मंडी: हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के चलते नदी नालों का जलस्तर बढ़ गया है. मंडी जिला के नैना देवी की पहाड़ियों पर बने सात सरों (झील) सुकासर, कालासर, कुंत भयो सर, नील सर, खाड़ला सर, मीठा सर, चिता सर में सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन कुंत भयो झील है. बता दें कि कुंत भयो झील अभी भी खतरे के निशान से काफी ऊपर तक पानी से लबालब भरी हुई है. झील के इस विकराल रूप को देखकर सरकीधार और आसपास के इलाकों के लोग सहमे हुए हैं.
कुंत भयो झील से सहमे लोग: रिवालसर में कुंत भयो झील के आसपास बसने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले कभी भी इस झील का इतना विकराल रूप नहीं देखा है. बीती 12, 13 और 14 अगस्त को हुई भारी बारिश से झील का जलस्तर इतना अधिक बढ़ गया है कि झील के आसपास रह रहे लोगों के घर पानी में डूब चुके हैं. जबकि अभी भी यह जलस्तर कुछ घरों के धरातल को छू रहा है. जिस दिन झील में जल प्रलय हुआ था, उस दिन भगवान हनुमान की मूर्ति और माता का मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो गए था.
कुंत भयो झील में जलप्रलय: स्थानीय निवासी प्रेम शर्मा, रत्न चंद, ठाकर दास और धर्मा देवी ने बताया कि उन्होंने इससे पहले कभी झील का ऐसा रौद्र रूप नहीं देखा. दशकों पहले एक बार झील में जलभराव जरूर हुआ था, लेकिन वो भी इतना नहीं था. उस समय लोगों के घर पूरी तरह से सुरक्षित बचे थे, लेकिन इस बार झील ने जल प्रलय मचा दी है. इस मानसून की बारिश से आसपास के क्षेत्रों में काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. जहां कुछ घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए तो वहीं, कुछ घरों में दरारें आ गई है. इसके अलावा इस जल प्रलय से क्षेत्र में स्कूल और सड़कें भी टूट गई है. लोगों का कहना है कि यदि उस समय झील का पानी दो या ढाई फीट और ऊपर चढ़ जाता तो झील टूट कर महाजलप्रलय ला सकती थी. झील के इस विकराल रूप को देखकर ग्रामीण अभी भी खौफजदा हैं.
कुंत भयो झील का इतिहास: कुंत भयो झील का इतिहास पांडव काल से जुड़ा हुआ बताया जाता है. कहा जाता है कि बनवास के दौरान जब पांडव इन पहाड़ियों पर आए तो माता कुंती को प्यास लगी थी. जिसके बाद अर्जुन ने इसी स्थान पर तीर मारकर पानी निकाला और अपनी माता की प्यास बुझाई थी. इसी कारण इस झील का नाम कुंत भयो झील पड़ा. इस झील में पानी कहां से आता है और कहां जाता है, इसका आज दिन तक किसी को नहीं पता है. यह एक गूढ़ रहस्य है. चाहे कितनी ही प्रचंड गर्मी क्यों न पड़ जाए, इस झील का पानी कभी नहीं सूखता. मौजूदा समय में जल शक्ति विभाग ने इस झील के पानी से कई स्कीमें चलाई हुई है.
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