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लॉकडाउन का रोजी-रोटी पर असर, गाड़ियों पर ब्रेक से मैकेनिकों के चूल्हे हुए 'ठंडे'

कर्फ्यू में आवश्यक सेवाओं के लिए गाड़ियां तो सड़कों पर दौड़ रहीं हैं, लेकिन अधिकत्तर ऑटो मोबाइल सर्विस सेंटर में कामकाज ठप है. सिर्फ जरूरी सेवाओं में लगी गाड़ियां ही सर्विस के लिए आ रही हैं, जिससे ऑटो मोबाइल सर्विस के पेशे से जुड़े लोगों के सामने भारी अर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

Lock down: Stalled functioning in vehicle service centers
लॉकडाउन का रोजी-रोटी पर असर,
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Published : Apr 20, 2020, 9:09 PM IST

मंडी: कोरोना की मार आम से लेकर हर खास तक पड़ी है, चाहे वो सब्जी, फल वाला है या कोई बड़ा व्यवसायी. सोशल डिस्टेंशिंग के चलते फैक्ट्रियां बंद हैं, स्कूल, सरकारी दफ्तर हर तरफ सन्नाटा है. कर्फ्यू के चलते सड़कें सुनसान हैं. चौक चौराहों पर सिर्फ पुलिस के जवान दिखते हैं, निजी गाड़ियां, टैक्सी सर्विस, माल ढोने वाले वाहनों के पहियों पर ब्रेक लगा है.

ऐसे में मोटर मैकेनिक का कामकाज भी ठप है. कर्फ्यू में आवश्यक सेवाओं के लिए गाड़ियां तो सड़कों पर दौड़ रहीं हैं, लेकिन अधिकत्तर ऑटो मोबाइल सर्विस सेंटर में कामकाज ठप है. मंडी शहर के मंगवाई में मोटर सर्विस सेंटर चलाने वाले सुखनिधान सिंह का कहना है कि रिपेयर संबंधी सारा कामकाज ठप है. चार वर्कर की सैलरी भी उन्हें देनी पड़ रही है यूपी का वर्कर उनके पास ही ठहरा है. जिसका भी पूरा खर्चा उन्हें उठाना पड़ रहा है.

वहीं, नेशनल हाइवे पर पंचर व रिपेयर दुकानों को खोलने की छूट निर्धारित समय में प्रशासन की ओर से दी गई है, लेकिन यहां भी सामान्य के मुकाबले बेहद कम वाहन रिपेयर व अन्य कार्य के लिए पहुंच रहे हैं. जिससे दिहाड़ी भी पूरी नहीं हो पा रही है. पुलघराट में पंचर की दुकान करने वाले विजय कुमार का कहना है कि दो तीन लोग दिन में पंचर व अन्य कार्य के लिए पहुंच रहे हैं.

वीडियो

वहीं, आवश्यक सेवाएं प्रदान कर रहे वाहन चालकों का कहना है कि इस विपदा की घड़ी में वह लगातार अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन रिपेयर संबंधी सेवाएं सही तरीके से न मिलने पर दिक्कतें पेश आ रही है. एक टायर पंचर लगवाने के लिए उन्हें कई किलोमीटर जाना पड़ रहा है.

ऐसा लग रहा है कि कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया अंधकार में चली गई है, लेकिन एक दिन अंधेरा छटेंगा और सबके जीवन में एक नया सबेरा उजाला लाएगा.

मंडी: कोरोना की मार आम से लेकर हर खास तक पड़ी है, चाहे वो सब्जी, फल वाला है या कोई बड़ा व्यवसायी. सोशल डिस्टेंशिंग के चलते फैक्ट्रियां बंद हैं, स्कूल, सरकारी दफ्तर हर तरफ सन्नाटा है. कर्फ्यू के चलते सड़कें सुनसान हैं. चौक चौराहों पर सिर्फ पुलिस के जवान दिखते हैं, निजी गाड़ियां, टैक्सी सर्विस, माल ढोने वाले वाहनों के पहियों पर ब्रेक लगा है.

ऐसे में मोटर मैकेनिक का कामकाज भी ठप है. कर्फ्यू में आवश्यक सेवाओं के लिए गाड़ियां तो सड़कों पर दौड़ रहीं हैं, लेकिन अधिकत्तर ऑटो मोबाइल सर्विस सेंटर में कामकाज ठप है. मंडी शहर के मंगवाई में मोटर सर्विस सेंटर चलाने वाले सुखनिधान सिंह का कहना है कि रिपेयर संबंधी सारा कामकाज ठप है. चार वर्कर की सैलरी भी उन्हें देनी पड़ रही है यूपी का वर्कर उनके पास ही ठहरा है. जिसका भी पूरा खर्चा उन्हें उठाना पड़ रहा है.

वहीं, नेशनल हाइवे पर पंचर व रिपेयर दुकानों को खोलने की छूट निर्धारित समय में प्रशासन की ओर से दी गई है, लेकिन यहां भी सामान्य के मुकाबले बेहद कम वाहन रिपेयर व अन्य कार्य के लिए पहुंच रहे हैं. जिससे दिहाड़ी भी पूरी नहीं हो पा रही है. पुलघराट में पंचर की दुकान करने वाले विजय कुमार का कहना है कि दो तीन लोग दिन में पंचर व अन्य कार्य के लिए पहुंच रहे हैं.

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वहीं, आवश्यक सेवाएं प्रदान कर रहे वाहन चालकों का कहना है कि इस विपदा की घड़ी में वह लगातार अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, लेकिन रिपेयर संबंधी सेवाएं सही तरीके से न मिलने पर दिक्कतें पेश आ रही है. एक टायर पंचर लगवाने के लिए उन्हें कई किलोमीटर जाना पड़ रहा है.

ऐसा लग रहा है कि कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया अंधकार में चली गई है, लेकिन एक दिन अंधेरा छटेंगा और सबके जीवन में एक नया सबेरा उजाला लाएगा.

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