ETV Bharat / state

यहां वरदान बनी प्राकृतिक खेती, कम लागत में किसानों को हो रहा अधिक मुनाफा - प्राकृतिक खेती

करसोग में किसानों ने जहर वाली रसायनिक खेती को छोड़ कर  प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. किसानों का ये फैसला उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ है.

natural farming in karsog
author img

By

Published : Nov 1, 2019, 1:13 PM IST

करसोग: जिला मंडी के करसोग में किसानों ने जहर वाली रसायनिक खेती को छोड़ कर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. किसानों का ये फैसला उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ है. प्राकृतिक खेती की तकनीक से जुड़कर अब किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा ले रहे हैं.

इसी कड़ी में पांगणा उप तहसील के अंतर्गत पजयाणु गांव में कुछ किसानों ने प्राकृतिक खेती शुरू की. अब प्राकृतिक खेती का ये सफर बड़ा परिवर्तन लाने की दिशा में बढ़ रहा है. पहले ये खेती 4 से 5 बीघा जमीन पर शुरू की गई थी. अब इसका दायरा अब 40 बीघा भूमि तक फैल गया है. इससे किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा हो रहा है. इस बार खरीफ के सीजन में समय पर अच्छी बारिश न होने के कारण किसानों ने रासायनिक खेती की जगह प्राकृतिक खेती से उच्च गुणवत्ता वाली अच्छी पैदावार ली है, जिससे किसान खुश हैं.

पजयाणु गांव के प्रदीप शर्मा ने बीन्स की फसल लेने के लिए प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपनाया. इस तकनीक से मात्र डेढ़ किलो बीज से ही ढाई क्विंटल बीन निकाल ली. यहां लोगों को बढ़िया फसल होने के कारण खेतों में काम करके घरद्वार पर रोजगार भी मिला है.

किसानों ने इस तकनीकी से बीन, अदरक, बैंगन, टमाटर, करेला व शिमला मिर्च समेत कई अन्य नकदी फसलों की अच्छी पैदावार ली है. अब बढ़िया पैदावार से उत्साहित किसानों ने रबी सीजन में भी प्राकृतिक खेती करने का फैसला लिया है. इसके लिए किसानों ने पहले से अपनी तैयारियां शुरू कर दी है.

वीडियो

ये भी पढ़ें: इन्वेस्टर मीट पर कौल सिंह ने साधा निशाना, कहा- फिजूलखर्चे को बढ़ावा दे रही जयराम सरकार

करसोग: जिला मंडी के करसोग में किसानों ने जहर वाली रसायनिक खेती को छोड़ कर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. किसानों का ये फैसला उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ है. प्राकृतिक खेती की तकनीक से जुड़कर अब किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा ले रहे हैं.

इसी कड़ी में पांगणा उप तहसील के अंतर्गत पजयाणु गांव में कुछ किसानों ने प्राकृतिक खेती शुरू की. अब प्राकृतिक खेती का ये सफर बड़ा परिवर्तन लाने की दिशा में बढ़ रहा है. पहले ये खेती 4 से 5 बीघा जमीन पर शुरू की गई थी. अब इसका दायरा अब 40 बीघा भूमि तक फैल गया है. इससे किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा हो रहा है. इस बार खरीफ के सीजन में समय पर अच्छी बारिश न होने के कारण किसानों ने रासायनिक खेती की जगह प्राकृतिक खेती से उच्च गुणवत्ता वाली अच्छी पैदावार ली है, जिससे किसान खुश हैं.

पजयाणु गांव के प्रदीप शर्मा ने बीन्स की फसल लेने के लिए प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपनाया. इस तकनीक से मात्र डेढ़ किलो बीज से ही ढाई क्विंटल बीन निकाल ली. यहां लोगों को बढ़िया फसल होने के कारण खेतों में काम करके घरद्वार पर रोजगार भी मिला है.

किसानों ने इस तकनीकी से बीन, अदरक, बैंगन, टमाटर, करेला व शिमला मिर्च समेत कई अन्य नकदी फसलों की अच्छी पैदावार ली है. अब बढ़िया पैदावार से उत्साहित किसानों ने रबी सीजन में भी प्राकृतिक खेती करने का फैसला लिया है. इसके लिए किसानों ने पहले से अपनी तैयारियां शुरू कर दी है.

वीडियो

ये भी पढ़ें: इन्वेस्टर मीट पर कौल सिंह ने साधा निशाना, कहा- फिजूलखर्चे को बढ़ावा दे रही जयराम सरकार

Intro:किसानों ने भी जहर वाली रसायनिक खेती को बाय बाय कर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाया है।Body:

यहां वरदान बनी प्राकृतिक खेती, कम लागत में किसानों को हो रहा अधिक मुनाफा
करसोग
करसोग के किसानों ने जहर वाली रासायनिक खेती को छोड़ कर अपने कदम सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ाए हैं। किसानों का ये निर्णय उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ है। प्राकृतिक खेती की तकनीक से जुड़कर अब यहां के किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा ले रहे हैं। इसी कड़ी में पांगणा उप तहसील के तहत पड़ने वाले पजयानु गांव में कुछ किसानों ने सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती से जुड़ कर शुरू किया ये सफर बड़ा परिवर्तन लाने की दिशा में बढ़ गया है। यानी पहले मुश्किल 4 से 5 बीघा भूमि पर की गई प्राकृतिक खेती का दायरा अब 40 बीघा भूमि तक फैल गया है। कम लागत से हो रहे अच्छे मुनाफे के कारण किसानों का छोटा सा समूह अब धीरे धीरे कारवां बनता जा रहा है। इस बार खरीफ सीजन में समय पर अच्छी बारिश न होने के बावजूद किसानों ने रासायनिक खेती की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाली अच्छी पैदावार ली है, जिससे किसान खुश है। पजयानु गांव के प्रदीप शर्मा ने बीन की फसल लेने के लिए सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपनाया और मात्र डेढ़ किलो बीज से ही पहले ही तोडान में ढाई क्विंटल बीन निकाल ली। कम लागत में इतनी अच्छी पैदावार होने से प्रदीप कुमार की तो अच्छा मुनाफा हुआ ही है, यहां लोगों को बढ़िया फसल होने के कारण खेतों में काम करके घरद्वार पर रोजगार भी मिला है। इसी तरह से यहां अन्य किसानों ने भी जहर वाली रसायनिक खेती को बाय बाय कर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाया है। किसानों ने इस तकनीकी से बीन, अदरक, बैगन, टमाटर, करेला व शिमला मिर्च सहित कई अन्य नकदी फसलों की अच्छी पैदावार ली है। अब बढ़िया पैदावार से उत्साहित किसानों ने रबी सीजन में भी प्राकृतिक खेती करने का निर्णय लिया है और इसके लिए पहले से अपनी तैयारियां शुरू कर दी है।

Conclusion:अब बढ़िया पैदावार से उत्साहित किसानों ने रबी सीजन में भी प्राकृतिक खेती करने का निर्णय लिया है और इसके लिए पहले से अपनी तैयारियां शुरू कर दी है।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.