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स्पेशल: पंडितों की रोजी रोटी पर कोरोना की टेढ़ी नजर - हिमाचल न्यूज

मंडी शहर के प्रसिद्ध भीमाकाली मंदिर की बात करें तो यहां एक माह में औसतन आधा दर्जन विवाह समारोह होते हैं, लेकिन इन दिनों यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. मुख्य गेट से लेकर मंदिर के अंदर तक हर जगह ताले लटके हुए हैं. पंडित समाज की मानें तो शादी विवाह के शुभ मुर्हत सालभर में कुछ ही होते हैं. ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है. सरकार को चाहिए कि इस वर्ग का भी ध्यान रखा जाए.

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Published : May 4, 2020, 8:53 PM IST

मंडी: ग्रह नक्षत्रों से ज्यादा इन दिनों लोगों में कोरोना संक्रमण का खौफ है. यही वजह है कि बीते करीब डेढ़ माह में शादी विवाद, जन्मदिन समेत अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी लोगों ने स्थगित कर दिए हैं. इससे पंडितों की यजमानी पर भी संकट छा गया है. ऐसे में हस्त रेखाएं देखकर दूसरों को भविष्य बताने वाले पंडितों को अब अपने भविष्य की चिंता होने लगी है.

कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन व कर्फ्यू के बीच केवल इमरजेंसी व आवश्यक सामान की खरीददारी के अलावा लोग कोई आयोजन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में धार्मिक अनुष्ठान करवाने वाले पंडितों की रोजी रोटी पर भी संकट आ गया है.

वीडियो.

कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते इन दिनों कोई भी पंडितों के पास कुंडली दिखाकर अपने ग्रह नक्षत्रों की जानकारी लेने नहीं पहुंच रहा है. लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में चैत्र नवरात्र में भी कोई भी धार्मिक कार्यक्रम नहीं हो पाए. हालांकि धार्मिक अनुष्ठानों की बुकिंग तो काफी हो रखी थी, लेकिन कोरोना के खौफ ने सब रद्द करवा दिया.

पढ़ें- पराशर झील में कई दशकों से ठहरा भूखंड हुआ गतिमान

15 अप्रैल से 23 मई तक विवाह शादी के शुभ मुर्हत भी लॉक डाउन व कर्फ्यू में ही गुजर गया. इस कारण अधिकत्तर शादियां स्थगित हो गई. कुछ शादियां सरकार की ओर से दिए गए निर्देशों के तहत सोशल डिस्टेंसिंग व मॉस्क पहन और चंद लोगों की मौजूदगी में हुई. इसमें रस्मों को भी शार्टकट तरीके से ही पूरा किया गया. ऐसे में बुलाए गए पंडित जी अपनी दिहाड़ी भी सही तरीके से पूरी नहीं कर पाए.

मंडी शहर के प्रसिद्ध भीमाकाली मंदिर की बात करें तो यहां एक माह में औसतन आधा दर्जन विवाह समारोह होते हैं, लेकिन इन दिनों यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. मुख्य गेट से लेकर मंदिर के अंदर तक हर जगह ताले लटके हुए हैं. पंडित समाज की मानें तो शादी विवाह के शुभ मुर्हत सालभर में कुछ ही होते हैं. ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है. सरकार को चाहिए कि इस वर्ग का भी ध्यान रखा जाए.

बता दें कि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए देश व्यापी लॉकडाउन के असर से कोई वर्ग भी अछूता नहीं है. कोरोना के इस दौर में देवी देवताओं के मंदिरों के कपाट तक बंद कर दिए गए है. धार्मिक समेत अन्य सभी तरह के कार्यक्रमों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे में अब पंडितों की यजमानी भी स्थिति सुधरने पर ही दोबारा शुरू हो पाएगी.

ये भी पढ़ें- प्रदेश में 1 संक्रमित बचा है, लेकिन आगे आने वाली चुनौतियां बड़ी हैं: DGP सीताराम मरडी

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कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन व कर्फ्यू के बीच केवल इमरजेंसी व आवश्यक सामान की खरीददारी के अलावा लोग कोई आयोजन नहीं कर रहे हैं. ऐसे में धार्मिक अनुष्ठान करवाने वाले पंडितों की रोजी रोटी पर भी संकट आ गया है.

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कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते इन दिनों कोई भी पंडितों के पास कुंडली दिखाकर अपने ग्रह नक्षत्रों की जानकारी लेने नहीं पहुंच रहा है. लॉकडाउन के शुरूआती दिनों में चैत्र नवरात्र में भी कोई भी धार्मिक कार्यक्रम नहीं हो पाए. हालांकि धार्मिक अनुष्ठानों की बुकिंग तो काफी हो रखी थी, लेकिन कोरोना के खौफ ने सब रद्द करवा दिया.

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15 अप्रैल से 23 मई तक विवाह शादी के शुभ मुर्हत भी लॉक डाउन व कर्फ्यू में ही गुजर गया. इस कारण अधिकत्तर शादियां स्थगित हो गई. कुछ शादियां सरकार की ओर से दिए गए निर्देशों के तहत सोशल डिस्टेंसिंग व मॉस्क पहन और चंद लोगों की मौजूदगी में हुई. इसमें रस्मों को भी शार्टकट तरीके से ही पूरा किया गया. ऐसे में बुलाए गए पंडित जी अपनी दिहाड़ी भी सही तरीके से पूरी नहीं कर पाए.

मंडी शहर के प्रसिद्ध भीमाकाली मंदिर की बात करें तो यहां एक माह में औसतन आधा दर्जन विवाह समारोह होते हैं, लेकिन इन दिनों यहां सन्नाटा पसरा हुआ है. मुख्य गेट से लेकर मंदिर के अंदर तक हर जगह ताले लटके हुए हैं. पंडित समाज की मानें तो शादी विवाह के शुभ मुर्हत सालभर में कुछ ही होते हैं. ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है. सरकार को चाहिए कि इस वर्ग का भी ध्यान रखा जाए.

बता दें कि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए देश व्यापी लॉकडाउन के असर से कोई वर्ग भी अछूता नहीं है. कोरोना के इस दौर में देवी देवताओं के मंदिरों के कपाट तक बंद कर दिए गए है. धार्मिक समेत अन्य सभी तरह के कार्यक्रमों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसे में अब पंडितों की यजमानी भी स्थिति सुधरने पर ही दोबारा शुरू हो पाएगी.

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