दी जाती है। लोगों को पीने का साफ पानी मिले इसके लिए बाकायदा सोर्स के साथ स्लो सैंड फिल्टर तैयार भी किया गया है। यहां से फिल्टर होने के बाद स्टोरेज टैंकों में डाला गया है। इसके बाद ही यहां से करसोग नगर पंचायत के तहत लोगों को सप्लाई दी जाती है। वहीं पानी आईपीएच का दावा है कि यहां पूरी प्रक्रिया को फ्लो करने के बाद ही पानी सप्लाई किया जाता है। सवाल है कि जब इतने लंबी चौड़ी प्रक्रिया को फ्लो किया जा रहा है तो लोगों के नलों में मटमैला पानी कहाँ से आया।

नहीं दी जाएगी मटमैले पानी सप्लाई: अधिशाषी अभियंता:
आईपीएच विभाग करसोग डिवीजन के अधिशाषी अभियंता विवेक हाजिरी का कहना है कि शंकरदेहरा से इन दिनों रोड कटिंग का कार्य चल रहा है। यहां भारी बारिश के साथ मलवा पानी के सोर्स में चला गया। जिस कारण लोगों से मटमैले पानी की शिकायत प्राप्त हुई थी, लेकिन इसके बाद सप्लाई को एक दिन के लिए बंद रखा गया था। उन्होंने कहा कि अब इस तरह की कोई समस्या नहीं है। भविष्य में लोगों को ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसके लिए मटमैला होने पर तुरन्त पानी की सप्लाई को रोकने के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि रोजाना पानी की टेस्टिंग के बाद ही सप्लाई दी जाती है। इसके लिए विभाग के कर्मचारियों को टेस्टिंग किट दी गई है। इसके अलावा पानी के सैम्पल को रेंडमली वाटर टेस्टिंग लैब में भी जांच के लिए भेजा जाता है।








Conclusion:आईपीएच विभाग करसोग डिवीजन के अधिशाषी अभियंता विवेक हाजिरी का कहना है कि शंकरदेहरा से इन दिनों रोड कटिंग का कार्य चल रहा है। यहां भारी बारिश के साथ मलवा पानी के सोर्स में चला गया। जिस कारण लोगों से मटमैले पानी की शिकायत प्राप्त हुई थी, लेकिन इसके बाद सप्लाई को एक दिन के लिए बंद रखा गया था। उन्होंने कहा कि अब इस तरह की कोई समस्या नहीं है। भविष्य में लोगों को ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़े, इसके लिए मटमैला होने पर तुरन्त पानी की सप्लाई को रोकने के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि रोजाना पानी की टेस्टिंग के बाद ही सप्लाई दी जाती है। इसके लिए विभाग के कर्मचारियों को टेस्टिंग किट दी गई है। इसके अलावा पानी के सैम्पल को रेंडमली वाटर टेस्टिंग लैब में भी जांच के लिए भेजा जाता है।





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