मंडी: प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कुछ महीने पहले हुई ओलावृष्टि का असर अब देखने को मिल रहा है. किसानों के सेब के बगीचों में कुछ ही सेब देखने को मिल रहे हैं. भारी ओलावृष्टि ने किसानों और बागवानों की कमर तोड़ कर रख दी है. जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है और करोड़ों रुपये के नुकसान की आशंका जताई जा रही है.
मंडी जिला की उपमंडल सुंदरनगर की रोहांडा पंचायत के चौकी, ओकल, सकोर, बुलास, खिल, छिछड, पंडार और निहरी तहसील के निहरी और इस के आस-पास के क्षेत्रो में हुई भारी ओलावृष्टि से पेड़ों पर फ्लॉवरिंग ही नहीं हो पाई. जिस से सेब के पेड़ खाली हैं. बगीचे में एक सेब भी नजर नहीं आ रहा है. सेब के साथ दूसरे अन्य गुठलीदार फलों पर भी मौसम की भारी मार पड़ी है. किसानों के अनुसार इन दिनों पेड़ों में सेब की फसल लहराती दिखाई देती थी. जबकि 20 जुलाई के आस-पास सेब का तुड़ान शुरू हो जाता था.
रोहांडा पंचायत के प्रधान प्रकाश चंद और स्थानीय निवासी चंद्र कांत ठाकुर ने बताया कि कुछ समय पहले हुई भारी ओलावृष्टि से पेड़ों में फ्लावरिंग नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में बागवानों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि बागवान और किसानों के लिए सेब ही आमदनी का एक जरिया होता था, लेकिन पहले आम आदमी के साथ किसानों ने कोरोना संकट की मार झेली और अब ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. उन्होंने प्रदेश सरकार और कृषि विभाग से मांग की है कि क्षेत्र का दौरा कर सेब के पौधों का जायजा लिया जाए और किसानों आर्थिक मदद कर थोड़ी राहत दी जाए.
गौरतलब है कि इस साल कोरोना वायरस और खराब मौसम के चलते सेब बागवानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. मंडी जिला के साथ-साथ जिला शिमला के ऊपरी इलाकों में भी मार्च और अप्रैल महीने में हुई भारी ओलावृष्टि से बागवानों को करोड़ों रुपये के नुकसान का सामना करना पड़ा है.
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