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गरीबी से लड़कर लुदरमणि ने हासिल किया गोल्ड मेडल, सरकारी नौकरी का सपना हुआ साकार

लुदरमणि ने प्रदेश के सभी बहुतकनीकी संस्थान में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ट्रेड में टॉप कर गोल्ड मेडल हासिल किया है. मौजूदा समय में लुदरमणि नाथपा झाकरी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में जेई के पद पर कार्यरत हैं.

ludarmani from mandi won gold medal in engineering
लुदरमणि ने हासिल किया गोल्ड मैडल
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Published : Jan 23, 2020, 3:51 PM IST

मंडीः दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो जिंदगी में किसी भी मंजिल की राह मुश्किल नहीं है. अपनी कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से ऐसा ही मुकाम शाकरा गांव निहरी तहसील के गरीब परिवार में पैदा हुए लुदरमणि ने हासिल किया है. लुदरमणि ने प्रदेश के सभी बहुतकनीकी संस्थान में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ट्रेड में टॉप कर गोल्ड मेडल हासिल किया है.

लुदरमणि को गोल्ड मेडल करने पर प्रशस्ति पत्रऔर 11 हजार रुपये का इनाम देकर भी सम्मानित किया गया है. यह गोल्ड मेडल उन्हें 2014-17 बैच के लिए मिला है. मौजूदा समय में लुदरमणि नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में जेई के पद पर कार्यरत हैं. इतना ही नहीं लुदरमणि एसजेवीएन में जेई पद के लिए हुई परीक्षा में पूरे उत्तर भारत में पांचवा स्थान हासिल किया था.

वीडियो.

लुदरमणि घर से 5 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर कर स्कूल जाते थे. गरीबी के कारण केहर सिंह अपनी लड़कियों को अधिक नहीं पढ़ा सके, लेकिन बेटे की लगन को देखते हुए केहर केहर सिंह ने परिवार का पेट काटकर लुदरमणि को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी.

पौने दो बीघा भूमि के मालिक केहर सिंह ने अपनी पत्नी खिमी देवी के साथ लुदरमणि को सभी सुविधाएं जुटाने खून पसीना बहा दिया. कई बार तो ऐसा भी होता कि खेतों में अच्छी पैदावार न होने से परिवार को दोनों वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती, माता पिता ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपने होनहार बेटे के लिए वे सभी सुविधाएं दी जो बेटे की पढ़ाई के दौरान आवश्यक थी. वर्तमान समय में भी केहर सिंह का परिवार दो कमरों के कच्चे पहाड़ी मकान में अपनी जिंदगी गुजार रहा है.

ये भी पढे़ंः महिला ने अस्पताल में मनाया बेटे का पहला जन्मदिन, लोगों ने सराहा

लुदरमणि के पिता केहर सिंह का कहना है कि बेटे को बड़ी मुश्किल से पढ़ाया लिखाया है. हम बहुत ही गरीब परिवार से हैं. पढाई में अव्वल रहने पर बेटे को गोल्ड मेडल मिला है, इसकी हमें बहुत खुशी है.

उन्होंने कहा कि गरीब परिवार में होने के बाद भी हमें न तो बीपीएल की सूची में शामिल किया गया और न ही सरकार से किसी तरह की कोई सहायता मिली. हमने अपने दम पर लड़के की इंजीनियरिंग की पढाई करवाई है. लड़का नौकरी लग गया है, अब सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा.

नहीं छोड़ा पढ़ाई का शौक:

‌कुछ महीने पहले 1500 मेगावाट की नाथपा झाकडी हाइड्रो पावर स्टेशन में एक जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) पदभार संभाल चुके लुदरमणि ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी है, वह अब AMIE (एसोसिएट मेंबर ऑफ इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर ) से पत्राचार के माध्यम से उच्च अध्ययन कर रहे हैं.

लुदरमणि की इच्छा थी कि वह रेगुलर बैस पर यह कोर्स करते, लेकिन सरकारी नौकरी के चलते यह संभव नहीं है. लुदरमणि को घर की गरीबी के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ कर एक साल प्राईवेट नौकरी भी करनी पड़ी थी. इसके बात सरकारी नौकरी के लिये चयन हो गया है, लेकिन उनकी इच्छा थी कि रेगुलर कोर्स किया जाता और कुछ नया करने का अवसर मिलता, लेकिन इसमें घर की गरीबी आड़े आ रही है. अब लुदरमणि पत्राचार के माध्यम से ही अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे.

ये भी पढ़ेंः 23 जनवरी : भारत के महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन

सरकार सुविधा दे तो गरीब बच्चों मिलेंगे अवसर: उपप्रधान

गांव के उपप्रधान चेतराम का कहना है कि सरकार अगर यहां पढ़ाई के लिए अच्छी सुविधा दे तो हर गरीब परिवार के बच्चों को जिंदगी में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे. उन्होंने कहा कि लुदरमणि गरीब परिवार से सबंध रखता है, लेकिन उसने सुविधा के अभाव में भी गोल्ड मेडल हासिल किया. उन्होंने सरकार से गांव में अच्छी शिक्षा सुविधा प्रदान करने की मांग की है.

लुदरमणि का कहना है कि मुझे 2014 से 2017 बैच के लिए सभी बहुतकनीकी संस्थानों में टॉप करने पर हिमाचल प्रदेश टेक्निकल बोर्ड ऑफ एजुकेशन से गोल्ड मेडल मिला है. इसका श्रेय माता पिता सहित स्कूल और कॉलेज के टीचरों को जाता है. जिनकी कड़ी मेहनत से में ये मुकाम हासिल हुआ है.

मंडीः दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो जिंदगी में किसी भी मंजिल की राह मुश्किल नहीं है. अपनी कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से ऐसा ही मुकाम शाकरा गांव निहरी तहसील के गरीब परिवार में पैदा हुए लुदरमणि ने हासिल किया है. लुदरमणि ने प्रदेश के सभी बहुतकनीकी संस्थान में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ट्रेड में टॉप कर गोल्ड मेडल हासिल किया है.

लुदरमणि को गोल्ड मेडल करने पर प्रशस्ति पत्रऔर 11 हजार रुपये का इनाम देकर भी सम्मानित किया गया है. यह गोल्ड मेडल उन्हें 2014-17 बैच के लिए मिला है. मौजूदा समय में लुदरमणि नाथपा झाकड़ी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में जेई के पद पर कार्यरत हैं. इतना ही नहीं लुदरमणि एसजेवीएन में जेई पद के लिए हुई परीक्षा में पूरे उत्तर भारत में पांचवा स्थान हासिल किया था.

वीडियो.

लुदरमणि घर से 5 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर कर स्कूल जाते थे. गरीबी के कारण केहर सिंह अपनी लड़कियों को अधिक नहीं पढ़ा सके, लेकिन बेटे की लगन को देखते हुए केहर केहर सिंह ने परिवार का पेट काटकर लुदरमणि को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी.

पौने दो बीघा भूमि के मालिक केहर सिंह ने अपनी पत्नी खिमी देवी के साथ लुदरमणि को सभी सुविधाएं जुटाने खून पसीना बहा दिया. कई बार तो ऐसा भी होता कि खेतों में अच्छी पैदावार न होने से परिवार को दोनों वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती, माता पिता ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपने होनहार बेटे के लिए वे सभी सुविधाएं दी जो बेटे की पढ़ाई के दौरान आवश्यक थी. वर्तमान समय में भी केहर सिंह का परिवार दो कमरों के कच्चे पहाड़ी मकान में अपनी जिंदगी गुजार रहा है.

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लुदरमणि के पिता केहर सिंह का कहना है कि बेटे को बड़ी मुश्किल से पढ़ाया लिखाया है. हम बहुत ही गरीब परिवार से हैं. पढाई में अव्वल रहने पर बेटे को गोल्ड मेडल मिला है, इसकी हमें बहुत खुशी है.

उन्होंने कहा कि गरीब परिवार में होने के बाद भी हमें न तो बीपीएल की सूची में शामिल किया गया और न ही सरकार से किसी तरह की कोई सहायता मिली. हमने अपने दम पर लड़के की इंजीनियरिंग की पढाई करवाई है. लड़का नौकरी लग गया है, अब सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा.

नहीं छोड़ा पढ़ाई का शौक:

‌कुछ महीने पहले 1500 मेगावाट की नाथपा झाकडी हाइड्रो पावर स्टेशन में एक जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) पदभार संभाल चुके लुदरमणि ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी है, वह अब AMIE (एसोसिएट मेंबर ऑफ इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर ) से पत्राचार के माध्यम से उच्च अध्ययन कर रहे हैं.

लुदरमणि की इच्छा थी कि वह रेगुलर बैस पर यह कोर्स करते, लेकिन सरकारी नौकरी के चलते यह संभव नहीं है. लुदरमणि को घर की गरीबी के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ कर एक साल प्राईवेट नौकरी भी करनी पड़ी थी. इसके बात सरकारी नौकरी के लिये चयन हो गया है, लेकिन उनकी इच्छा थी कि रेगुलर कोर्स किया जाता और कुछ नया करने का अवसर मिलता, लेकिन इसमें घर की गरीबी आड़े आ रही है. अब लुदरमणि पत्राचार के माध्यम से ही अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे.

ये भी पढ़ेंः 23 जनवरी : भारत के महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन

सरकार सुविधा दे तो गरीब बच्चों मिलेंगे अवसर: उपप्रधान

गांव के उपप्रधान चेतराम का कहना है कि सरकार अगर यहां पढ़ाई के लिए अच्छी सुविधा दे तो हर गरीब परिवार के बच्चों को जिंदगी में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे. उन्होंने कहा कि लुदरमणि गरीब परिवार से सबंध रखता है, लेकिन उसने सुविधा के अभाव में भी गोल्ड मेडल हासिल किया. उन्होंने सरकार से गांव में अच्छी शिक्षा सुविधा प्रदान करने की मांग की है.

लुदरमणि का कहना है कि मुझे 2014 से 2017 बैच के लिए सभी बहुतकनीकी संस्थानों में टॉप करने पर हिमाचल प्रदेश टेक्निकल बोर्ड ऑफ एजुकेशन से गोल्ड मेडल मिला है. इसका श्रेय माता पिता सहित स्कूल और कॉलेज के टीचरों को जाता है. जिनकी कड़ी मेहनत से में ये मुकाम हासिल हुआ है.

Intro:दिल मे कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो जिंदगी में किसी भी मंजिल की राह मुश्किल नहीं है। अपनी कड़ी मेहनत और सच्ची लगन से ऐसा ही मुकाम गांव शाकरा तहसील निहरी के अति निर्धन परिवार में पैदा हुए लुदमणि ने हासिल किया है। लुदरमणि ने प्रदेश के सभी बहुतकनीकी संस्थानों में इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग ट्रेड में टॉप कर गोल्ड मेडल प्राप्त किया है।Body:
इस उपलब्धि पर उनको प्रसस्ति पत्र व 11 हजार रुपये का इनाम देकर भी सम्मानित किया गया है। ये गोल्ड मेडल उन्हें 2014-17 बैच के लिए मिला है। कड़ी मेहनत और लगन से इस मुकाम को हासिल कर लुदरमणी ने प्रदेशभर में इलाके का नाम रोशन किया है। इसके साथ ही उन्होंने गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कालेज हमीरपुर का नाम ऊंचा किया है। वर्तमान में लुदरमणि नाथपा झाकरी हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट में जेई के पद पर कार्यरत है। उन्होंने एसजेवीएन में जेई पद के लिए हुई परीक्षा में पूरे उत्तर भारत में पांचवा स्थान हासिल किया था।
पालने में ही नजर आ गए थे पूत के पांव:
गरीब परिवार में केहर सिंह और खिमी देवी के घर में पैदा हुए इस पूत के पांव पालने में ही नजर आ गए थे। चार बहनों के इकलौते छोटे भाई लुदरमणि ने बचपन में ही सफलता की बुलंदियों को छूने की ठान ली थी। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने खेलने कूदने की उम्र में ही किताबों से दोस्ती बढ़ा ली थी। लुदरमणि घर से 5 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर कर स्कूल जाते थे। गरीबी के कारण केहर सिंह अपनी लड़कियों को अधिक नहीं पढ़ा सके, लेकिन बेटे की लगन को देखते हुए केहर केहर सिंह ने परिवार का पेट काटकर लुदरमणि को पढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। पौने दो बीघा भूमि के मालिक केहर सिंह ने अपनी पत्नी खिमी देवी के साथ लुदरमणि को सभी सुविधाएं जुटाने खून पसीना बहा दिया। कही बार तो ऐसा भी होता कि खेतों में अच्छी पैदावार न होने से परिवार को दोनों वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती, माता पिता ने हार नहीं मानी उन्होंने अपने होनहार बेटे के लिए वे सभी सुविधाएं दी जो बेटे की पढ़ाई के दौरान आवश्यक थी। वर्तमान में भी केहर सिंह का परिवार दो कमरों के कच्चे पहाड़ी मकान में अपनी जिंदगी गुजार रहा है। केहर सिंह का कहना है कि बेटे को बड़ी मुश्किल से पढ़ाया लिखाया है। हम बहुत ही गरीब परिवार से हैं। पढाई में अव्वल रहने पर बेटे को गोल्ड मेडल मिला है, इसकी बहुत खुशी है। उन्होंने कहा कि गरीब परिवार में होने के बाद भी हमें न तो बीपीएल की सूची में शामिल किया गया और न ही सरकार से किसी तरह की कोई सहायता मिली। हमने अपने दम पर लड़के की इंजीनियरिंग की पढाई करवाई है। लड़का नौकरी लग गया है, अब सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा।


नहीं छोड़ा पढ़ाई का शौक:
‌कुछ महीने पहले 1500 मेगावाट की नाथपा झाकडी हाइड्रो पावर स्टेशन में एक जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) पदभार संभाल चुके लुडरमणि ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी है, वह अब AMIE (एसोसिएट मेंबर ऑफ इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर ) से पत्राचार के माध्यम से उच्च अध्ययन कर रहे हैं । उनकी इच्छा थी कि वह रैगुलर बैस पर यह कोर्स करते, लेकिन सरकारी नौकरी के चलते यह संभव नहीं है। लुदरमणि को घर की गरीबी के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ कर एक साल प्राईवेट नौकरी भी करनी पड़ी थी। इसके बात सरकारी नौकरी के लिये चयन हो गया है लेकिन उनकी इच्छा थी कि रैगूलर बैस पर कोर्स किया जाता और कुछ नया करने का अवसर मिलता। लेकिन इसमें घर की गरीबी आड़े आ रही है। अब लुदरमणि पत्राचार के माध्यम से ही अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे।

सरकार सुविधा दे तो गरीब बच्चों मिलेंगे अवसर: उपप्रधान
गांव के उपप्रधान चेतराम का कहना है कि सरकार अगर यहां पढ़ाई के लिए अच्छी सुविधा दे तो हर गरीब परिवार के बच्चों को जिंदगी में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि लुदरमणि गरीब परिवार से सबंध रखता है, लेकिन उसने सुविधा के अभाव में भी गोल्ड मेडल हासिल किया। उन्होंने सरकार से गांव में अच्छी शिक्षा सुविधा प्रदान करने की मांग की है।


Conclusion:लुदरमणि का कहना है कि मुझे 2014 से 2017 बैच के लिए सभी बहुतकनीकी संस्थानों में टॉप करने पर हिमाचल प्रदेश टेक्निकल बोर्ड ऑफ एजुकेशन से गोल्ड मेडल मिला है। इसका श्रेय पेरेंट्स सहित स्कूल और कॉलेज के टीचरों को जाता है। जिनकी कड़ी मेहनत से में ये मुकाम हासिल कर पाया हूं।




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