ETV Bharat / state

करसोग बाई पास के लिए भेजी गई थी 4.83 करोड़ की DPR, नाबार्ड का ऑब्जेक्शन - करसोग हिंदी न्यूज

पीडब्ल्यूडी की ओर से बाई पास निर्माण के लिए भेजी गई 4.83 करोड़ की डीपीआर को नाबार्ड ने ऑब्जेक्शन लगाकर वापस भेज दिया है. ऐसे में अब बाईपास के निर्माण का कार्य अभी लटक गया है. फिलहाल करसोग बाजार में जाम की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना होगा.

karsog bypass
karsog bypass
author img

By

Published : Sep 24, 2020, 5:46 PM IST

Updated : Oct 5, 2020, 4:16 PM IST

करसोग/मंडी: करसोग बाजार में जाम की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना होगा. पीडब्ल्यूडी की ओर से बाई पास निर्माण के लिए भेजी गई 4.83 करोड़ की डीपीआर को नाबार्ड ने ऑब्जेक्शन लगाकर वापस भेज दिया है. ऐसे में अब बाईपास के निर्माण का कार्य अभी लटक गया है.

करसोग बाजार में रोजाना लगने वाले जाम की समस्या से निपटने के लिए पीडब्ल्यूडी ने सिविल सप्लाई के गैस गोदाम से बरल पुल तक 1.30 किलोमीटर बाईपास की डीपीआर तैयार करके नाबार्ड को स्वीकृति के लिए भेजी थी, जिसके निर्माण कार्य के लिए अनुमानित लागत 4.83 करोड़ की आंकी गई थी, लेकिन ये डीपीआर नाबार्ड के पैरामीटर के हिसाब में सही नहीं पाई गई.

वीडियो.

जिसको देखते हुए नाबार्ड ने डीपीआर में ऑब्जेक्शन लगाकर वापस भेज दिया है. ऐसे में पीडब्ल्यूडी को अब बाई पास निर्माण कार्य के आंकलन के लिए दोबारा से काम करना होगा.

बताया जा रहा है कि नाबार्ड का प्रति किलोमीटर सड़क निर्माण की कॉस्ट को लेकर अपने पैरामीटर तय हैं. इसके मुताबिक नाबार्ड का प्रति किलोमीटर सड़क निर्माण पर अधिकतम 1.50 करोड़ का शैड्यूल निर्धारित है. इस हिसाब से करसोग बाई पास की कीमत नाबार्ड के तय पैरामीटर से काफी अधिक बैठ रही थी. जिस कारण नाबार्ड ने डीपीआर को स्वीकृत नहीं किया है. ऐसे में जल्द जाम की समस्या से निपटने में लोगों की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है.

डंगे पर है अधिकतर करसोग बाई पास का निर्माण, तभी बढ़ी लागत

सिविल सप्लाई गैस गोदाम से बरल पुल तक प्रस्तावित बाईपास न्यारा गांव से होकर निकाला जाना है. जिस जगह से बाईपास बनाया जाना है, ये जगह खड्ड के किनारे पड़ती है. ऐसे में करसोग बाइपास का अधिकतर हिस्सा डंगे पर तैयार होना है. जिससे बाई पास की लागत बढ़ गई है. इसको देखते हुए अब पीडब्ल्यूडी को नए सिरे से डीपीआर तैयार करनी होगी.

हिमाचल प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य युवराज कपूर ने माना है कि नाबार्ड को जो करसोग बाई पास की डीपीआर भेजी गई थी, उसमें नाबार्ड ने ऑब्जेक्शन लगाया है. नाबार्ड के अपने कुछ पैरामीटर निर्धारित है, जिसमें प्रति किलोमीटर के लिए 1.50 करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत नहीं होती है. उन्होंने कहा कि इस बाईपास के लिए जयराम सरकार ने फिर से दिशा निर्देश जारी किए हैं. ऐसे में बाईपास की डीपीआर नए सिरे से तैयार करके भेजी जाएगी.

पढ़ें: कृषि से जुड़े बिलों को वापिस ले केंद्र सरकारः आम आदमी पार्टी

करसोग/मंडी: करसोग बाजार में जाम की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना होगा. पीडब्ल्यूडी की ओर से बाई पास निर्माण के लिए भेजी गई 4.83 करोड़ की डीपीआर को नाबार्ड ने ऑब्जेक्शन लगाकर वापस भेज दिया है. ऐसे में अब बाईपास के निर्माण का कार्य अभी लटक गया है.

करसोग बाजार में रोजाना लगने वाले जाम की समस्या से निपटने के लिए पीडब्ल्यूडी ने सिविल सप्लाई के गैस गोदाम से बरल पुल तक 1.30 किलोमीटर बाईपास की डीपीआर तैयार करके नाबार्ड को स्वीकृति के लिए भेजी थी, जिसके निर्माण कार्य के लिए अनुमानित लागत 4.83 करोड़ की आंकी गई थी, लेकिन ये डीपीआर नाबार्ड के पैरामीटर के हिसाब में सही नहीं पाई गई.

वीडियो.

जिसको देखते हुए नाबार्ड ने डीपीआर में ऑब्जेक्शन लगाकर वापस भेज दिया है. ऐसे में पीडब्ल्यूडी को अब बाई पास निर्माण कार्य के आंकलन के लिए दोबारा से काम करना होगा.

बताया जा रहा है कि नाबार्ड का प्रति किलोमीटर सड़क निर्माण की कॉस्ट को लेकर अपने पैरामीटर तय हैं. इसके मुताबिक नाबार्ड का प्रति किलोमीटर सड़क निर्माण पर अधिकतम 1.50 करोड़ का शैड्यूल निर्धारित है. इस हिसाब से करसोग बाई पास की कीमत नाबार्ड के तय पैरामीटर से काफी अधिक बैठ रही थी. जिस कारण नाबार्ड ने डीपीआर को स्वीकृत नहीं किया है. ऐसे में जल्द जाम की समस्या से निपटने में लोगों की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है.

डंगे पर है अधिकतर करसोग बाई पास का निर्माण, तभी बढ़ी लागत

सिविल सप्लाई गैस गोदाम से बरल पुल तक प्रस्तावित बाईपास न्यारा गांव से होकर निकाला जाना है. जिस जगह से बाईपास बनाया जाना है, ये जगह खड्ड के किनारे पड़ती है. ऐसे में करसोग बाइपास का अधिकतर हिस्सा डंगे पर तैयार होना है. जिससे बाई पास की लागत बढ़ गई है. इसको देखते हुए अब पीडब्ल्यूडी को नए सिरे से डीपीआर तैयार करनी होगी.

हिमाचल प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी सदस्य युवराज कपूर ने माना है कि नाबार्ड को जो करसोग बाई पास की डीपीआर भेजी गई थी, उसमें नाबार्ड ने ऑब्जेक्शन लगाया है. नाबार्ड के अपने कुछ पैरामीटर निर्धारित है, जिसमें प्रति किलोमीटर के लिए 1.50 करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत नहीं होती है. उन्होंने कहा कि इस बाईपास के लिए जयराम सरकार ने फिर से दिशा निर्देश जारी किए हैं. ऐसे में बाईपास की डीपीआर नए सिरे से तैयार करके भेजी जाएगी.

पढ़ें: कृषि से जुड़े बिलों को वापिस ले केंद्र सरकारः आम आदमी पार्टी

Last Updated : Oct 5, 2020, 4:16 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.