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बतैल ITI में सुविधाओं की कमी, स्थापना के 13 साल बाद भी नहीं मिला अपना भवन - आईटीआई बतैल]

आईटीआई बतैल को 13 सालों के लंबे अंतराल के बाद भी अपना भवन नहीं मिल पाया है. इसके चलते इस आईटीआई में पढ़ने वाले प्रशिक्षुओं को कई दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं. स्थानीय लोगों और अभिभावकों का कहना है कि इसके साथ जो अन्य आईटीआई बनी है, उनकी इमारत बन चुकी है. इसमें बच्चे सभी सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं.

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बतैल आईटीआई
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Published : Dec 16, 2020, 5:54 PM IST

सरकाघाट/मंडीः क्षेत्र के तहत आने वाली आईटीआई बतैल को 13 सालों के लंबे अंतराल के बाद भी अपना भवन नहीं मिल पाया है. इसके चलते इस आईटीआई में पढ़ने वाले प्रशिक्षुओं को कई दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं. हैरानी की बात यह है कि आज तक इस आईटीआई के लिए जमीन भी फाइनल नहीं हो पाई है. इमारत बनना तो अभी दूर की बात है.

बतैल आईटीआई में सुविधाओं की कमी

स्थानीय लोगों और अभिभावकों का कहना है कि इसके साथ जो अन्य आईटीआई बनी है, उनकी इमारत बन चुकी है. इसमें बच्चे सभी सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं. कई आईटीआई में ट्रेड भी बढ़ चुके हैं, ताकि युवाओं को प्रशिक्षण के लिए दूर न जाना पड़े. मगर बतैल आईटीआई में सालों से मात्र तीन ही ट्रेड हैं, जिनके मुताबिक भी यहां पर सुविधा उपलब्ध नहीं है.

अन्य स्थानों पर जाने के लिए मजबूर हुए प्रशिक्षु

इसके चलते बहुत कम प्रशिक्षु यहां पर प्रशिक्षण प्राप्त कर पाते हैं. यहां का हाल देखकर बहुत से प्रशिक्षु अपनी माइग्रेशन अन्य स्थानों पर करवा लेते हैं. उधर, इस आईटीआई में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों में भी यह निराशा है कि इतने साल गुजर जाने के बाद भी आईटीआई को अपना स्थायी भवन क्यों नहीं मिल पा रहा है. इस बारे में आईटीआई के प्रधानाचार्य अनिल कुमार का कहना है कि लंबे समय से जमीन नहीं मिलने के कारण आज तक भवन नहीं बन पाया है.

क्या कहना है स्थानीय विधायक का

उधर, इस बारे में क्षेत्र के विधायक कर्नल इंद्र सिंह का कहना है कि आईटीआई के लिए जमीन नहीं मिल रही थी. मगर अब जमीन मिल गई है, जल्द ही इसे फाइनल करके इमारत का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें:

ये भी पढ़ें: 11,388 अपात्र लोगों ने हड़प लिए किसान सम्मान निधि के 11.95 करोड़, अब वसूली करेंगे डीसी

सरकाघाट/मंडीः क्षेत्र के तहत आने वाली आईटीआई बतैल को 13 सालों के लंबे अंतराल के बाद भी अपना भवन नहीं मिल पाया है. इसके चलते इस आईटीआई में पढ़ने वाले प्रशिक्षुओं को कई दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं. हैरानी की बात यह है कि आज तक इस आईटीआई के लिए जमीन भी फाइनल नहीं हो पाई है. इमारत बनना तो अभी दूर की बात है.

बतैल आईटीआई में सुविधाओं की कमी

स्थानीय लोगों और अभिभावकों का कहना है कि इसके साथ जो अन्य आईटीआई बनी है, उनकी इमारत बन चुकी है. इसमें बच्चे सभी सुविधाओं का लाभ भी उठा रहे हैं. कई आईटीआई में ट्रेड भी बढ़ चुके हैं, ताकि युवाओं को प्रशिक्षण के लिए दूर न जाना पड़े. मगर बतैल आईटीआई में सालों से मात्र तीन ही ट्रेड हैं, जिनके मुताबिक भी यहां पर सुविधा उपलब्ध नहीं है.

अन्य स्थानों पर जाने के लिए मजबूर हुए प्रशिक्षु

इसके चलते बहुत कम प्रशिक्षु यहां पर प्रशिक्षण प्राप्त कर पाते हैं. यहां का हाल देखकर बहुत से प्रशिक्षु अपनी माइग्रेशन अन्य स्थानों पर करवा लेते हैं. उधर, इस आईटीआई में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों में भी यह निराशा है कि इतने साल गुजर जाने के बाद भी आईटीआई को अपना स्थायी भवन क्यों नहीं मिल पा रहा है. इस बारे में आईटीआई के प्रधानाचार्य अनिल कुमार का कहना है कि लंबे समय से जमीन नहीं मिलने के कारण आज तक भवन नहीं बन पाया है.

क्या कहना है स्थानीय विधायक का

उधर, इस बारे में क्षेत्र के विधायक कर्नल इंद्र सिंह का कहना है कि आईटीआई के लिए जमीन नहीं मिल रही थी. मगर अब जमीन मिल गई है, जल्द ही इसे फाइनल करके इमारत का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

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