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करसोग में पीस मील वर्करों की हड़ताल जारी, बढ़ी परेशानी

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Published : Dec 18, 2021, 8:24 AM IST

करसोग में पीस मील वर्करों की हड़ताल जारी है. करसोग में पीस मिल वर्करों के स्ट्राइक पर (piece meal workers strike in karsog) जाने से अब लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है. यहां वर्कशॉप में सेवाएं दे रहे 17 पीस मिल वर्कर करीब 19 दिनों से टूल डाउन स्ट्राइक (himachal piece meal workers strike) पर हैं. स्ट्राइक की वजह से बसों की समय पर मरम्मत भी नहीं हो रही है.

piece meal workers strike in karsog
करसोग में पीस मील वर्करों की हड़ताल

करसोग: अनुबंध नीति (contract policy in himachal) को लेकर हिमाचल प्रदेश में पीस मील वर्करों की हड़ताल (himachal piece meal workers strike) लगातार जारी है. पीस मील वर्करों की हड़ताल का खामियाजा अब निगम प्रबंधन को भी भुगतना पड़ रहा है. रोजाना बसों की मरम्मत में भी अब परेशानियां सामने आने लगी है, तो कई बसें बीच रूट में ही खराब हो रही है.

करसोग में पीस मील वर्करों की हड़ताल जारी है. करसोग में पीस मिल वर्करों के स्ट्राइक पर (piece meal workers strike in karsog) जाने से अब लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है. यहां वर्कशॉप में सेवाएं दे रहे 17 पीस मिल वर्कर करीब 19 दिनों से टूल डाउन स्ट्राइक (himachal piece meal workers strike) पर हैं. स्ट्राइक की वजह से बसों की समय पर मरम्मत भी नहीं हो रही है. जिससे अब ग्रामीण क्षेत्रों में रूट प्रभावित होने लगे हैं. मरम्मत न होने से 15 बसें खराब होने के बाद वर्कशॉप में खड़ी है.

हालांकि जिला मंडी के करसोग डिपो (hrtc worker protest in mandi) में व्यवस्था को सामान्य बनाने के लिए अन्य डिपो से तीन मैकेनिक भेजे गए हैं, लेकिन तीन लोगों के लिए 54 बसों को देखना संभव नहीं है. सरकार की ओर से मांगें न माने जाने से पीस मिल वर्कर 29 नवंबर से टूल डाउन स्ट्राइक पर हैं, जो अभी भी जारी है.

पीस मील वर्करों की मुख्य मांग अनुबंध पर लाए जाने की है. करसोग डिपो में 11 पीस मिल वर्कर पिछले सात साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जबकि 6 पीस मिल वर्करों को सेवाएं देते हुए चार से पांच साल बीत गए हैं. ऐसे में इतना लंबा अरसा बीतने के बाद भी अनुबंध पर न लाए जाने से पीस मील वर्कर नाराज हैं.

बिना छुट्टी के आठ घंटे ड्यूटी देने के बाद भी इन कर्मचारियों को हर माह मुश्किल से 7 से 8 हजार रुपये वेतन मिलता है. महंगाई के इस कठिन दौर में परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. करसोग डिपो के आरएम सुभाष रंहोत्रा का कहना है कि डिपो में 15 बसें खराब हैं. उनका कहना है कि पीस मील वर्करों के हड़ताल पर जाने से समय पर बसों की मरम्मत नहीं हो रही है.

ये भी पढ़ें: Snowfall In Manali: बर्फबारी का लुत्फ उठाने होटल से बाहर निकले सैलानी

करसोग: अनुबंध नीति (contract policy in himachal) को लेकर हिमाचल प्रदेश में पीस मील वर्करों की हड़ताल (himachal piece meal workers strike) लगातार जारी है. पीस मील वर्करों की हड़ताल का खामियाजा अब निगम प्रबंधन को भी भुगतना पड़ रहा है. रोजाना बसों की मरम्मत में भी अब परेशानियां सामने आने लगी है, तो कई बसें बीच रूट में ही खराब हो रही है.

करसोग में पीस मील वर्करों की हड़ताल जारी है. करसोग में पीस मिल वर्करों के स्ट्राइक पर (piece meal workers strike in karsog) जाने से अब लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है. यहां वर्कशॉप में सेवाएं दे रहे 17 पीस मिल वर्कर करीब 19 दिनों से टूल डाउन स्ट्राइक (himachal piece meal workers strike) पर हैं. स्ट्राइक की वजह से बसों की समय पर मरम्मत भी नहीं हो रही है. जिससे अब ग्रामीण क्षेत्रों में रूट प्रभावित होने लगे हैं. मरम्मत न होने से 15 बसें खराब होने के बाद वर्कशॉप में खड़ी है.

हालांकि जिला मंडी के करसोग डिपो (hrtc worker protest in mandi) में व्यवस्था को सामान्य बनाने के लिए अन्य डिपो से तीन मैकेनिक भेजे गए हैं, लेकिन तीन लोगों के लिए 54 बसों को देखना संभव नहीं है. सरकार की ओर से मांगें न माने जाने से पीस मिल वर्कर 29 नवंबर से टूल डाउन स्ट्राइक पर हैं, जो अभी भी जारी है.

पीस मील वर्करों की मुख्य मांग अनुबंध पर लाए जाने की है. करसोग डिपो में 11 पीस मिल वर्कर पिछले सात साल से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जबकि 6 पीस मिल वर्करों को सेवाएं देते हुए चार से पांच साल बीत गए हैं. ऐसे में इतना लंबा अरसा बीतने के बाद भी अनुबंध पर न लाए जाने से पीस मील वर्कर नाराज हैं.

बिना छुट्टी के आठ घंटे ड्यूटी देने के बाद भी इन कर्मचारियों को हर माह मुश्किल से 7 से 8 हजार रुपये वेतन मिलता है. महंगाई के इस कठिन दौर में परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. करसोग डिपो के आरएम सुभाष रंहोत्रा का कहना है कि डिपो में 15 बसें खराब हैं. उनका कहना है कि पीस मील वर्करों के हड़ताल पर जाने से समय पर बसों की मरम्मत नहीं हो रही है.

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