ETV Bharat / state

30 साल से शहीद की पत्नी को नहीं मिला न्याय, 1991 में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे दीपराज

आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में बम ब्लास्ट के दौरान शहीद दीपराज ठाकुर के परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी और शहीद दीपराज ठाकुर को शहीद का दर्जा नही मिला है.

author img

By

Published : Oct 12, 2019, 10:08 PM IST

30 साल से शहीद की पत्नी को नहीं मिला न्याय

मंडी: जिला के सरूआ गांव के शहीद दीपराज ठाकुर की शहादत जिला के लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है, लेकिन प्रदेश सरकार दीपराज ठाकुर की कुर्बानी को भूल चुकी है. 30 साल बीत जाने के बाद भी दीपराज ठाकुर के परिवार में किसी सदस्य को राज्य और केंद्र सरकार की ओर से ना तो कोई नौकरी और ना ही कोई आर्थिक मदद मिली है.

दीपराज ठाकुर के परिवार के सदस्यों, समाजसेवियों और ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि वह शहीद के परिवार को नौकरी दिलाने के लिएपहल करे और 30 साल के लंबे इंतजार के बाद जो भी वित्तीय लाभ दीपराज ठाकुर के परिवार को मिलने हैं, उन्हें दिलवाने में शहीद के परिवार की मदद करें.

शहीद दीपराज ठाकुर की विधवा पत्नी शारदा देवी ने कहा कि वह तकरीबन पिछले 30 सालों से न्याय के लिए शासन, प्रशासन और विभागीय अधिकारियों के कार्यालय में चकर लगाकर हार चुकी हैं, लेकिन अभी तक उनकी कोई भी सुनवाई नहीं हुई है.

वीडियो

उन्होंने बताया कि सन 1991 में आसाम के भूटान में एटीपीएफ बॉर्डर पर आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में बम ब्लास्ट के दौरान दीपराज ठाकुर अपने चार साथियों के साथ शहीद हो गए थे. उन्होंने कहा कि संबंधित राज्यों की सरकारों ने चार शहीदों के परिजनों को सरकारी नौकरी के साथ-साथ आर्थिक मदद और पेंशन वेतन की सेवा भी प्रदान करवाई है, लेकिन एकमात्र शहीद दीपराज ठाकुर के परिवार को हिमाचल सरकार ने ना तो शहीद का दर्जा दिया और ना ही किसी परिजन को सरकारी नौकरी दी.

शहीद दीपराज ठाकुर के भाई परसराम का कहना है कि वह अपने भाई को न्याय दिलवाने के लिए हिमाचल सरकार से लेकर केंद्र सरकार, आसाम सरकार के मुख्य सचिव राज्यपाल, देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, संबधित राज्यों के मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों से पैरवी और शहीद की पत्नी को न्याय दिलवाने के लिए आग्रह कर चुके हैं, लेकिन पिछले 30 सालों से उन्हें न्याय नहीं मिला है.

वहीं, दूसरी ओर ग्राम पंचायत प्रधान रोशन लाल ठाकुर का कहना है कि वह पंचायत के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखेंगे और दीपराज ठाकुर को शहीद का दर्जा दिलवाने, उसके घर तक पक्की सड़क का निर्माण करने और शहीद के नाम पर क्षेत्र में पार्क स्थापित करने की मांग करेंगे. इस परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी और न्याय दिलवाने के लिए हर मोर्चे पर जाएंगे.

ये भी पढ़ें: रंगड़ों के हमले से घायल बुजुर्ग ने तोड़ा दम, 4 मवेशियों की भी मौत

मंडी: जिला के सरूआ गांव के शहीद दीपराज ठाकुर की शहादत जिला के लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है, लेकिन प्रदेश सरकार दीपराज ठाकुर की कुर्बानी को भूल चुकी है. 30 साल बीत जाने के बाद भी दीपराज ठाकुर के परिवार में किसी सदस्य को राज्य और केंद्र सरकार की ओर से ना तो कोई नौकरी और ना ही कोई आर्थिक मदद मिली है.

दीपराज ठाकुर के परिवार के सदस्यों, समाजसेवियों और ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि वह शहीद के परिवार को नौकरी दिलाने के लिएपहल करे और 30 साल के लंबे इंतजार के बाद जो भी वित्तीय लाभ दीपराज ठाकुर के परिवार को मिलने हैं, उन्हें दिलवाने में शहीद के परिवार की मदद करें.

शहीद दीपराज ठाकुर की विधवा पत्नी शारदा देवी ने कहा कि वह तकरीबन पिछले 30 सालों से न्याय के लिए शासन, प्रशासन और विभागीय अधिकारियों के कार्यालय में चकर लगाकर हार चुकी हैं, लेकिन अभी तक उनकी कोई भी सुनवाई नहीं हुई है.

वीडियो

उन्होंने बताया कि सन 1991 में आसाम के भूटान में एटीपीएफ बॉर्डर पर आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में बम ब्लास्ट के दौरान दीपराज ठाकुर अपने चार साथियों के साथ शहीद हो गए थे. उन्होंने कहा कि संबंधित राज्यों की सरकारों ने चार शहीदों के परिजनों को सरकारी नौकरी के साथ-साथ आर्थिक मदद और पेंशन वेतन की सेवा भी प्रदान करवाई है, लेकिन एकमात्र शहीद दीपराज ठाकुर के परिवार को हिमाचल सरकार ने ना तो शहीद का दर्जा दिया और ना ही किसी परिजन को सरकारी नौकरी दी.

शहीद दीपराज ठाकुर के भाई परसराम का कहना है कि वह अपने भाई को न्याय दिलवाने के लिए हिमाचल सरकार से लेकर केंद्र सरकार, आसाम सरकार के मुख्य सचिव राज्यपाल, देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, संबधित राज्यों के मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों से पैरवी और शहीद की पत्नी को न्याय दिलवाने के लिए आग्रह कर चुके हैं, लेकिन पिछले 30 सालों से उन्हें न्याय नहीं मिला है.

वहीं, दूसरी ओर ग्राम पंचायत प्रधान रोशन लाल ठाकुर का कहना है कि वह पंचायत के माध्यम से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखेंगे और दीपराज ठाकुर को शहीद का दर्जा दिलवाने, उसके घर तक पक्की सड़क का निर्माण करने और शहीद के नाम पर क्षेत्र में पार्क स्थापित करने की मांग करेंगे. इस परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी और न्याय दिलवाने के लिए हर मोर्चे पर जाएंगे.

ये भी पढ़ें: रंगड़ों के हमले से घायल बुजुर्ग ने तोड़ा दम, 4 मवेशियों की भी मौत

Intro:30 साल से शहीद की विधवा पत्नी को नहीं मिला न्याय

सन 1991 में दीपराज ठाकुर आसाम में हुए थे शहीद

आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में बम ब्लास्ट के दौरान पी थी शहादत

ना परिवार के किसी सदस्य को मिली नौकरी ना ही वित्तीय लाभBody:एकर : मंडी जिला के बल्ह उपमंडल की हल्यातर पंचायत के सरूआ गांव के शहीद हुए दीपराज ठाकुर की शहादत को प्रदेश सरकार भले ही भूल चुकी है। लेकिन दीपराज ठाकुर की कुर्बानी आज भी मंडी जिला की जनता के दिल में है। राज्य और केंद्र सरकार की ओर से दीपराज ठाकुर के परिवार को ना तो 30 साल बीत जाने के बाद किसी सदस्य को नौकरी मिली है और ना ही सरकारी तौर पर आर्थिक मदद आज तक केंद्र और राज्य सरकार की ओर से प्राप्त हुई है। इस बात को लेकर शहीद दीपराज ठाकुर के परिवार और पंचायत की जनता को गहरा मलाल है। दीपराज ठाकुर की विधवा पत्नी शारदा देवी, भाई परसराम ग्राम पंचायत के प्रधान रोशन लाल ठाकुर समेत अन्य ग्राम सुधार सभा समिति के सदस्य और समाजसेवी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया है कि वह शहीद दीपराज ठाकुर के परिवार के सदस्य को नौकरी प्रदान करने में पहल करें और दूसरी ओर 30 साल के लंबे इंतजार के बाद आज दिन तक जो भी वित्तीय लाभ दीपराज ठाकुर के परिवार को मिलने हैं। उन्हें दिलवाने में शहीद दीपराज ठाकुर के परिवार की मदद करें। शहीद दीपराज ठाकुर की विधवा पत्नी शारदा देवी और भाई परसराम ने कहा कि वह पिछले तकरीबन 30 सालों से शहीद के परिवार को न्याय दिलाने के लिए शासन प्रशासन और विभागीय अधिकारियों के कार्यालय में जाकर थक चुके हैं और हार चुके हैं। लेकिन कोई भी उनकी सुनवाई करता नजर नहीं आया है। उन्होंने बताया कि सन 1991 में दीपराज ठाकुर आसाम के भूटान में एटीपीएफ बॉर्डर में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में बम ब्लास्ट के दौरान अपने चार अन्य साथियों के साथ शहीद हो गया था। लेकिन विडंबना यह है कि संबंधित राज्यों की सरकारों ने उक्त चार अन्य शहीदों को और उनके परिजनों को सरकारी नौकरी प्रदान करने के साथ-साथ आर्थिक मदद और पेंशन वेतन अवश्य ही मुहैया करवाया। लेकिन एकमात्र शहीद दीपराज ठाकुर के परिवार को ही हिमाचल सरकार ना तो शहीद का दर्जा दिया गया है और ना ही शहीद दीपराज के परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी दी गई है। इतना ही नहीं बल्कि वेतन पेंशन और अन्य वित्तीय लाभ भी नहीं मिले हैं। शहीद दीपराज ठाकुर के भाई परसराम का कहना है कि वे अपने भाई को न्याय दिलवाने के लिए हिमाचल सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक और संबंधित राज्य की आसाम सरकार तक के मुख्य सचिव राज्यपाल और देश के प्रधानमंत्री गृह मंत्री संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री सहित अन्य कई मंत्रियों से इस मसले में पैरवी करने और विधवा शारदा देवी को न्याय दिलवाने के लिए बार-बार आग्रह कर चुके हैं। लेकिन पिछले 30 सालों के इस लंबे सफरनामें में परस राम और शहीद दीपराज की विधवा शारदा देवी को न्याय नहीं मिला है । वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत प्रधान रोशन लाल ठाकुर का कहना है कि पंचायत के माध्यम से भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को पत्र लिखेंगे और शहीद दीपराज ठाकुर को शहीद का दर्जा दिलवाने से लेकर उसके घर तक पक्की सड़क का निर्माण करने और शहीद के नाम पर क्षेत्र में पार्क स्थापित करने की मांग की जाएगी और जो इस परिवार के सदस्य को सरकार की ओर से मदद नहीं मिली है और परिवार के सदस्य को नौकरी नहीं मिली है। उसे न्याय दिलवाने के लिए हर मोर्चे पर जाएंगे।Conclusion:बाइट 01 : शहीद दीपराज ठाकुर की विधवा पत्नी शारदा देवी

बाइट 02 : शहीद दीपराज ठाकुर का भाई परसराम

बाइट 03 : हल्यातर पंचायत प्रधान रोशन लाल
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.